मंडियों में गेहूं पड़ा है, किसान पहरा दे रहे हैं और खट्टर सुना रहे रोज नये फरमान

Update: 2020-04-23 02:30 GMT

हरियाणा में भाजपा सरकार प्रयोग पर प्रयोग कर रही है। अब नया प्रयोग यह है कि पंचायतों से गेहूं की खरीद करायी जाए। इस निर्णय से किसान खासे परेशान हैं, क्योंकि पंचायत का फसल खरीद का कोई अनुभव नहीं है...

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। एक ओर कोविड 19 का संकट, दूसरी ओर मौसम की मार। गेहूं की कटाई का काम पहले ही लेट हो चुका है। अब किसानों के सामने फसल बेचने की समस्या आ रही है। हरियाणा की खट्टर सरकार और आढ़तियों के बीच तनातनी से गेहूं उत्पादक किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आढ़ती भुगतान के नये प्रावधानों का विरोध करते हुए हड़ताल पर चले गये हैं।

धर मंडियों में गेहूं पड़ा है। किसान रात दिन फसल का पहरा देने पर मजबूर हो रहे हैं। इस बीच सरकार ने एक फरमान जारी कर दिया। गेहूं की खरीद पंचायतों के माध्यम से करायी जाये। इस संबंध में पंचायतों को निर्देश दिये जा रहे हैं कि वह गेहूं खरीद के इंतजाम करे। खट्टर सरकार चाहती है कि आढ़ती किसानों को गेहूं का भुगतान आनलाइन करे। इसका पूरा विवरत मंडी बोर्ड को सौंपा जाये। भुगतान की पहली किश्त का वितरण ऑनलाइन होने के बाद दूसरी किश्त जारी होगी।

Full View का कहना है कि यह व्यवस्था कम से कम इस बार ठीक नहीं है। एक तो पहले ही कोविड 19 की वजह से हालात सामान्य नहीं है। गेहूं की खरीद भी देरी से हो रही है। ऐसे में इस बार तेजी से खरीद का काम होना चाहिए। लेकिन सरकार आढ़तियों के इस तर्क को मानने को तैयार नहीं है। इस पर विरोध जताते हुए प्रदेश के कई जिलों में आढ़ती हड़ताल पर चले गये हैं।

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ढ़तियों ने बताया कि सरकार का यह सिस्टम सही नहीं है। इस वक्त पहले ही मैनपावर की समस्या का सामना करना पड़ रह है। ऐसे में सरकार का यह प्रयोग वह कैसे सफल कर सकते हैं। उनकी बस यहीं मांग है कि इस बार वही सिस्टम रहने दिया जाये, जैसा पहले चलता आ रहा है। यह समय प्रयोग का नहीं है। इस तरह के प्रयोग के लिए स्थिति भी सामान्य होनी चाहिए। इस छोटी सी बात को भी सरकार मानने के लिए तैयार नहीं है। इस वजह से गतिरोध बना हुआ है।

किसान की भी सरकार के रवैये से खासे नाराज है। युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया कि पहले ही गेहूं उत्पादक किसानों का दस प्रतिशत का नुकसान हो चुका है। क्योंकि गेहूं की कटाई लेट शुरू हुई। अब न काटने के लिए मजदूर मिल रहे हैं, न मशीन मिल रही है। ऐसा लग रहा है कि खट्टर सरकार ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। एक भी जगह मशीनों का इंतजाम नहीं कराया जा रहा है। इधर मौसम बार बार करवट बदल रहा है। ऐसे में भी किसान जैसे तैसे कर यदि गेहूं की कटाई कर मंडी में पहुंचता है तो उसे तंग किया जा रहा है।

Full View मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आपदा का समय नये प्रयोग करने का समय नहीं होता। सरकार ने इस खरीद के सीजन में कई अव्यवहारिक शर्तें लगायी हैं, उन पर सरकार पुनः विचार करे। एक बार में किसान से उसकी उपज का कुछ हिस्सा खरीदने की शर्त लगायी गयी है, जो अव्यवहारिक है, इसे हटाया जाए। दूसरा, केवल पंजीकृत किसानों से ही फसल खरीदने की शर्त लगायी गयी है, इस पर भी पुनः विचार करे सरकार। सरकार अपनी हठधर्मिता के कारण ऐसे नये प्रयोग कर रही है जिससे किसान और आढ़ती दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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हुड्डा ने कहा कि सरकार पहले से ही परेशान किसानों को और परेशान न करे। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, लेबर की कमी आदि परेशानियां झेलकर किसी तरह से किसान अपनी फसल की कटाई कर मंडियों में पहुंच रहा है। मंडी में बदइंतजामी देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर रही हैं। दूसरी ओर, मौसम भी लगातार करवट ले रहा है और मौसम विभाग आंधी-बारिश का अनुमान जता रहा है। इससे किसानों की उम्मीदें टूट रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि मुश्किल के इस दौर में सरकार सुनिश्चित करे कि मंडियों में सारे इंतजाम दुरुस्त हों तथा किसानों से गेहूं की खरीद बिना किसी परेशानी के हो और आपसी विश्वास के साथ सरकार फसल के एक-एक दाने को ख़रीदे।

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