निर्भया गैंगरेप-हत्या के दोषियों को कभी नहीं होगी फांसी : वकील ने दी निर्भया की मां को चुनौती

Update: 2020-01-31 14:00 GMT

निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि मेरी बेटी के बलात्कारियों-हत्यारों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती देते हुए कहा कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं दी जाएगी। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। मगर मेरी मांग है कि सरकार को दोषियों को फांसी देनी होगी, इसके लिए मैं भी अपनी लड़ाई जारी रखूंगी, जिससे मेरी बेटी को न्याय मिले

जनज्वार। 2012 में निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषियों की फांसी पर फिलहाल रोक लग गयी है। आज हुई सुनवाई के दौरान निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों की फांसी की सजा फिलहाल टल गयी है। फांसी पर रोक लगाने वाली एक याचिका पर आज 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने दोषियों की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें दोषियों ने 1 फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की गयी है।

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गौरतलब है कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के तीन दोषियों के अनुरोध वाली याचिका की सुनवाई को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी थी। निर्भया के बलात्कार और हत्या के दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि ये दोषी आतंकवादी नहीं हैं। वकील ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई है, वहां दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल न कर लिया हो।

स मामले में निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि मेरी बेटी के बलात्कारियों-हत्यारों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती देते हुए कहा कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं दी जाएगी। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। मगर मेरी मांग है कि सरकार को दोषियों को फांसी देनी होगी, इसके लिए मैं भी अपनी लड़ाई जारी रखूंगी, जिससे मेरी बेटी को न्याय मिले।

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निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के चारों आरोपियों को कल 1 फरवरी फांसी नहीं होगी, पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है। इस पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट ने अक्षय, विनय, पवन और मुकेश के डेथ वारंट को रद्द कर दिया है।

गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप-हत्या केस में दोषी विनय कुमार शर्मा की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने अदालत से फांसी को अनिश्चितकाल के लिए टाल देने का तर्क यह कहते हुए दिया कि कुछ दोषियों के कानूनी उपचार अभी बाकी हैं। जब एक दोषी की याचिका लंबित है तो नियमों के अनुसार अन्य दोषियों को भी फांसी देने का प्रावधान नहीं है।

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निचली अदालत ने 17 जनवरी को निर्भया बलात्कार-हत्या के चारों दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था, जिसमें 1 फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया था। उससे पहले हुई सुनवाई 7 जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की थी।

फांसी की तारीख लगातार आगे बढ़ने पर अभियोजन पक्ष के वकील और निर्भया की मां ने कहा कि याचिका न्याय का मजाक है और यह फांसी को टालने की महज एक तरकीब है।

ब तक दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग कर लिया है। राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी इसमें शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी। मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी, वहां भी बुधवार 29 जनवरी को याचिका खारिज की जा चुकी है।

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