22 घंटे तक अस्पताल के बास्केटनुमा कूड़ेदान में खून से लथपथ हालत में तड़पती रही प्री-मैच्योर बच्ची, वीडियो हुआ वायरल

Update: 2020-05-28 12:38 GMT

कूड़ेदाननुमा टोकरी में रखी बच्ची को खून से लथपथ हालत में तड़पता देख किसी की भी रूह कांप जायेगी, मगर यह सब अस्पताल में हो रहा था, वीडियो में सुनाई दे रही हैं उसकी चीखें, जिन्हें सुन इंसानियत भी शर्मसार हो जायेगी, मगर किसी को नहीं सुनाई दीं उस मासूम की रोने की चीखें...

सोनीपत, जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच घोषित किये गये लॉकडाउन ने इंसानियत को तार—तार किया है। ऐसे में हरियाणा के सोनीपत के एक अस्पताल में एक ऐसा मामला आया है, जिसने डॉक्टर की नृशंसता को एक्सपोज करके रख दिया है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें दिख रहा है कि जन्म से पहले जन्मे एक बच्चे को टोकरीनुमा कूड़ेदान में रखा गया है, जहां वह खून से लथपथ हालत में पड़ा हुआ तड़प रहा है।

जानकारी के मुताबिक गांधी चौक स्थित एक निजी अस्पताल में एक गर्भवती ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। प्री-मैच्योर होने के कारण एक बच्चे की जन्म लेते ही मौत हो गई, जबकि दूसरी बच्ची को अंडरवेट बताते हुए डॉक्टर और उसके स्टाफ ने कूड़ेदान जैसी टोकरी में डाल दिया गया। इस कूड़ेदाननुमा टोकरी में रखी बच्ची को खून से लथपथ हालत में तड़पता देख किसी की भी रूह कांप जायेगी, मगर यह सब अस्पताल में हो रहा था, जिसका वीडियो देख इंसानियत शर्मसार हो जाये, बच्ची उसी में लगातार रोये जा रही है, मगर उस मासूम की चीख किसी को शायद ही सुनाई दी हो।

यह भी पढ़ें : लॉकडाउन के चलते खाने के पड़े लाले, मजदूर ने 22 हजार में बेच दिया 2 महीने का बच्चा

च्ची इस हालत में घंटों पड़ी रही, मगर अस्पतालकर्मियों या फिर परिजनों का दिल नहीं पसीजा कि उस मासूम की जान बचाने के लिए कोई कोशिश की जाये। 22 घंटे के बाद बच्ची को नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया गया, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक प्रभु नगर निवासी रवि दहिया ने बताया कि 25 मई शाम को पता चला कि अस्पताल में एक बच्ची कूड़ेदान जैसी बास्केट में पड़ी है। उसने 100 नम्बर पर पुलिस को फोन किया। सिविल लाइन थाना पुलिस से 2 पुलिसकर्मी पहुंचे और मुख्य चिकित्सक से इसका कारण पूछा। इस पर डॉक्टर ने बताया कि बच्ची प्री मैच्योर है और वजन मात्र साढ़े 400 ग्राम है। उसे बचाना मुश्किल है, इसलिए उसे बास्केट में डाला गया है।

शिकायतकर्ता रवि दहिया की जिद के कारण ही बच्ची 22 घंटे बाद नागरिक अस्पताल में पहुंचाया गया, जबकि बच्ची की जिंदगी डॉक्टर ने केवल 5 घंटे बताई थी। नागरिक अस्पताल में बच्ची की मौत हो गई। इधर, इस बारे में थाना सिविल लाइन प्रभारी दर्पण ‌कुमार का कहना है कि रवि दहिया ने शिकायत दी है। इस पर जांच की जा रही है। इसके बाद कारवाई की जाएगी।

यह भी पढ़ें : 15 वर्षीय बेटे की मौत पर पिता नहीं कर सका तेरहवीं का भोज तो गांव के लोगों ने किया समाज से बहिष्कार

हीं परिजनों का रुख भी इस मामले में बहुत असंवेदनशील रहा। परिजन जुड़वा बच्चों में से जिंदा बच्चे को बचाने की कोशिश करने के बजाय मरे हुए बच्चे का अंतिम संस्कार करने चले गए। बच्ची को अस्पताल में ही एक बास्केट में डालकर मरने के लिए छोड़ दिया गया। लग रहा था जैसे परिजन और चिकित्सक उसके मरने का इंतजार करने लगे।

वि दहिया की शिकायत नाम के बाद निजी अस्पताल में सिविल लाइन थाना पुलिस पहुंची, जहां बताया गया कि 6 माह की गर्भवती से यह बच्ची पैदा हुई है और उसका वजन 350 ग्राम है। उसको बचाया नहीं जा सकता है। नवजात रातभर डस्टबिन में ही तड़पती रही। इस घटना का वीडियो वायरल होने पर मंगलवार 26 मई की सुबह पुलिस को फिर से सूचित किया गया, तब जाकर पुलिस ने तब बच्ची को सामान्य अस्पताल की नर्सरी में भर्ती कराया। वहां उसी दिन शाम को बच्ची की मौत हो गई।

यह भी पढ़ें : कोरोना की भयावहता के बावजूद WHO किसी भी स्तर पर क्यों नहीं कर रहा लॉकडाउन का समर्थन

शिकायतकर्ता रवि दहिया कहते हैं, वह बार-बार अस्पताल प्रशासन व पुलिस से गुहार लगाता रहा कि बच्ची को इस तरह मरने के लिए न छोड़ा जाए, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। इस पर वह विधायक सुरेंद्र पंवार के पास गया और वहां से उनके पुत्र ललित को लेकर मौके पर पहुंचा। ललित ने भी अस्पताल प्रशासन से कहा कि आखिर बच्ची को इस प्रकार तड़पते हुए लावारिस क्यों छोड़ दिया गया, लेकिन अस्पताल प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में उसे अस्पताल में पहुंचाया गया।

स मामले में एसपी सोनीपत जश्नदीप सिंह रंधावा कहते हैं, 'मैं इसकी जांच करा रहा हूं। चिकित्सक या परिजन जिसके स्तर पर भी गड़बड़ी मिलेगी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के स्तर पर कार्रवाई में कोई ढिलाई हुई होगी तो उसकी भी जांच कराएंगे।

Tags:    

Similar News