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अंधविश्वास

15 वर्षीय बेटे की मौत पर पिता नहीं कर सका तेरहवीं का भोज तो गांव के लोगों ने किया समाज से बहिष्कार

Nirmal kant
23 May 2020 2:02 PM GMT
15 वर्षीय बेटे की मौत पर पिता नहीं कर सका तेरहवीं का भोज तो गांव के लोगों ने किया समाज से बहिष्कार
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एक पिता के साथ समाज कितना क्रूर व्यवहार कर रहा है जिसके बेटे की असमय मौत हो गयी। उसकी बिरादरी के लोग उसे सांत्वना देने की जगह बेटे की तेरहवीं न करने का ताना मार कर जलील कर रहे हैं...

जनज्वार ब्यूरो। यह कैसा समाज है? क्या इसे सभ्य कह सकते हैं? एक पिता को उनके समाज के लोगों ने बिरादरी से सिर्फ इसलिये बाहर कर दिया, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से वह बेटे की तेरहवीं का भोजन बिरादरी को नहीं करा पाया। यह कोई कहानी नहीं, सच है।

ध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के राज नगर थाना क्षेत्र के गांव खजवा में यह हुआ है। गांव निवासी 52 वर्षीय निवासी बृजगोपाल पटेल के परिवार को पंचायत ने यह फरमान सुनाया कि जब तक बिरादरी को तेरहवीं का खाना समाज को नहीं खिलाओगे तब तक बहिष्कार रहेगा। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बृजगोपाल पटेल के बेटे नीरज (15) की 9 मार्च काे गड्ढे में डूबने से मौत हो गयी थी।

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ब जैसे ही उसकी तेरहवीं का समय आया तो देश भर में लॉकडाउन लग गया। प्रशासन ने सभी तरह के कार्यक्रम पर रोक लगा दी। इस वजह से उन्होंने बेटे की तेरहवीं न करने का निर्णय लिया। उसने बताया कि क्योंकि प्रशासन का आदेश है कि भीड़ नहीं जुटनी चाहिये, इस वजह से उन्होंने यह निर्णय लिय था। बस जैसे ही तेरहवीं का दिन निकला तो उसी दिन से बिरादरी के कुछ लोग उसे ताने देने लगे। उसे व उसके परिवार को जलील किया जाता रहा।

पीड़ित ने बताया कि बस इसी को लेकर गांव के उसकी बिरादरी के धंजू पटेल, राकेश पटेल, राजा बाई मुखिया छन्नू कामता प्रसाद ने कुछ लोगों के साथ मिल कर उसके परिवार का बहिष्कार करने का प्रचार करना शुरू कर दिया। इसी बीच उन्होंने बिरादरी की एक पंचायत बुला फरमान जारी कर दिया कि जब तक वह समाज को भोजन नहीं कराएगा, तब तक उसका बहिष्कार रहेगा।

से अब सार्वजनिक नल से पानी भी नहीं भरने दिया जा रहा है। उसे ताने मारे जा रहे हैं। इस वजह से उसका जीना मुश्किल हो गया है। उसका पूरा परिवार इस वजह से परेशान है। उसने यह भी बताया कि लॉकडाउन में वह कैसे सामूहिक भोज करा सकता है। यह तो उस पर जबदस्ती का दबाव है। लेकिन उसकी बात को बिरादरी के लोग सुन ही नहीं रहे हैं।

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से में उसके सामने पुलिस के पास आने के सिवाय कोई रास्ता ही नहीं बचा है। क्योंकि उसे हर वक्त भय लगा रहता है कि उसके साथ या उसके परिवार के साथ किसी भी वक्त कोई अनहोनी हो सकती है। जिस तरह से गांव में उसके खिलाफ माहौल बना दिया गया है, उससे हर कोई नफरत कर रहा है। इस वजह से अब उसने अपनी समस्या को पुलिस के सामने रख इंसाफ मांगा है।

पीड़ित ने इस उत्पीड़न से परेशान होकर राजनगर थाने में एक शिकायत दी है। यहां के प्रभारी भिलाष भलावी ने बताया कि उन्हें शिकायम मिली है। मामले की जांच करा रहे हैं।

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