कोरोना वायरस से बचाव के लिए दवाई का छिड़काव करने से सफाईकर्मी संदीप की हुई मौत
संदीप अपने छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी का पालन-पोषण करने के लिए पड़ोसी जनपद कौशाम्बी के सिराथू नगर पंचायत में ठेकेदारी में काम करता था। दवा छिड़काव करने के बाद तकरीबन 12 बजे घर लौटते हुई उसकी हालत बिगड़ने लगी...
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के हथगांव के 32 वर्षीय निवासी संदीप कुनमार की कोरोना वायरस की दवाई का छिड़काव करते हुए 23 मार्च को मौत हो गई। सोमवार को ड्यूटी के दौरान अचानक हालात बिगड़ जाने के बाद ग्रामीणों और ईओ मनीष कुमार ने आनन फानन में संदीप को अस्पताल पहुंचया। जहां पर डॉक्टरों ने हालात को गंभीर देखते हुए संदीप को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जहां उसकी मौत हो गई। संदीप पंचायत सिराथू में संविदा कर्मचारी थे।
23 मार्च को संदीप को वार्ड नंबर तीन कैथनबाग व आईटीआई कॉलेज में दवा छिड़काव करने के लिए भेजा गया था। बिना मॉस्क के छिड़काव कर रहे संदीप को अचानक चक्कर आया और वह गिरकर तड़पने लगा यह देख लोगों के होश उड़ गए। घटना के बाद संदीप की मौत की जानकारी पीड़ित के परिवार को दे दी गई।
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संदीप अपने छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी का पालन-पोषण करने के लिए पड़ोसी जनपद कौशाम्बी के सिराथू नगर पंचायत में ठेकेदारी में काम करता था। दवा छिड़काव करने के बाद तकरीबन 12 बजे घर लौटते हुई उसकी हालत बिगड़ने लगी।सूचना पर नगर पंचायत के ईओ मनीष कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने एबुलेंस की मदद से संदीप को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया। हालात नाजुक होने पर डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इस दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
घटना पर भारतीय स्वच्छकार समाज मुक्ति मिशन के प्रदेश अध्यक्ष राजतिलक ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि संदीप अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए कौशाम्बी के सिराथू नगर पंचायत में ठेकेदारी में सफाईकर्मी था। कल 23 मार्च को उसकी मौत हो गई। दवाई का छिड़काव करने के दौरान दवा की गैस संदीप के सांस और नाक के जरिये उसके शरीर में घुस गई। जिसके बाद संदीप बेहोश हो गया। तभी साथ के लोगों ने उसे उठाकर अस्पताल ले गए जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया
राजतिलक आगे कहते है सरकार की तरफ से संदीप के परिवार को अभी किसी तरह की मदद की पेशकश नहीं की गई है। अगर वह सैनिक होता और शहीद होता तो करोड़ो रुपए की सहायता राशि के साथ उसके आश्रित को नौकरी मिलती और राजकीय सम्मान से उसका अंतिम लेकिन वो भंगी था।
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सदियों से उसके पुरखे मलमूत्र साफ कर मानव समाज को स्वच्छता प्रदान कर कीड़े मकोड़े से बद्दतर मौत मरते थे।अगर संदीप सैनिक होता तो सारा देश आंसू बहाता, करोड़ों रुपए की मदद की मांग करते सभी राजनेता उच्च अधिकारी उसकी मय्यत में शामिल होते।
लेकिन मरने वाला वीर भंगी है जो महामारी से आम जनता को बचाने कि लिए जंग लड़ते हुए शहीद हो गया। मैं भी भंगी हूं। अपनो के मरने का क्या दुख होता है। उसका मुझे अहसास होता है। कोई नमन करे या न करे मैं तो शहीद संदीप को बार बार नमन करता रहूंगा। मैं संदीप के लिए देश और प्रदेश की सरकार से मृतक आश्रित को एक करोड़ रुपए की सहायता, शहर में आवास आवंटित करने तथा एक आश्रित को सरकारी स्थायी नौकरी प्रदान करने की मांग करता हूं।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि घटना को लेकर लोग कीटनाशक से संदीप की मौत की आशंका जाहिर कर रहे हैं, लेकिन इस संबंध में ईओ ने फिलहाल मामला संदिग्ध बताते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ पता लगने की बात कही है।