Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

दुनिया के सबसे दुखी देशों में एक है भारत, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Janjwar Team
24 March 2020 9:57 AM GMT
दुनिया के सबसे दुखी देशों में एक है भारत, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
x

वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्सस में भारत का स्थान 144वां है, जबकि पड़ोसी देशों में सबसे अच्छे स्थान पर पाकिस्तान है, यह इंडेक्स में 66वें स्थान पर है। नेपाल, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार इस इंडेक्स में क्रमशः 92, 94, 107, 130 और 133वें स्थान पर हैं...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित सस्टेनेबल डेवलपमेंट सौल्युशंस नेटवर्क हरेक वर्ष वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स प्रकाशित करता है और पिछले सप्ताह प्रकाशित इसके 2020 के संस्करण में भारत का स्थान 144वां है, पिछले वर्ष भारत 140वें स्थान पर था। इस सूची में कुल 156 देश शामिल हैं। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स पिछले आठ वर्षों से प्रकाशित किया जा रहा है और भारत लगातार इस सूची में पिछड़ता जा रहा है।

भारत का पिछड़ना इस लिए भी आश्चर्य का विषय है क्योकि यहाँ प्रचंड बहुमत वाली ऐसी सरकार है जो लगातार जनता की हरेक समस्या सुलझाने का दावा करती रही है। सरकार के अनुसार उसने पानी, बिजली, कुकिंग गैस और इसी तरह की बुनियादी सुविधाएं हरेक घर में पहुंचा दी है, पर वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स तो यही बताता है कि दुनिया के सबसे दुखी देशों में हम शामिल हैं।

संबंधित खबर : पाकिस्तान में औरतों को न ज़िंदा रहते चैन मिलता है न मरने के बाद सुकून

स इंडेक्स में हमेशा की तरह यूरोप के नोर्डिक देश सबसे आगे हैं। सबसे खुश देशों में लगातार तीसरी बार फिनलैंड प्रथम स्थान पर है। इसके बाद डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड, आइसलैंड और नोर्वे हैं। इंडेक्स में सबसे नीचे के स्थान पर अफ़ग़ानिस्तान है। इसके पहले क्रम से साउथ सूडान, ज़िम्बाब्वे, रवांडा और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक हैं। भारत के पड़ोसी देशों में सबसे अच्छे स्थान पर पाकिस्तान है, यह इंडेक्स में 66वें स्थान पर है। नेपाल, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार इस इंडेक्स में क्रमशः 92, 94, 107, 130 और 133वें स्थान पर हैं।

स इंडेक्स में अमेरिका 18वें स्थान पर, यूनाइटेड अरब अमीरात 21वें, सऊदी अरब 27वें, सिंगापुर 31वें, ब्राज़ील 32वें, साउथ कोरिया 61वें, रूस 73वें, हांगकांग 78वें, लीबिया 80वें, साउथ अफ्रीका 109वें और इराक 110वें स्थान पर है। स्पष्ट है कि अपने नागरिकों को मौलिक अधिकारों से वंचित रखने वाले, गृहयुद्ध की विभीषिका झेलते और लम्बे आन्दोलनों के झेलते देश के नागरिक भी हमसे अधिक खुश हैं। वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2020 में जिन देशों की खुशी सबसे कम हो गयी है, उनमें भारत भी शुमार है। इस सन्दर्भ में अन्य देश हैं – वेनेज़ुएला, अफ़ग़ानिस्तान, लेसोथो और ज़ाम्बिया।

स बार के इंडेक्स में सामाजिक, शहरी और प्राकृतिक पर्यावरण का विशेष आकलन किया गया है। अनेक अध्ययन बताते हैं कि पर्यावरण के सन्दर्भ में समृद्ध देशों के लोग अधिक खुश रहते हैं। हाल में ही नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने ऐसे ही निष्कर्ष वाला एक शोधपत्र जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स के 5 मार्च के अंक में प्रकाशित किया है। इस अध्ययन के लिए इस दल ने ऑटोमेटेड इमेज रिकग्निशन सिस्टम की मदद से 185 देशों के नागरिकों द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए कुल 31500 फोटोग्राफ्स के कैप्शन या फिर टैग्स का विश्लेषण किया।

जिन फोटोग्राफ्स को मजा (Fun), छुट्टियां (Vacations) या फिर हनीमून के साथ टैग किया गया था, उनमें से हरेक में प्रकृति के रंग जैसे पहाड़, जंगल, जंगली जानवर, पक्षी, नदियाँ या झीलें जरूर थे। दूसरी तरफ रोजमर्रा या फिर सामान्य जैसे टैग वाले फोटोग्राफ्स से प्रकृति के रंग गायब थे। अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि जिस देश के लोग प्रकृति के जितने करीब होते हैं उतना ही अधिक संतुष्ट रहते हैं। जाहिर है, जब आप संतुष्ट रहेंगे तभी खुश भी रहेंगे।

स बार के वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में दुनिया के चुनिन्दा देशों के शहरों के लोगों के हैप्पीनेस स्टार का भी आंकलन किया गया था। कुल 186 देशों की सूची में भारत का अकेला शहर दिल्ली शामिल है जो 180वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार शहरों का अलग से आकलन इसलिए जरूरी हो गया है क्योकि अब दुनिया की आधी से अधिक आबादी, 55.3 प्रतिशत यानि 4.2 अरब लोग शहरों में रहते हैं और वर्ष 2040 तक यह आबादी डेढ़ गुना बढ़कर 6 अरब तक पहुँच जायेगी।

र्ष 2000 में दस लाख या अधिक आबादी वाले 371 शहर थे, जिनकी संख्या 2018 के अंत तक 548 तक पहुँच गयी और अनुमान है की वर्ष 2030 तक ऐसे 706 शहर हो जायेंगे। एक करोड़ से अधिक आबादी वाले वर्तमान में 33 शहर हैं और वर्ष 2030 तक इनकी संख्या बढ़कर 43 हो जायेगी।

संबंधित खबर : भारत के प्रत्येक 10 में से 1 किशोर पर हुआ साइबर हमला, 50 प्रतिशत ने भी नहीं की रिपोर्ट : स्टडी

हरों की सूची में सबसे ऊपर फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी का स्थान है, इसके बाद डेनमार्क का आरहस, न्यूज़ीलैण्ड का वेलिंगटन, स्विट्ज़रलैंड का जुरिख और डेनमार्क का कोपेनहेगेन शहर है। शहरों के इंडेक्स में अंतिम स्थान पर अफ़ग़ानिस्तान का काबुल शहर है, और इससे ऊपर यमन का सना, फिलिस्तीन का गाजा, हैती का पोर्ट औप्रिंस और साउथ सूडान के जुबा शहर हैं। बीजिंग का स्थान 134वां, लाहोर का 122वां, करांची का 117वां, काठमांडू का 195वां और शंघाई का 84वां स्थान है।

स इंडेक्स से इतना तो स्पष्ट है की हमारे देश के लोग सरकार पर भले ही भरोसा करते हों पर संतुष्ट नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान जिस तरह से किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, नौकरी से छटनी, आपसी वैमनस्व और असहिष्णुता जैसी समस्याएं विकराल स्वरुप में उभरीं हैं उसने पूरे समाज को प्रभावित किया है और समस्याओं से घिरा समाज कभी खुश नहीं रह सकता।

Next Story

विविध