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बंगाल चुनाव: सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस-वामदल और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के बीच आज होगी अहम बैठक
File photo
जनज्वार। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान होते ही सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। राजनीतिक दलों द्वारा गठबंधनों के पेंच सुलझाने की कोशिश शुरू हो गई है। सारे कील-कांटे दुरुस्त करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। इस कड़ी में आज शनिवार को कांग्रेस-वाम गठबंधन और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के आला नेताओं की संयुक्त बैठक होने जा रही है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस, लेफ्ट पार्टीज और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के बीच चुनावी तालमेल को लेकर वार्ता काफी पहले से चल रही है। आज की बैठक में घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर मुख्य चर्चा होने की बात बताई जा रही है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष के आसार बनते जा रहे हैं। सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल कर मैदान में उतर सकती है तो बीजेपी भी इस बार पूरा जोर लगा रही है और एक ध्रुव बनकर उभर रही है।
वहीं राज्य में लंबे समय तक सत्ता में रहे वामदल इस बार कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर चुनावी समर में उतरने वाले हैं। कांग्रेस-वामदल गठबंधन का इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ भी तालमेल होने को लेकर लगातार वार्ताओं का दौर चल रहा है।
उधर तृणमूल कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। साल 2011 और 2016 के पिछले विधानसभा चुनावों में उसने जीत हासिल की थी। लंबे समय से राज्य सत्ता की बागडोर उसके हाथों में है। खासकर साल 2016 में उसे 211 सीटें मिली थीं। वहीं बीजेपी को क्रमश: 0 और 3 सीटें मिली थीं।
हालांकि पांच वर्ष पहले के मुकाबले हालात बहुत हद तक बदले भी हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी राज्य की 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी और लोकसभा चुनावों में उसका वोट पर्सेंट भी 40.64 रहा।
वैसे लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में मुद्दे निहायत ही अलग होते हैं और चुनावों में मतदान का ट्रेंड भी बिल्कुल अलग होता है, इसलिए लोकसभा चुनावों के नतीजों को विधानसभा चुनाव के लिए ट्रेंड नहीं माना जा सकता।
पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना, नॉर्थ 24 परगना, मुशिदाबाद, हुगली, मालदा, हावड़ा, पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, बर्दवान और नादिया जिले चुनावों में टीएमसी के लिए मुफीद साबित होते रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को 150 से ज्यादा सीटें यहीं से मिली थीं। दूसरी तरफ जिस हिसाब से बड़ी तादाद में टीएमसी के अहम सदस्यों ने बीजेपी जॉइन की है, उसे देखकर बीजेपी उत्साह में है। इन लोगों में मुकुल रॉय से लेकर सुवेंदु अधिकारी शामिल हैं।
इन दोनों के बीच एक तीसरा फ्रंट भी अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन सवाल अभी भी बना है कि इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ मिलकर कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन बीजेपी और तृणमूल के वोटबैंक में कितनी सेंध लगा पाएंगे।