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कोविड -19

फिर से कोरोना के मामले बढ़ते ही शुरू होगी ऑक्सीजन की किल्लत, टॉप पर विराजमान होगा भारत

Janjwar Desk
27 May 2021 12:47 PM GMT
फिर से कोरोना के मामले बढ़ते ही शुरू होगी ऑक्सीजन की किल्लत, टॉप पर विराजमान होगा भारत
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ऑक्सीजन के मामले में भारत पाकिस्तान, ईरान या नेपाल जैसा ही है

भारत में प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री सभी कोविड 19 से निपटने की चर्चा करते हैं, पर इसमें कहीं भी मेडिकल ऑक्सीजन को एक अति आवश्यक और आपातकालीन सेवा की तरह मान्यता दी जाती है....

महेंद्र पाण्डेय ​की टिप्पणी

जनज्वार। यदि कभी कोई तथाकथित विश्वगुरु का सही और तटस्थ इतिहास लिखेगा तो उसमें कोविड 19 के दौर में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का जिक्र जरूर करेगा। इस मंजर को देश के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को छोड़कर पूरी दुनिया ने देखा, पर ऐसा नहीं है कि हमारे देश में ऑक्सीजन की कमी से मौतें पहली बार हो रही है।

सामान्य अवस्था में यानी कोविड 19 के दौर के पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं और यकीन मानिए कोविड 19 के दौर के बाद भी ऑक्सीजन की कमी से मौतें समाचार की सुर्खियाँ बनती रहेंगी। बस अंतर यह होता है कि सरकार और मीडिया अब खुलेआम ऐसी खबरों को दबाती है, फिर भी यदि यह उजागर होता है तो एक चहरे को बलि का बकरा घोषित कर दिया जाता है। अगस्त 2017 को गोरखपुर का वाकया सबको याद होगा, जब एक साथ 60 बच्चों की मौत केवल इसलिए हो गयी, क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन ख़तम हो गया।

मीडिया में खबर आते ही मुख्यमंत्री ने अस्पताल का दौरा कर ऑक्सीजन की कमी उजागर करने वाले डॉ कफील खान को देख लेने की धमकी दी और फिर बाद में जेल भेज दिया, नौकरी से बर्खास्त कर दिया। यह एक सनकी और मुस्लिमों के दमन करने वाले मुख्यमंत्री का आदेश था।

संयुक्त राष्ट्र के यूनिसेफ ने 12 नवम्बर 2020 को एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी। इसके अनुसार घातक न्यूमोनिया से विश्व में हरेक वर्ष 42 लाख बच्चे प्रभावित होते हैं, और इनमें से शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण लगभग 8 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इसमें से अधिकतर मृत्यु का कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोताही बरतना रहता है। दुनिया के पांच देशों – भारत, इथियोपिया, नाइजीरिया, केन्या और यूगांडा – में ऐसी मौतों का आंकड़ा दुनिया में होने बाली कुल मौतों में से एक-तिहाई से अधिक रहता है। कोविड 19 के दौर में बच्चों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या और भी विकट है क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं का सारा ध्यान कोविड 19 पर ही है। इस प्रेस रिलीज़ में सुझावों में पहला सुझाव अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुनिश्चित करना ही है।

ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नामक संस्था ने अनेक दूसरी संस्थाओं से विभिन्न देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति, कुल मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन और कोविड 19 के टीकाकरण की दर का विस्तृत अध्ययन कर बताया है कि दुनिया में लगभग 20 ऐसे देश हैं, जहां कोविड 19 के मामले बढ़ते ही फिर से ऑक्सीजन की किल्लत हो जायेगी। इन देशों में हमारे देश तथाकथित विश्वगुरु का नाम सबसे पहले लिखा गया है।

भारत के अतिरिक्त अन्य प्रमुख देश हैं – अर्जेंटीना, ईरान, नेपाल, फिलीपींस, मलेशिया, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, इक्वेडोर, लाओस, नाइजीरिया, इथियोपिया, मलावी, ज़िम्बाब्वे और कोस्टा रिका। इस अध्ययन के अनुसार इन देशों में ऑक्सीजन आपूर्ति इस कदर लचर है कि इससे पूरा स्वास्थ्य तंत्र ही डूब जाता है।

पिछले वर्ष जून में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की थी कि आने वाले समय में पूरी दुनिया में ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स की कमी हो सकती है। ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स से ही ऑक्सीजन को सिलिंडर में भरा जाता है, जिसका उपयोग अस्पतालों में किया जा रहा है। इस समय भी अनेक देश इसकी कमी का सामना कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस के अनुसार अनेक देशों में ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति की तुलना में अधिक हो गई है।

ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के अनुसार दुनिया में मार्च 2021 के बाद दुनिया के बहुत सारे देशों में कोविड 19 की नई और पहले से खतनाक लहर आई है और प्रभावित देशों में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में औसतन 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, पर इनमें से अधिकतर देशों में अभी तक 2 प्रतिशत से कम आबादी को ही कोविड 19 का टीका लगा है। जाहिर है, ऐसे देशों में कोविड 19 के अगली लहर का खतरा बरकरार है।

अधिकतर गरीब और विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की कमी पहले भी थी, पर कोविड 19 के दौर में इसकी अचानक बढ़ी मांग ने स्वास्थ्य सेवाओं को जर्जर कर दिया है। पिछले वर्ष और इस वर्ष जनवरी में ब्राज़ील और पेरू में ऑक्सीजन की कमी का घातक परिणाम दुनिया देश चुकी है, पर अफ़सोस यह है की भारत जैसे विकासशील देशों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। भारत में कोविड 19 की नई लहर में ऑक्सीजन की कमी का अंदेशा अनेक संस्थाएं पहले भी जता चुकी थीं और सरकार को पहले से आगाह कर चुकी थीं।

कोविड 19 ऑक्सीजन इमरजेंसी टास्कफोर्स के अध्यक्ष रोबर्ट मतिरू के अनुसार जिन देशों में स्वास्थ्य सेवायें पहले ही लचर हालत में हैं, वहां कोविड 19 की हरेक नई लहर इन सेवाओं को पहले से भी अधिक जर्जर कर देगी, इसका मुख्य कारण ऑक्सीजन की कमी ही होगा। भारत में मई के अंत तक स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की सामान्य खपत की तुलना में 155 लाख घनमीटर ऑक्सीजन की अधिक खपत हो रही थी। ऑक्सीजन की यह मात्रा मार्च की तुलना में 14 गुना अधिक थी।

ऑक्सीजन के लिए जब देश में हाहाकार मचने लगा, तब भारत सरकार ने इसका निर्यात बंद कर दिया, जिसका असर पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार पर पड़ा क्योंकि ये सभी देश ऑक्सीजन का भारत से आयात करते हैं। ये सभी देश इस दौर में ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं, क्योंकि भारत में पनपे कोविड 19 के नए स्वरूप का असर हरेक पड़ोसी देश पर पड़ रहा है। नेपाल में मार्च की तुलना में ऑक्सीजन की मांग मई में 100 गुना तक बढ़ गयी है। श्रीलंका में यह वृद्धि सात गुना है, जबकि पाकिस्तान में इसकी मांग 60 प्रतिशत बढ़ गयी है।

दुनिया में अनेक देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की समस्या इसलिए है क्योंकि वहां इसका पर्याप्त उत्पादन ही नहीं किया जाता। गैसवर्ल्ड बिज़नस इंटेलिजेंस नामक संस्था के अनुसार दुनिया में जितने लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है, उसमें में महज 1 प्रतिशत ही मेडिकल ऑक्सीजन है और शेष 99 प्रतिशत इंडस्ट्रियल ग्रेड ऑक्सीजन है। इराक में हरेक दिन 64000 घन मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है, यदि सारे औद्योगिक उपयोग रोककर भी सारा ऑक्सीजन स्वास्थ्य सेवाओं को दिया जाए तब भी कोविड 19 के चरम स्थिति में होने पर महज एक-तिहाई मांग पूरी की जा सकेगी।

कोलोम्बिया में यह आंकड़ा दो-तिहाई तक पहुंचेगा और पेरू में 80 प्रतिशत तक। रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कहीं भी खनन, स्टील, औद्योगिक और पेट्रोलियम क्षेत्र में कभी भी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती, तो फिर स्वास्थ्य सेवाओं में इसकी लगातार कमी निश्चित तौर सरकारों की जनस्वास्थ्य की उपेक्षा को दर्शाता है।

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर्याप्त मात्र में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है, पर यहाँ बेहिसाब सरकारी लापरवाही है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री सभी कोविड 19 से निपटने की चर्चा करते हैं, पर इसमें कहीं भी मेडिकल ऑक्सीजन को एक अति आवश्यक और आपातकालीन सेवा की तरह मान्यता दी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार हरेक देश को एक राष्ट्रीय मेडिकल ऑक्सीजन नीति बनाना चाहिए, जिससे इसका प्रबंधन आसानी से किया जा सके।

सन्दर्भ : unicef.org

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