ऑक्सीजन की किल्लत पर बत्रा अस्पताल के डॉक्टर का दर्द, 'मुझे नहीं पता यह देश कौन चला रहा है'
कोरोना के चरम पर अस्पतालों के बाहर का ये हो गया था ये आम दृश्य
जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में कोविड की दूसरी लहर के बीच लगातार बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या से ऑक्सीजन का संकट गहराता जा रहा है। बीते शनिवार 1 मई को दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि सोमवार को कर्नाटक के एक अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत से 24 मरीजों की जान चली गई। हर कहीं ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार का माहौल है। ऐसे में दिल्ली में बत्रा हॉस्पिटल के निदेशक ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह देश कौन चला रहा है।
दिल्ली स्थित बत्रा हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ एससीएल गुप्ता देश में ऑक्सीजन संकट पर बोले कि यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है। मरीज मर रहे हैं क्योंकि हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है। कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए आपको ऑक्सीजन, दवाई और टीकाकरण की आवश्यकता होती है और हमारे पास कुछ भी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, सरकार कहती है कि देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे हैं। न्यायपालिका या कार्यपालिका? मुझे नहीं पता कि यह देश कौन चला रहा है।
डॉक्टर एससीएल गुप्ता कहते हैं, कोरोना की पहली लहर से भी किसी ने कोई सबक नहीं लिया। अस्थायी अस्पताल कोई विकल्प नहीं हैं। सरकार वहां ऑक्सीजन भेज रही है, लेकिन बड़े अस्पतालों में नहीं भेज रही। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई कि हमें पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया कराई जाए। डॉक्टर गुप्ता ने यह भी सवाल उठाया कि पिछले 14 महीनों में सरकार आखिर कर क्या रही थी?
विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे नर्सिंग होम और क्लीनिक में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पड़ी है, डाटा तैयार करना होगा। आवश्यक अस्पतालों की अपनी कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता होनी चाहिए, लोग अपने दरवाजे पर ऑक्सीजन की आपूर्ति क्यों नहीं पा सकते हैं? ऐसे लोग हॉस्पिटल क्यों जाएं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं है?