KVS Admission Quota : केंद्रीय विद्यालयों में सांसद - मंत्री का कोटा खत्म, 15000 SC, ST और OBC छात्रों को मिलेगा लाभ
KVS Admission Quota : केंद्रीय विद्यालय संगठन ( KVS ) ने शिक्षा सत्र 2022-23 के अन्तर्गत अपने स्कूलों में दाखिले को लेकर दो दिन पहले यानि 14 अप्रैल को एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अगले आदेश तक केंद्रीय शिक्षा मंत्री, सांसदों और जिलाधिकारियों के कोटे सहित विशेष प्रावधानों के तहत केन्द्रीय विद्यालयों ( Kendriya Vidhyalaya ) में प्रवेश ( Admission ) पर रोक तत्काल प्रभाव से रोग लगा दी गई है। केवीएस मुख्यालय की ओर से जारी ताजा परिपत्र के मुताबिक अगले आदेश तक विशेष प्रावधानों के तहत कोई प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
यह क़दम उस समय उठाया गया है जब सांसदों की ओर से कोटा बढ़ाने की मांग की जा रही थी। संसद के बजट सत्र में भी उठा था यह मसला। भाजपा सांसदों ने भी यह बात उठाई थी। भाजपा नेता और सांसद विवेक ठाकुर ने राज्यसभा में केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा बढ़ाने की मांग की थी। उनका कहना था कि कोटा खत्म करने के बजाय बढ़ाया जाना चाहिए। ख़ासकर बिहार जैसे ग़रीब राज्यों के लिए यह बेहद ज़रूरी है। इसके जरिए ही ग़रीब और जरूरतमंद बच्चों के एडमिशन होते हैं। वहीं, कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के एमपी और डीएम कोटे सहित विशेष प्रावधानों के तहत केवीएस स्कूलों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत किया है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने हाल ही में संपन्न संसद के बजट सत्र में यह मुद्दा उठाया था और केंद्रीय विद्यालयों में इस तरह के कोटा को खत्म करने की मांग की थी। लगभग इसी तरह की मांग कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी की थी।
15000 एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को मिलेगा लाभ
सांसद सुशील मोदी का कहना है कि इस फैसले से हर साल लगभग 15,000 एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों को फायदा होगा। केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश में ऐसे नामांकन में न तो आरक्षण नियमों का पालन किया जाता है और न ही प्रवेश का आधार मेरिट है। इसलिए आरक्षण और नामांकन के लिए पात्रता के आधार पर एक झटके में 30,000 सीटें बढ़ जाएंगी।
कोरोना से माता-पिता को खोने वाले बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता
केंद्रीय विद्यालय संगठन ( Kendriya Vidhyalaya Sangathan ) ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि केवीएस में उन छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा, जिन्होंने कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है। इस वर्ष कक्षा एक से 12वीं तक किसी भी कक्षा के लिए सभी केंद्रीय विद्यालय में इस नियम का पालन किया जाएगा। बता दें कि भारत में पांच लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हुई है। इनमें से जो बच्चें केंद्रीय विद्यालय में पढ़ना चाहेंगे उन्हें प्रवेश दिया जाएगा।
2021 में हुए थे विशेष प्रावधानों के तहत 1,75,261 दाखिले
लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में 21 विशेष प्रावधानों के तहत केवी में 1,75,261 दाखिले हुए। इसमें सांसदों के कोटे के माध्यम से 7,301 शामिल हैं, जिसके तहत प्रत्येक सांसद प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में कक्षा I से IX में प्रवेश के लिए 10 मामलों की सिफारिश कर सकता है। नियमों के तहत, 10 नाम उन बच्चों तक ही सीमित होने चाहिए जिनके माता-पिता उनके निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित हैं।
माननीयों के विशेषाधिकार पर चोट
केंद्रीय विद्यालय समिति ने इस फैसले के जरिए उन माननीयों के विशेषधिकारों को समाप्त किया है जो हर साल 10 एडमिशन अपने क्षेत्र के केंद्रीय विद्यालयों में कराते आये हैं। इन माननीयों में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के 795 सांसद और देश के 734 जिलों के डीएम शामिल हैं। हर जिले के डीएम हर साल कितना एडमिशन कराते आये हैं इस बात का जिक्र नहीं है लेकिन शिक्षा मंत्री 450 और प्रत्येक सांसद 10 एडमिशन कराते आये हैं। डीएम की ओर से कराए गए प्रवेश को छोड़ दें तो 8400 एडिमशन शिक्षा मंत्री और सांसद हर साल केंद्रीय विद्यालयों में कराते आये हैं।
इस व्यवसथा के तहत पिछले साल तक हर सांसद अपने क्षेत्र के केंद्रीय विद्यालय में 10 एडमिशन कराते आये हैं। लोकसभा सांसद अपने इलाक़े के केंद्रीय विद्यालयों में और राज्यसभा सांसद अपने राज्य में। इसके लिए उनको कूपन जारी किए जाते थे। इस बार यह कूपन नहीं दिए गए। केंद्रीय विद्यालय संगठन की तरफ से निर्देश जारी किए गए हैं कि अगले आदेश तक स्पेशल प्रावधान (कोटा) के तहत कोई दाखिला नहीं होगा।
सांसदों ने की थी कोटा बढ़ाने की मांग
भाजपा नेता और सांसद विवेक ठाकुर ने राज्यसभा में केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा बढ़ाने की मांग की थी। उनका कहना था कि कोटा ख़त्म करने के बजाय बढ़ाया जाना चाहिए। ख़ासकर बिहार जैसे ग़रीब राज्यों के लिए यह बेहद जरूरी है। इसके जरिए ही गरीब और जरूरतमंद बच्चों के एडमिशन होते हैं।
2010 में कपिल सिब्बल को लेना पड़ा था कोटा खत्म करने का आदेश वापस
सांसदों का कोटा पहले 6 था। 2016-17 में इसे बढ़ाकर 10 किया गया। इसके अलावा एक कोटा एजुकेशन मिनिस्टर का भी होता था, 450 दाखिले का। सांसद या नेताओं के ज़रिए ये सिफारिशें मंत्रालय तक आती थीं। केंद्र सरकार ने मिनिस्ट्री का यह कोटा पिछले साल ही ख़त्म कर दिया था। इससे पहले भी सांसदों के कोटे पर तलवार चल चुकी है। 2010 में यूपीए-2 में एचआरडी मिनिस्टर रहे कपिल सिब्बल ने यह कैंची चलाई थी। तब संसद के भीतर और बाहर भारी विरोध हुआ और दो महीने के भीतर ही फैसला वापस लेना पड़ा। हालांकि तब सिब्बल ने सांसदों का कोटा बहाल किया, पर शिक्षा मंत्री का नहीं। 2014 में स्मृति ईरानी एचआरडी मिनिस्टर बनने के बाद इस कोटे को वापस ले आईं।
दाखिले के लिए न्यूनतम एज 6 वर्ष
नई शिक्षा नीति 2020 ( NEP 2020) के तहत केंद्रीय विद्यालयों में पहली कक्षा में दाखिला पाने के लिए जहां इस वर्ष न्यूनतम आयु 6 वर्ष कर दी गई है, वहीं पिछले वर्ष तक पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु सीमा 5 वर्ष थी। इस वर्ष नई शिक्षा नीति के अनुपालन हेतु यह बदलाव किया गया है। बीते वर्ष जारी किए गए सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड के नतीजों में केंद्रीय विद्यालय सबसे आगे थे। केंद्रीय विद्यालयों में सीबीएसई दसवीं बोर्ड का रिजल्ट 100 फीसदी रहा है। यानी केंद्रीय विद्यालय के सभी छात्र दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण हो गए हैं।