Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

शिवपति पीजी कॉलेज में आयोग के प्राचार्य को प्रबंधन ने नहीं दी नियुक्ति, अब खतरे में कार्यवाहक प्राचार्य की नौकरी : योगीराज में उच्च शिक्षा में मनमानी

Janjwar Desk
29 Oct 2022 9:16 PM IST
शिवपति पीजी कॉलेज में आयोग के प्राचार्य को प्रबंधन ने नहीं दी नियुक्ति, अब खतरे में कार्यवाहक प्राचार्य की नौकरी : योगीराज में उच्च शिक्षा में मनमानी
x

शिवपति पीजी कॉलेज में आयोग के प्राचार्य को प्रबंधन ने नहीं दी नियुक्ति, अब खतरे में कार्यवाहक प्राचार्य की नौकरी : योगीराज में उच्च शिक्षा में मनमानी

डॉ. अरविंद ने आयोग में मिलकर सात मई वर्ष 1995 को भूगोल प्रवक्ताओं की जारी योग्यता सूची के तिथि के ही दिन सात मई 1995 को अतिरिक्त नामों की सूची जारी करा क्रमांक दो पर अपना नाम अंकित करा दिया, इस प्रकार यह फर्जी नियुक्ति कराकर नौकरी कर रहे हैं...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Shivpati PG college : उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ राजघराने द्वारा स्थापित शिवपति पीजी कॉलेज (Shivpati PG College, Siddharthnagar) का विवादों से गहरा नाता है। कभी नामांकन में मनमानी फीस के आरोप का सवाल हो या आयोग द्वारा प्राचार्य नामित करने के बाद भी उन्हें नियुक्त न करने का मामला। अब एक नया विवाद यहां के कार्यवाहक प्राचार्य को लेकर शुरू हो गया है। इनकी नियुक्ति ही सवालों के घेरे में है। महाविद्यालय के ही एक प्रवक्ता द्वारा लगाए गए इस आरोप के बाद अब राजभवन ने जांच का आदेश दे दिया है, जिसके चलते अगले एक सप्ताह में कार्रवाई तय मानी जा रही है।

यह विवाद शुरू हुआ महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रवक्ता प्रलभ बघ्न पाठक' के शिकायती पत्र के बाद। 22 जुलाई 2022 को कार्यवाहक प्राचार्य. डॉ अरविन्द कुमार सिंह की फर्जी नियुक्ति का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी। कॉलेज के भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता ने चार बिंदुओं पर पत्र भेज कर फर्जी नियुक्ति समेत अन्य आरोप लगाए हैं। इसे राजभवन ने संज्ञान लेते हुए 22 सितंबर को कुलपति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय को जांच करने का आदेश जारी किया।

शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए कुलाधिपति के विशेष कार्यधिकारी ने कुलपति को प्रकरण का संज्ञान लेते हुए नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कुलपति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थ नगर द्वारा 20 अक्टूबर को क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर के संयोजक में 3 सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है।


भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता प्रलभ बघ्न नारायण पाठक ने राज्यपाल-कुलाधिपति को 4 बिंदुओं पर भेजे शिकायती पत्र में बताया है कि कॉलेज में वर्तमान कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. अरविंद कुमार सिंह हैं। 26 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग इलाहाबाद की ओर से सात मई 1995 में भूगोल प्रवक्ता अभ्यर्थियों की योग्यता सूची जारी हुई थी, जिसमें डॉ. अरविंद कुमार सिंह का नाम किसी भी क्रमांक पर अंकित नहीं था।

इतना ही नहीं वर्ष 1990 से 1999 तक विद्यालय प्रबंध समिति कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से अनुमोदित नहीं है। इस प्रकार 1990 से वर्ष 1999 तक कोई लीगल प्रबंधक भी नहीं है, जबकि डॉ. अरविंद ने आयोग में मिलकर सात मई वर्ष 1995 को भूगोल प्रवक्ताओं की जारी योग्यता सूची के तिथि के ही दिन सात मई 1995 को अतिरिक्त नामों की सूची जारी कराकर क्रमांक दो पर अपना नाम अंकित करा दिया। इस प्रकार यह फर्जी नियुक्ति कराकर नौकरी कर रहे हैं।

शिकायतकर्ता ने इन सभी बिंदुओं के साक्ष्य संलग्न करते हुए बताया है कि वर्तमान में कार्यवाहक प्राचार्य सरकार को धोखा देकर तथ्य गोपन करके वर्तमान में वेतन ले रहे हैं। इस सभी बिंदुओं पर सक्षम अधिकारियों की कमेटी गठित कर जांच कराई जाए, ताकि एक जनवरी 1996 से जुलाई 2022 तक वेतन रिकवरी और पद से हटाने की व्यवस्था हो सके। शिकायकर्ता के इस पत्र का राज्यपाल ने संज्ञान लिया। कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल जानी ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति को पत्र भेजकर जांच कराने को कहा है।

चार सदस्यीय कमेटी कर रही जांच

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलसचिव ने राज्यपाल के पत्र के सापेक्ष में जांच कमेटी का गठन किया है। जांच कमेटी का क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी गोरखपुर को संयोजक बनाया गया है। साथ ही कमेटी में सदस्य के रूप में बुद्ध विद्यापीठ महाविद्यालय नौगढ़ के प्राचार्य व सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरिश कुमार शर्मा को नामित किया गया है। जबकि सचिव सिद्धाथ विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव दीनानाथ यादव को बनाया गया है। इस कमेटी को जांचकर शीघ्र आख्या प्रस्तुत करने का निर्देष दिया गया है।


कार्यवाहक प्राचार्य के पद पर रहते जांच होगी प्रभावित

महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रवक्ता व इस प्रकरण के शिकायतकर्ता प्रलभ बघ्न पाठक ने कुलपति को पत्र लिखकर यह शिकायत कि है कि जब तक जांच चल रही है तब तक शिवपति पी जी कॉलेज, शोहरतगढ़, सिद्धार्थ नगर के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ अरविन्द सिंह की जगह किसी और को कार्यवाहक प्राचार्य का चार्ज दिया जाए, जिससे जांच में बाधा उत्पन्न न हो। हालांकि इस मामले में कुलपति ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बीच शिकायतकर्ता ने कहा कि जांच में पारदर्शिता के लिए कार्यवाहक प्राचार्य का बने रहना उचित नहीं है।

जल्द शुरू होगी जांच प्रक्रिया

जांच कमेटी के संयोजक क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी गोरखपुर अश्वनी मिश्र ने कहा कि छठ पूजा के बाद जांच प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। शिकायत के सभी विंदुओं की जांच के बाद जल्द ही कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने कहा कि जांच को प्रभावित करने की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं होगी। जांच तक कार्यवाहक प्राचार्य को पद से हटाने की मांग के सवाल पर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने कहा कि फिलहाल यह संज्ञान में नहीं है। हर आदमी को अपनी बात रखने का अधिकार है। इससे जांच कमेटी को कोई लेना देना नहीं है।

कार्यवाहक प्राचार्य ने कहा शिकायत फर्जी

महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य डा. अरविंद कुमार सिंह से आरोपों के संबंध में पूछे जाने पर जनज्वार को बताया कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि नियमानुसार हमारी नियुक्ति हुई है। शिकायतकर्ता हमारे यहां कार्यरत नहीं है। जानबूझकर महाविद्यालय को बदनाम करने व परेशान करने के के लिए यह शिकायत की गई है। उन्होंने राजभवन के जांच का आदेश देने के सवाल पर कहा कि कोई भी शिकायत मिलने पर जांच तो होगी ही, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जांच में सभी आरोप स्वतः खारिज हो जाएंगे।

आयोग से नामित प्राचार्य को नहीं मिली तैनाती

कार्यवाहक प्राचार्य के फर्जी नियुक्ति के प्रकरण एक माह पूर्व ही गरमाया था। उसके पहले राज्य में उच्च शिक्षा आयोग ने नियमानुसार कार्रवाई करते हुए महाविद्यालयों में रिक्त प्राचार्य के पदों पर तैनाती की अनुशंसा करते हुए सूची जारी की थी। इस क्रम में शिवपति पीजी कॉलेज में डॉ. जेबी पाल को नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया। डॉ. जेबी पाल गोण्डा के लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

डॉ. जेबी पाल कहते हैं, उन्होंने नियुक्ति के लिए महाविद्यालय प्रबंधन से संपर्क किया तो उसने आनाकानी शुरू कर दी। नियुक्ति देने के बजाए लगातार अवरोध पैदा किया गया, जिसके चलते हमने अंत में स्वयं ही वहां न जाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि प्राचार्य शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए होता है, न की प्रबंधन से टकराव लेने के लिए। ऐसे में हमने अपने पूर्व के पद पर ही बने रहना बेहतर समझा।

Next Story

विविध