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पर्यावरण

तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए हर साल कोयले से बिजली उत्पादन में 6 फीसदी की कटौती जरूरी, वैज्ञानिकों की चेतावनी

Janjwar Desk
12 April 2024 4:30 PM GMT
तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए हर साल कोयले से बिजली उत्पादन में 6 फीसदी की कटौती जरूरी, वैज्ञानिकों की चेतावनी
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वैज्ञानिक लगातार ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन और तापमान में बढ़ोत्तरी के प्रति आगाह कर रहे है, पर दुनियाभर की सरकारों और उद्योगों को चेतावनी नजर नहीं आ रही है। पूंजीवाद पूरी दुनिया के विनाश पर तुला है और सरकारें इस नरसंहार में पूजीवाद के साथ खड़ी हैं....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The concentration of heat-trapping greenhouse has reached to record level in 2023, and March 2024 saw new temperature record for tenth consecutive month. यूरोप के कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने हाल में बताया है कि मार्च 2024 लगातार ऐसा दसवां महीना था, जब वैश्विक स्तर पर तापमान वृद्धि का रिकॉर्ड ध्वस्त हुआ है। मार्च 2024 में वैश्विक स्तर पर मार्च के तापमान की तुलना में सर्वाधिक तापमान दर्ज किया गया है। इससे पहले मार्च महीने के तापमान का रिकॉर्ड वर्ष 2016 में दर्ज किया गया था, पर इस वर्ष का औसत तापमान पिछले रिकॉर्ड से भी 0.1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा और पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में यह वृद्धि 1.68 डिग्री सेल्सियस अधिक रही।

यही नहीं, पिछले 12 महीनों का औसत तापमान पूर्व औद्योगिक काल से 1.58 डिग्री सेल्सियस रहा है। पिछले 15 वर्षों से धरती के औसत तापमान बढ़ने की दर 0.3 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक रही है, जबकि 1970 से 2008 तक यह औसत 0.18 डिग्री सेल्सियस ही था। जाहिर है, तापमान बृद्धि अब कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है, पर इसे रोकने के लिए दुनिया कोई भी प्रभावी कदम उठाने को तैयार नहीं है।

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर द्वारा प्रकाशित नई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 के बाद से वैश्विक स्तर पर पहली बार कोयले से बिजली उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गयी है। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकना है तो हरेक वर्ष कोयले से बिजली उत्पादन में कम से कम 6 प्रतिशत की कटौती करनी पड़ेगी, पर नई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में कोयले से बिजली उत्पादन में वर्ष 2022 की तुलना में 2 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो गयी है। इसमें से दो-तिहाई बृद्धि अकेले चीन की देन है, पर भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम, जापान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, ग्रीस और ज़िम्बाब्वे का भी इसमें योगदान है।

पिछले वर्ष कोयले से बिजली उत्पादन में 69.5 गीगावाट की बृद्धि हुई है, यह वृद्धि वर्ष 2016 के बाद से सबसे अधिक है। वैश्विक स्तर पर कोयले से 2130 गिगावाट बिजली उत्पादन होता है, पर यदि तापमान बृद्धि को 1.5 डिग्री तक रोकना है तो वर्ष 2040 तक दुनिया के हरेक ऐसे संयत्र को बंद करना होगा – इसके लिए अगले 17 वर्षों तक हरेक वर्ष कम से कम 126 गीगावाट बिजली उत्पादन के संयंत्र को बंद करने की जरूरत है, यानि हरेक सप्ताह कम से कम दो संयंत्रों को बंद करना होगा।

आयल चेंज इन्टरनेशनल और अमेरिका स्थित फ्रेंड्स ऑफ़ द अर्थ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जी20 देशों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने वर्ष 2020 से 2022 के बीच जीवाश्म ईंधनों के संसाधनों के विकास के लिए दूसरे देशों को 142 अरब डॉलर की मदद की। यह राशि स्वच्छ बिजली उत्पादन के विकास के लिए दी जाने वाली राशि की तुलना में 1.4 गुना अधिक है।

अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार वर्ष 2023 में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गयी है। पिछले एक दशक के दौरान दो प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन – की वायुमंडल में सांद्रता 5.5 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। वर्ष 2023 के दौरान वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता 2.8 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक बढी है और यह बढ़ोत्तरी पिछले 65 वर्षो के दौरान तीसरी सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है। इससे अधिक बृद्धि केवल वर्ष 2014 और 2015 में देखी गयी थी। वर्ष 2023 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता 419.3 पीपीएम तक पहुँच गयी है, यह सांद्रता पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती सांद्रता का योगदान लगभग 60 प्रतिशत है।

कुल तापमान बढ़ोत्तरी में मीथेन का योगदान 30 प्रतिशत है। वर्ष 2023 में वायुमंडल में मीथेन की सांद्रता में 11.1 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) की वृद्धि दर्ज की गयी है। हालांकि यह वृद्धि वर्ष 2020 से 2022 के बीच के रिकॉर्ड वृद्धि से कम है, पर मीथेन की सांद्रता वायुमंडल में 1922.6 पीपीबी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गयी है। पिछले 5 वर्षो के दौरान मीथेन की सांद्रता 3 प्रतिशत बढ़ गयी है, जबकि इसकी वर्तमान सांद्रता पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 160 प्रतिशत अधिक है। मीथेन के तापमान बढ़ाने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 28 गुना अधिक है।

तापमान वृद्धि में तीसरी सबसे प्रभावी गैस नाइट्रस ऑक्साइड है। वायुमंडल में इसकी सांद्रता भी लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2023 में इसकी सांद्रता में 1 पीपीबी की बृद्धि दर्ज की गयी है। वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का सबसे प्रमुख स्त्रोत जीवाश्म ईंधन और सीमेंट उद्योग है, वर्ष 2023 के दौरान इस क्षेत्र से वायुमंडल में 36.8 अरब मीट्रिक टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन किया गया है। ग्रीनहाउस गैसों की यह मात्रा पिछले 40 वर्षों के दौरान लगभग दुगुनी हो गयी है।

वैज्ञानिक लगातार ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन और तापमान में बढ़ोत्तरी के प्रति आगाह कर रहे है, पर दुनियाभर की सरकारों और उद्योगों को चेतावनी नजर नहीं आ रही है। पूंजीवाद पूरी दुनिया के विनाश पर तुला है और सरकारें इस नरसंहार में पूजीवाद के साथ खड़ी हैं।

सन्दर्भ:

1. Climate Bulletins (9th April, 2024) – climate.copernicus.eu/climate-bulletins

2. Global coal fleet inches up as retirements drop, construction starts seesaw - https://globalenergymonitor.org/press-release/global-coal-fleet-inches-up-as-retirements-drop-construction-starts-seesaw/

3. Public Enemies: Assessing MDB and G20 International Finance Institution’s Energy Finance – Published by Oil Change International & Friends of the Earth US – priceofoil.0rg/2024/04/09

4. No signs of greenhouse gases increases slowing in 2023 - https://research.noaa.gov/2024/04/05/no-sign-of-greenhouse-gases-increases-slowing-in-2023/

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