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राजनीति

करणी सेना ने किया सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर तलवार-पत्थर से हमला, पूर्व आईपीएस ने कहा हिंदुत्ववादी सरकारें दे रहीं ऐसे संगठनों को संरक्षण

Janjwar Desk
27 March 2025 4:39 PM IST
करणी सेना ने किया सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर तलवार-पत्थर से हमला, पूर्व आईपीएस ने कहा हिंदुत्ववादी सरकारें दे रहीं ऐसे संगठनों को संरक्षण
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पूर्व आईपीएस ने कहा वर्तमान में भारत में विभिन्न नामों से बड़ी संख्या में करनी सेना तथा अन्य कई नामों से निजी सेनाएं खड़ी हो गई हैं, जिन्हें परोक्ष रूप से सत्ताधारी दल का संरक्षण और कारपोरेट माफिया पूंजी का सक्रिय समर्थन प्राप्त है। यह कानून के राज, नागरिकों की सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा असहमति के अधिकार के लिए बड़ा खतरा है...

लखनऊ । कल 26 मार्च को तथाकथित करनी सेना द्वारा सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर आगरा में जो हमला किया गया है, वह खतरनाक तानाशाही का प्रतीक है तथा निंदनीय है। ऐसी सेनाओं का उदय कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि गाँव में पुराने जमीदार/सामंतों के लठैत तथा निजी सेनाओं का पुनर उदय है। आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने इसकी कड़ी निंदा की है। गौरतलब है कि राणा सांगा पर सपा सांसद की टिप्पणी के बाद उग्र हुई करणी सेना ने उनके घर पर हमला किया।

उन्होंने बयान जारी कर कहा है, हर रोज कहीं न कहीं किसी मुद्दे को लेकर तथाकथित संगठनों एवं निजी सेनाओं द्वारा किसी व्यक्ति के घर अथवा कार्यालय पर हमले करके तोड़फोड़ की जा रही है। निजी सेनाओं द्वारा व्यक्तियों के घरों और कार्यालयों पर हमले कानून के शासन और लोकतंत्र दोनों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं। कानून का शासन इस बात पर निर्भर करता है कि बल के वैध उपयोग पर राज्य का एकाधिकार हो, जो स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं और पुलिस और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। जब निजी समूह न्याय को अपने हाथों में लेते हैं, तो यह इस सिद्धांत को कमजोर करता है, कानूनी प्रणालियों में जनता के विश्वास को खत्म करता है और एक समानांतर शक्ति संरचना बनाता है जो जवाबदेही से बाहर काम करती है।

यह सर्वमान्य है कि लोकतंत्र व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकों की हिंसा या धमकी के डर के बिना शासन में भाग लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। इस तरह के हमले चाहे राजनीतिक, वैचारिक या व्यक्तिगत प्रतिशोध से प्रेरित हों - भय पैदा करते हैं, असहमति को दबाते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करते हैं। वे समाजों को ध्रुवीकृत भी कर सकते हैं, संघर्षों को बढ़ा सकते हैं और सामाजिक अनुबंध को कमजोर कर सकते हैं जो नागरिकों को शासन की साझा प्रणाली से बांधता है।

ऐतिहासिक रूप से, अनियंत्रित निजी सेनाओं या निगरानी समूहों ने अराजकता को बढ़ावा देकर और सत्तावादी प्रवृत्तियों को सक्षम करके लोकतंत्रों को अस्थिर किया है, जैसा कि फासीवादी इटली में ब्लैकशर्ट्स या संघर्ष क्षेत्रों में विभिन्न अर्धसैनिक समूहों जैसे मामलों में देखा गया है। खतरा विशेष रूप से तब और बढ़ जाता है जब इन कार्यों को दंडित नहीं किया जाता है, जो दंड से मुक्ति का संकेत देता है और संस्थागत अधिकार के और अधिक क्षरण को प्रोत्साहित करता है।

दुर्भाग्य से वर्तमान में भारत में विभिन्न नामों से बड़ी संख्या में करनी सेना तथा अन्य कई नामों से निजी सेनाएं खड़ी हो गई हैं, जिन्हें परोक्ष रूप से सत्ताधारी दल का संरक्षण और कारपोरेट माफिया पूंजी का सक्रिय समर्थन प्राप्त है। यह कानून के राज, नागरिकों की सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा असहमति के अधिकार के लिए बड़ा खतरा है। यह पुरानी राजाओं तथा सामंतों की सामंती तथा तानाशाही व्यवस्था की पुनरावृति है, जो लोकतंत्र तथा कानून के राज के लिए बड़ा खतरा है।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने बयान में कहा है, यह अधिक चिंता की बात है कि हिंदुत्ववादी सरकारें, ताकतें इन सेनाओं—संगठनों को बढ़ावा तथा संरक्षण दे रही हैं। आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट इस परिघटना पर गहरी चिंता व्यक्त करता है तथा ऐसी निजी सेनाओं/संगठनों की गैर कानूनी तथा अराजकतावादी गतिविधियों की निन्दा करता है। एआईपीएफ सभी राजनीतिक पार्टियों तथा नागरिक संगठनों का आवाहन करता है कि वे इनके विरुद्ध आवाज उठाएं तथा सरकार से इनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाही करने की मांग करें।

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