Tata Buys Air India : फाइनली टाटा की झोली में एयर इंडिया, विमानन क्षेत्र में अब क्या रह जाएगा सरकारी?
एयर इंडिया टाटा के हवाले (file photo)
दिनकर कुमार की रिपोर्ट
Tata Buys Air India, जनज्वार। कई सालों से सरकार की एयर इंडिया के बिक्री की कोशिश आखिर पूरी हो गई। एयर इंडिया को नया मालिक मिला। विमानन कंपनी के लिए टाटा संस ने सबसे अधिक बोली लगाई। टाटा संस ने 18 हजार करोड़ रुपये, जबकि स्पाइसजेट के अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इसी के साथ 68 साल बाद एयर इंडिया की 'घर वापसी' हुई है।
एयर इंडिया फिलहाल भारी घाटे में चल रही है। 2018-19 में कंपनी को 4 हजार 424 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ था। 2017-18 में कंपनी को 1245 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल घाटा हुआ। ऐसे में लगातार हो रहे घाटे के चलते कंपनी पर भारी कर्ज हो चुका है। इसी के मद्देनजर इसे बेचनी की जरूरत पड़ी। इससे पहले भी सरकार ने इसे बेचने की कोशिश की थी। इस घटनाक्रम के बीच सवाल पैदा होता है कि निजीकरण के बाद विमानन क्षेत्र में सरकार की क्या भूमिका रह जाएगी?
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 से एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला का कहना है कि सरकार 2022 से एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर तैयारी शुरू कर रही है। उनका कहना है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया निजीकरण की संभावनाओं को लेकर जांच कर रही है। उनका कहना है कि हवाई अड्डों के निजीकरण के तीसरे चरण के तहत करीब 10 एयरपोर्ट के लिए अवॉर्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि फायदे में चल रहे और नुकसान का सामना कर रहे हवाई अड्डों को एक पैकेज के तहत किस तरीके से निजीकरण किया जा सकता है, इसकी समीक्षा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर रहा है।
पहले चरण में चयनित किए गए एयरपोर्ट को 50 साल के लिए निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा। पहले चरण में 6 से 10 एयरपोर्ट का चयन किया जाएगा। इसके अलावा इन एयरपोर्ट को 50 साल के लिए निजी क्षेत्र को सौंप दिया जाएगा। रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम उड़ान के लिए बजट को 430 करोड़ रुपये से बढ़ा दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदीप सिंह खरोला ने कहा है कि सरकार का पूरा ध्यान देशभर के 100 एयरपोर्ट के विकास पर है। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ अपनी परियोजनाओं को अंजाम देती है। देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं। यह एक ऐसा करार है, जिसके द्वारा किसी जन सेवा या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। देश के 12 एयरपोर्ट के लिए पहले चnरण में प्राइवेट कंपनियों की ओर से 13 हजार करोड़ रुपए इनवेस्ट किए जाने की संभावना है।
वित्त मंत्री कह चुकी हैं कि भारत विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल का केंद्र बनेगा। इसके लिए टैक्स व्यवस्था को पहले से और युक्तिसंगत बनाया जाएगा। विमान कंपोनेंट की मरम्मत और एयरफ़्रेम रखरखाव को 3 साल में 800 करोड़ रुपये से 2000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा। सुधार के साथ एक टैरिफ नीति जारी की जाएगी, जिसमें उपभोक्ता अधिकार, उद्योग को बढ़ावा देना और इस फिल्ड की स्थिरता को ध्यान रखा जाएगा।
हवाई अड्डों के निजीकरण के बाद यात्रियों की कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन सुविधा के लिए उन्हें उनके प्रकार के चार्ज देने पड़ सकते हैं। तो ये बात तो तय है की निजीकरण होने से यात्रियों को फायदा तो मिलेगा ही साथ में नुकसान भी होगा। अभी देश में 5 बड़े एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु, हैदराबाद और कोचीन का निजीकरण हो चुका है और इनका संचालन निजी कंपनियों के द्वारा हो रहा है।
निजीकरण होने से इन एयरपोर्ट पर कई तरह की आधुनिक सुविधाओं में बढ़ोतरी भी हुई है तो वहीं नुक्सान की बात करे तो एयरपोर्ट्स में प्रवेश करते ही चार्ज वसूली शुरू हो जाती है। आज के समय में जयपुर एयरपोर्ट पर यदि किसी भी यात्री को सी-ऑफ करना हो या कोई आइटम रिसीव करना हो तो उसके लिए 8 मिनट का नि:शुल्क समय निर्धारित किया गया है, यानी आप 8 मिनट में अपना पार्सल ले सकते हैं बिना किसी शुल्क के। और अब निजी कंपनियां के इन एयरपोर्ट पर प्रवेश करते ही कम से कम आधे घंटे का पार्किंग शुल्क देना पड़ता है। और कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह चार्ज 150 रुपए तक भी हो सकता है।
अभी इन चारों हवाई अड्डों में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानी कि एएआई की शेष हिस्सेदारी बेचने के साथ ही 13 अन्य हवाईअड्डों के निजीकरण की भी तैयारी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों का संचालन कर रहे संयुक्त उपक्रमों में एएआई की इक्विटी हिस्सेदारी के विभाजन के लिए अपेक्षित मंजूरी प्राप्त करेगा। निजीकरण के लिए पहचान किए गए 13 एएआई हवाई अड्डों के प्रस्ताव को अधिक आकर्षक बनाने के लिए मुनाफे वाले और गैर-मुनाफे वाले हवाई अड्डों को मिलाकर पैकेज तैयार किया जायेगा।
केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा हवाई अड्डों के निजीकरण के पहले दौर में अडानी समूह ने पिछले साल छह हवाई अड्डे जैसे लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के परिचालन का लाइसेंस हासिल किया।