parliamentary committees : संसदीय समितियों में बड़ा फेरबदल, कांग्रेस ने कई पैनल की अध्यक्षता गंवाईं, TMC को नहीं मिला कोई पद
parliamentary committees : संसदीय समितियों में बड़ा फेरबदल, कांग्रेस ने कई पैनल की अध्यक्षता गंवाईं, TMC के पास कोई पद नहीं
parliamentary committees : संसदीय समिति में फेरबदल के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने अपने गृह विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग की संसदीय समिति की अध्यक्षता गंवा दी है। वहीं देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को किसी भी समिति की अध्यक्षता नहीं मिली है। तृणमूल कांग्रेस ने पहले खाद्य और उपभोक्ता मामलों पर संसदीय पैनल की अध्यक्षता की थी। ताजा फेरबदल में छह प्रमुख संसदीय समितियों की अध्यक्षता भाजपा और उसके सहयोगियों के पास है। गृह, आईटी, रक्षा, विदेश, वित्त और स्वास्थ्य संसदीय समितियों की अध्यक्षता भाजपा व सहयोगियों के पास है।
जानिए किसको कौन सा मिला पद
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बृजलाल ने कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की जगह ली है। इस बीच, भाजपा के लोकसभा सांसद राधा मोहन सिंह को रेलवे की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
शिंदे गुट के सांसद बने सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय पैनल के प्रमुख
वहीं शिंदे गुट के शिवसेना सांसद सूचना प्रौद्योगिकी (IT) पर संसदीय पैनल के प्रमुख बने हैं। उन्होंने कांग्रेस सांसद शशि थरूर का स्थान लिया है, जो कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पर संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
भाजपा सांसद को मिली फूड पर पैनल की अध्यक्षता
फूड पर पैनल की अध्यक्षता भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी करेंगी और हेल्थ पैनल की अध्यक्षता एक अन्य भाजपा नेता विवेक ठाकुर करेंगे। इस बीच, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को उद्योग पर संसदीय पैनल की अध्यक्षता दी गई है, जो पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के पास थी।
न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई
राज्यसभा में टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि टीएमसी संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को एक भी अध्यक्ष नहीं मिला है। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ने स्थायी समितियों के दो महत्वपूर्ण अध्यक्षों को खो दी है। यह न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई है।