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ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : चार दिन से जारी टाना भगतों का आंदोलन उपायुक्त के आश्वासन के बाद हुआ स्थगित, जानिए क्या हैं मांगें

Janjwar Desk
30 April 2022 1:15 PM GMT
Ground Report : चार दिन से जारी टाना भगतों का आंदोलन उपायुक्त के आश्वासन के बाद हुआ स्थगित, जानिए क्या हैं मांगें
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Ground Report : चार दिन से जारी टाना भगतों का आंदोलन उपायुक्त के आश्वासन के बाद हुआ स्थगित, जानिए क्या हैं मांगें

Ground Report : टाना भगतों का मानना है कि इस चुनाव से उनके पारम्परिक ग्राम सभा जो कि उनके जनजातीय कानून से चलती है उसमें व्यवधान उत्पन्न होगा, झारखण्ड में ऐसी कई जनजातियां हैं जिनका खुद का पारम्परिक ग्राम सभा चलता है....

विशद कुमार की रिपोर्ट

Ground Report : आखिरकार आज 30 अप्रैल को आठ बजे सुबह पिछले चार दिनों से डीसी कार्यालय लातेहार (DC Office Latehar) में पंचायत चुनाव रद्द करवाने की मांग को लेकर चल रहा टाना भगतों का धरना लातेहार के उपायुक्त अबु इमरान के आश्वासन के बाद कि वे उनकी मांगों को मुख्‍यमंत्री व राज्यपाल तक भिजवाएंगे, धरना स्थगित कर दिया गया। उपायुक्त ने टाना भगत आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि वे 15 जून से 20 जून तक आपकी मांगों को मुख्‍यमंत्री व राज्यपाल तक भिजवाएंगे।

उल्लेखनीय है कि झारखंड (Jharkhand) में पंचायत चुनाव की घोषणा पिछले 9 अप्रैल को हुई। इस घोषणा के साथ ही पूरे राज्य के पंचायत क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

बता दें कि राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायती व्यवस्था का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही खत्म हो गया था। उसके बाद कोरोना (Covid 19) के कारण समय पर पंचायत चुनाव नहीं हो सका। राज्य सरकार के विशेष प्रावधानों के चलते राज्य भर में 4,000 से अधिक पंचायतों और पंचायत समिति, जिला परिषदों में कार्यकारी समितियों के जरिये व्यवस्था का संचालन हो रहा था।

राज्य में पहली बार राज्य गठन के 10 वर्षों बाद वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव हुआ था। उसके बाद वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव हुआ। बता दें कि राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 1,96,16,504 है, जिसमें पुरुष मतदाता 1,00,70,721, महिला 95,45,702 व अन्य 81 है।


राज्य निर्वाचन आयुक्त डीके तिवारी के अनुसार, राज्य में पंचायत चुनाव चार चरणों में संपन्न होगा। इसमें पहले चरण का मतदान 14 मई, दूसरे चरण का मतदान 19 मई, तीसरे चरण का मतदान 24 मई तथा चौथे व अंतिम चरण का मतदान 27 मई को होगा।

पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद अखिल भारतीय टाना भगत कमिटी, जिला लातेहार के अध्यक्ष परमेश्वर टाना भगत ने 12 अप्रैल 2022 को झारखंड सरकार पंचायती राज विभाग के सचिव राहुल शर्मा का ध्यानाकर्षण करते हुए एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया है कि आपने, राज्य की बाध्यता के साथ झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 का हवाला देकर झारखंड राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की अधिसूचना प्रकाशित किया है। हर्ष की बात है। परंतु इस घोषणा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर भी लागू होगा, स्पष्ट नहीं है। इस प्रसंग में संविधान का भाग 9 ( PART IX) पंचायत पृष्ठ संख्या 112 अनुच्छेद 243243 M.) से उद्धृत है।

पत्र में कहा गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों को लागू नहीं होगी। मतलब अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव या त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव बेकार है। पत्र में कहा गया है कि 10.07.2012, उच्चतम न्यायालय का फैसला है।


यानी एक याचिका W. P. PIL No. 2984 of 2010 के आलोक में। यह याचिका Col. Lal Jyotindra Dev S/o Late Bechu Narayan Deo Dumardaga, P. O. Booti, Dist-Ranchi ने दर्ज किया था। इसलिए अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों को, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लागू ही नहीं है और झारखंड राज्य के भीतर 12 अनुसूचित जिलों, खूंटी को लेने से 13 जिलों में, आचार संहिता लागू नहीं है। आचार संहिता लागू कराने के लिए राज्य को कार्यपालिका शक्ति चाहिए। जो झारखंड के राज्यपाल (महामहिम रमेश वैस) को इस संविधान के अनुच्छेद 154 खंड ( 2 ) उपखंड ( क ) द्वारा अंतरित नहीं किया गया है। श्री राहुल शर्मा, झारखंड सरकार, पंचायती राज विभाग के सचिव तो राज्यपाल के अधीनस्थ अधिकारी हैं। इस संविधान के प्रतिनिधि agent है। उनको, झारखंड राज्य के भीतर अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर कार्यपालिका शक्ति कहां से अंतरित किया गया है ? इसलिए अनुसूचित क्षेत्रों में और अनुसूचित जनजातियों पर रूढ़ि या प्रथा, परंपरा ही प्रवृत्त है, लागू है, अधिरोपित है और रहेगा।

बता दे कि भारत के पंचायती राज अधिनियम के तहत जनजाति बहुल क्षेत्रों में चुनाव का अलग प्रावधान होता है। वे जनजाति बहुल क्षेत्र जो भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल है, वहां Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996 यानी पेसा अधिनियम लागू होता है। जिसके तहत यह प्रावधान है कि जनजाति बहुल क्षेत्रों में ग्राम सभा का संगठन ऐसा होना चाहिए कि जनजातीयों के परंपरागत कानून , सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं के अनुरूप हो।

इसी आधार पर टाना भगतों का मानना है कि इस चुनाव से उनके पारम्परिक ग्राम सभा जो कि उनके जनजातीय कानून से चलती है उसमें व्यवधान उत्पन्न होगा। झारखण्ड में ऐसी कई जनजातियां हैं जिनका खुद का पारम्परिक ग्राम सभा चलता है। अब इस पंचायत चुनाव से चुने गए मुखिया उनके पारम्परिक कानूनों को शायद नहीं समझ पाएंगे। आपस में मतभेद भी हो सकते हैं। हालांकि, पंचायत चुनाव में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण कि व्यवस्था की गई है।

झारखण्ड का लातेहार जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां अनुसूचित जनजातियों की जनसख्या प्रतिशत 45.54 % है। यहां हो रहे पंचायत चुनाव में अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण का प्रतिशत भी ज्यादा है। टाना भगतों को लगता है कि यहां हो रहे चुनाव की वजह से उनके अस्तित्व को खतरा है। इस वजह से वे आंदोलन पर उतर आए।

ऐसे में झारखण्ड के लातेहार जिले में टाना भगतों ने 26 अप्रैल को डीसी कार्यालय का घेराव किया। यहां तक कि ऑफिस से अधिकारियों को बाहर निकाल कर ताला जड़ दिया। यह आंदोलन 27 अप्रैल को भी जारी रहा। इस दूसरे दिन फिर से टाना भगतों ने समाहरणालय का घेराव कर कार्यालय का काम पूरी तरह से ठप्प कर दिया। टाना भगतों कि मांग थी कि झारखण्ड में हो रहे पंचायत चुनाव को रद्द किया जाए। उनके अनुसार यह चुनाव भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन करता है।

पांचवीं अनुसूची की हम बात करें तो भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियां हैं। उनमें से पांचवीं अनुसूची में देश के सभी अनुसूचित क्षेत्रों की जानकारी है। अनुसूचित क्षेत्र को तय करने के लिए उस राज्य के राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट देश के राष्ट्रपति को भेजा जाता है। जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि कौन सा क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में आएगा। निर्धारित करने का मापदंड उस क्षेत्र में जनजातियों की जनसख्या प्रतिशत होती है। झारखण्ड के 24 जिलों में से 13 जिलों को अनुसूचित घोषित किया गया है।

आन्दोलन के चौथे दिन टाना भगतों ने यह चेतावनी दी कि अगर झारखंड के 14 जिलों में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को नहीं रोका गया और चुनाव रद्द नहीं किया गया तो रेल सेवाएं पूरी तरह से ठप कर दी जाएंगी।


टाना भगत संघ के जिला सचिव बहादुर टाना भगत ने घोषणा की कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन कर जबरन पंचायत चुनाव कराने की कोशिश कर रही है। उनका कहना था कि पांचवीं अनुसूची के अनुसार लातेहार जिला अधिसूचित क्षेत्र है, जहां शासन स्थानीय लोगों द्वारा चलाई जानी चाहिए। यह आंदोलन राज्यपाल या पंचायती राज्य सचिव के आने के बाद ही समाप्त की जाएगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो टाना भगत रेलवे ट्रैक तक जाने वाले रास्ते को जाम कर देंगे।

टाना भगत संघ जिन 14 जिलों में पंचायत चुनाव रद्द करवाना चाहते हैं। इनमें लातेहार, रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, साहेबगंज, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, पलामू, गढ़वा जिले शामिल हैं।

बताते चलें कि आन्दोलनकारी टाना भगतों की रेलवे ट्रैक को जाम किए जाने की घोषणा के बाद 30 अप्रैल की सुबह ही आनन-फानन में लातेहार जिले के उपायुक्त अबु इमरान ने आन्दोलनकारियों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि वे उनकी मांगों को मुख्‍यमंत्री व राज्यपाल तक भिजवाएंगे। उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि वे 15 जून से 20 जून तक आपकी मांगों को मुख्‍यमंत्री व राज्यपाल तक भिजवाएंगे। उपायुक्त के आश्वासन के बाद धरना को स्थगित कर दिया गया।

अखिल भारतीय टाना भगत संघ के जिलाध्यक्ष परमेश्वर भगत ने बताया कि आदिवासियों के कई संगठनों ने जिला प्रशासन को कई बार आवेदन देकर पांचवी अनुसूची के अनुसार कार्य करने की बात कही है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब आंदोलन ही एकमात्र समाधान था। अतः पंचायत चुनाव रद्द होने तक टाना भगतों का आंदोलन जारी रखने पर अडिग थे लेकिन डीसी के आश्वासन पर हमने भरोसा कर फिलहाल आंदोलन स्थगित कर रहे हैं।

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