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Uttarakhand News : रुद्रपुर के सिडकुल के मजदूर बदहाल, श्रमिक शोषण के खिलाफ लंबे समय से कर रहे है आंदोलन
Uttarakhand News : उत्तराखंड के रुद्रपुर के सिडकुल के मजदूर बदहाल हैं। ये मजदूर लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर, गैरकानूनी गतिविधियों और श्रमिक शोषण के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। रुद्रपुर में सिडकुल इलाके में जंजवार की टीम मजदूरों का हाल जानने पहुंची| इन्टरार्क मजदूर संगठन और अखिल भारतीय इन्टरार्क मजदूर फेडरेशन के मजदूर 173 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं।
यह है पूरा मामला
इन्टरार्क मजदूर संगठन के महामंत्री सौरभ कुमार ने बताया कि 'हमने अपने यूनियन की शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ 2016 में फाइल लगाई थी। 2017 में मारी यूनियन का गठन हुआ। 2017 में हमारे वेतन 2700 रुपए वृद्धि हुई थी। 2018 में कंपनी ने हमारे 20 से 25 मजदूरों को अचानक बर्खास्त कर दिया। जिसके बाद हमारा आंदोलन चला। धरना देने के बाद सभी लड़कों को वापस रखने और 2000 रुपए वेतन वृद्धि का समझौता हुआ था लेकिन इसके बाद प्रबंधक ने समझौते को बर्खास्त करते हुए 32 लोगों को निकाल दिया। इनमें से 5 लोग अभी निलंबित हैं। उन्होंने बताया कि यह मामला अभी हाई कोर्ट में है।
4 साल से नहीं हुई है वेतन वृद्धि
बीते 4 साल से मजदूरों की वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। बता दें कि वेतन में बढ़ोतरी और बर्खास्त किए गए मजदूरों को वापस लाने के लिए यह मजदूर लंबे समय से आंदोलनरत है। इन्टरार्क मजदूर संगठन के महामंत्री सौरभ कुमार ने बताया कि 2018 से कुल 32 मजदूरों को झूठे आरोप में बाहर कर दिए हैं। उन्होंने राज्य के सभी पदाधिकारी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया लेकिन कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं की गई।
कंपनी में होती हैं दुर्घटनाएं
मजदूरों ने बताया कि कंपनी में काम करने के दौरान आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। उन्होंने बताया कि 2 लड़कों का हाथ कट गया है और कई लड़कों का पैर भी कट चुका है, जो आज तक विकलांग है। इसके बावजूद भी कंपनी उन मजदूरों को झूठे आरोप पत्र देकर बर्खास्त कर रही है। जब भी मजदूर संगठन कंपनी प्रशासन के पास वेतन मांगने या बढ़ाने की बात करने जाता हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। मजदूरों का कहना है कि कोई भी पदाधिकारी समस्या सुनने को तैयार नहीं होता है।
अकेला मजदूर करता है 4 आदमी का काम
मजदूरों ने बताया कि कंपनी में काम कर रहे यह सभी मजदूर यहां सोलह 17 साल से काम कर रहे हैं। अपने कार्य क्षेत्र में इतने पारंगत हो गए हैं कि एक मजदूर ही अकेले चार आदमियों का काम संभाल लेता है। बावजूद इसके इनका वेतन केवल 18 से 20 तक है। जब वेतन बढ़ाने को लेकर मैनेजमेंट से बात की गई तब उन्होंने आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए मजदूरों को बर्खास्त करना शुरू कर दिया। कई मजदूर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उनके बच्चों की स्कूल की फीस भी जमा नहीं हो पा रही है। कुछ मजदूरों के बच्चों के स्कूल भी छूट गए हैं। फीस ना भरने के कारण स्कूलों से नोटिस आ जाता है। बीते 4 साल से एक रुपए भी वेतन वृद्धि नहीं हुई है। साल 2018 से कंपनी ने मजदूरों का बोनस भी रोक दिया है।
मजदूरों को किया जा रहा है प्रताड़ित
इन्टरार्क मजदूर संगठन के मजदूर 173 दिनों से धरने पर बैठे हैं। अपनी मांगे पूरी करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कंपनी कुछ सुनने तक को तैयार नहीं है। अब कंपनी इन मजदूरों को काम ना देकर दूसरे बाहर के मजदूरों से काम करवा रही है। बाहरी वर्कशॉप को काम दिया जाता है। ऐसे कंपनी लगातार इन मजदूरों को प्रताड़ित कर रही है।