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स्वास्थ्य

बिहार में बाल दिवस : नीतीश बाबू के विकास में कुपोषित बच्चे

Janjwar Desk
14 Nov 2020 10:06 AM GMT
बिहार में बाल दिवस : नीतीश बाबू के विकास में कुपोषित बच्चे
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file photo

बिहार चुनावों के समय ही अमेरिका में भी चुनाव हो रहे थे और यह पता करना कठिन है कि अधिक झूठ ट्रम्प और रिपब्लिकन्स बोल रहे थे या फिर हमारे प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेता...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

बिहार में संसदीय-असंसदीय तिकड़म से आखिर एनडीए की स्वघोषित जीत हो ही गई. प्रधानमंत्री मोदी समेत बीजेपी जहां जंगलराज और अनर्गल प्रलाप करके विते मांगती रही, वहीं नीतीश बाबू अपने भाषणों में सड़कें, बिजली और पुलों को विकास बताते रहे. उनके विकास में कभी जनता शामिल नहीं थी.

बीजेपी जिस दौर को जंगलराज बताकर वोट खरीदती रही, दरअसल उसमें अपराधों की दर मौजूदा दर से कम रही थी, ऐसा नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है. फिर भी प्रधानमंत्री समेत बीजेपी का पूरा ध्यान जनता को बरगलाने में था, सो उन्होंने यही किया और जीत भी खरीद ली.

4 सितम्बर, 2020 को मोबाइल क्रेच नामक गैर-सरकारी संस्था ने देश के बच्चों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसका विमोचन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया था. "स्टेट ऑफ़ यंग चाइल्ड इन इंडिया" नामक रिपोर्ट में बच्चों के विकास के सन्दर्भ में राज्यों का इंडेक्स भी उपलब्ध है.

इस इंडेक्स के अनुसार पूरे देश का औसत इंडेक्स स्कोर 0.585 है और इससे अधिक संख्या वाले राज्यों में बच्चों का विकास देश के औसत से बेहतर है, जबकि इससे कम इंडेक्स स्कोर वाले राज्यों में बच्चों की स्थिति देश के औसत से भी खराब है.

इस इंडेक्स में 0.452 के स्कोर के साथ बिहार देश के सभी राज्यों से पीछे है. सबसे नीचे के क्रम में दूसरे स्थान पर योगी जी का उत्तर प्रदेश (0.46) है, जबकि योगी जी बिहार में बीजेपी के स्टार प्रचारक थे, और विपक्ष पर विकास के मुद्दे पर बरस रहे थे और स्वयं को विकास और अपराध-मुक्त समाज का मसीहा साबित कर रहे थे.

उत्तर प्रदेश से पहले के तीन राज्य क्रम से इस प्रकार हैं – झारखण्ड (0.50), मध्य प्रदेश (0.526) और छत्तीसगढ़ (0.555). इंडेक्स में 0.858 स्कोर के साथ केरल सबसे आगे है, इसके बाद गोवा (0.817), त्रिपुरा (0.761), तमिलनाडु (0.731) और मिजोरम (0.719) का स्थान है.

इस रिपोर्ट में बच्चों के विकास से सम्बंधित नीतियों और माहौल से सम्बंधित इंडेक्स भी तैयार किया गया है. यंग चिल्ड्रेन एनवायर्नमेंटल इंडेक्स के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा व्यवस्था, स्वच्छ पानी की उप्लब्द्धता, टीकाकरण, गरीबी दर, महिला शिक्षा, लैंगिक अनुपात और लैंगिक समानता को भी शामिल किया गया है. इस इंडेक्स के अनुसार भी बच्चों के सन्दर्भ में सबसे विकसित राज्य केरल और सबसे फिसड्डी राज्य बिहार है. इस इंडेक्स में केरल के बाद गोवा, सिक्किम, पंजाब और हिमाचल प्रदेश का स्थान है.

बिहार चुनावों के समय ही अमेरिका में भी चुनाव हो रहे थे और यह पता करना कठिन है कि अधिक झूठ ट्रम्प और रिपब्लिकन्स बोल रहे थे या फिर हमारे प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेता. अंतर बस इतना है कि ट्रम्प सारे तिकड़मों के बाद भी चुनाव आयोजित करने वाले संस्थानों, न्यायालयों और मीडिया पर नियंत्रण नहीं रख पाए और चुनाव हार गए. दूसरी तरफ हमारे देश में बीजेपी के आगे अपने अस्तित्व को मिटा देने तक झुकी न्यायपालिका, मीडिया और चुनाव आयोग के कारण बिहार में एनडीए की जीत हो गई.

रिपोर्ट के अनुसार देश में 6 वर्ष से कम उम्र के लगभग 16 करोड़ बच्चे हैं, जिसमें से 21 प्रतिशत कुपोषित हैं, 36 प्रतिशत का वजन सामान्य से कम है और 38 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण पूरा नहीं होता. उपराष्ट्रपति वेकैया नायडू ने भी विमोचन के समय इन आंकड़ों को उद्धृत किया था और इन आंकड़ों पर चिंता जताई थी.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार हरेक बच्चे पर औसतन महज 1723 रुपये ही खर्च करती है, जिसमें टीकाकरण भी शामिल है. देश के 6 वर्ष से कम उम्र के 16 करोड़ बच्चों के बारे में रिपोर्ट के अनुसार सरकारी दावा है कि इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम के तहत हरेक बच्चे तक सहायता पहुँच रही है, पर हकीकत यह है कि महज 7.2 करोड़ बच्चों तक ही इस योजना का लाभ मिल रहा है.

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