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स्वास्थ्य

हरे मटर को यूं ही नहीं कहा जाता बीड ऑफ साइज्ड ज्वेल, पर इसका ज्यादा सेवन बीमारियों को देती है दावत

Janjwar Desk
5 Nov 2022 2:31 AM GMT
हरे मटर को कहा जाता है बीड ऑफ साइज्ड ज्वेल, पर इसका ज्यादा सेवन बीमारियों को देती है दावत
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हरे मटर को कहा जाता है बीड ऑफ साइज्ड ज्वेल, पर इसका ज्यादा सेवन बीमारियों को देती है दावत

Green peas : सर्दियों के मौसम में मटर एक मुख्य सब्जी है। बहुत से लोग मटर को अपने भोजन से बाहर निकालकर खाते हुए भी देखे जा सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।

Green peas : हरी सब्जियों में सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है मटर ( Green Peas )। यही वजह है कि अधिकांश लोग ग्रीन पीज को कच्चे भी खाते नजर आते हैं। कईयों को तो हरा मटर इतना पसंद होता है कि वो इसे सब्जियों में से निकालकर खाते हैं। खूबियों की वजह से ही हरे मटर को बीड आफ साइज्ड ज्वेल ( यानि मनके के आकार का गहना ) कहा जाता है। क्या आप भी उनमें से एक हैं तो आपको अपनी इस आदत से बचने की जरूरत है। ऐसा इसलिए कि ग्रीन पी के ढेर सारे फायदे हैं, तो नुकसान भी कम नहीं हैं। यानि आप मटर का इस्तेमाल करें लेकिन संतुलित मात्रा में करेंगे, तो फायदे में रहेंगे।

मटर ( Green Peas ) के इस नफा-नुकसान को देखते हुए ही समय-समय पर चिकित्सक और डायटीशियन लोगों को इसके ज्यादा सेवन से बचने की सलाह देते रहते हैं।

हरी मटर ( Green Peas ) उन सब्जियों में शुमार है जिसका सेवन सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है। मटर का संबंध लेग्युमिनोसी परिवार से है। इस परिवार से दाल, बीन्स, मूंगफली और चिकपीस भी आती हैं। मटर के अंदर फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, ई, डी, सी, के और इसमें कोलीन, पैंटोथैनिक एसिड, राइबोफ्लेविन जैसे यौगिक भी पाए जाते हैं, जो इसे सब्जियों में एक खास जगह देते हैं।

अपनी खूबियों की वजह से यह ताजा, डिब्बाबंद, या जमे हुए रूपों में मटर पूरे साल बाजार में हर जगह आसानी से उपलब्ध होता है। मटर सर्दियों के मौसम में एक मुख्य सब्जी है। इसका लोग कई तरीके से सेवन करते हैं। बहुत से लोग मटर को अपने भोजन से बाहर निकालते हैं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।

डॉ. गरिमा गोयल का कहना है कि दरअसल, बीड आफ साइज्ड ज्वेल यानि हरा मटर कोई साधारण सब्जी नहीं है, बल्कि विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स जैसे पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। इसके अलावा, मटर में एक अद्भुत पोषक तत्व, जिसे क्यूमेस्ट्रोल कहा जाता है। इसमें कैंसर से बचाव की क्षमता होती है और इसके एंटीऑक्सिडेंट जैसे विटामिन सी, ई, जिंक, कैटेचिन और एपिक्टिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण के खिलाफ एक सुरक्षा कवच बनाने में सहायता करते हैं।

वहीं न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर लवनीत बत्रा ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि क्या आप ही वो हैं जो चुपके से अपने खाने में से मटर निकालकर खाते हैं? यदि ऐसा है तो आपको इसे करना बंद करने की आवश्यकता है क्योंकि ये छोटी फली न केवल भोजन के स्वाद को बढ़ाती हैं, ज्यादा सेवन करने की स्थिति में नुकसानदेह ( side effect of green Peas ) भी है।

डॉ गरिमा का कहना है कि मटर फाइबर और प्रोटीन से भी भरपूर होता है जो कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा कर देता है और एक व्यक्ति को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। यह शर्करा के स्तर को स्थिर करने में भी मदद करता है। मटर में त्वचा के अनुकूल पोषक तत्व होते हैं जिनमें विटामिन बी 6, सी और फोलेट (फोलिक एसिड) शामिल हैं। ये पोषक तत्व कम सूजन और मुक्त कट्टरपंथी क्षति में मदद कर सकते हैं जो कोलेजन और इलास्टिन-प्रोटीन के प्राकृतिक भंडार से त्वचा को लूटने के लिए जाता है। मटर में फ्लेवोनोइड्स, कैटेचिन, एपिकेटचिन, कैरोटीनॉयड और अल्फा-कैरोटीन भी एंटी-एजिंग प्रभाव को भी आमंत्रित करते हैं।

अधिक मात्रा में विटामिन के शरीर में मौजूद हो तो यह न केवल खून को पतला करता है बल्कि प्लेटलेट्स को भी कम कर देता है। इसके अलावा घाव भरने और टिशू के जल्दी रिपेयर होने में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। साथ ही ऐसे लोग जिनका पेट संवेदनशील है, पेट में अल्सर है, रक्त के थक्के बनते हैं, थ्रोम्बोफ्लिबिटिस जैसी दिक्कतें हैं उन लोगों के लिए भी मटर का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। हरी मटर के सेवन से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और डायरिया की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। अगर आप मटर के इस तरह के दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं तो डिब्बाबंद या फ्रीज मटर का सेवन कम करें या ना करें। कई बार स्वाद बेहतर करने के लिए इनमें मिलावट की जाती है जो इन समस्याओं को जन्म दे सकती है।

मटर ( Green Peas ) के अंदर शुगर की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। जो आसानी से पचाई नहीं जा सकती। ऐसे में जब भी आप मटर का अधिक सेवन करते हैं तो यह आसानी से नहीं पचती, जिसकी वजह से पेट फूलना, सूजन और गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। हरी मटर में मौजूद प्रोटीन और कार्ब्स आपके वजन और मोटापे में भी इजाफा कर सकता है। ऐसे में मोटापे और बढ़ते वजन की समस्या से बचे रहने के लिए जरूरी है कि हरी मटर को ना केवल अच्छी तरह पकाया जाए। बल्कि पकाने से पहले इसे कुछ देर के लिए भिगोकर भी रखा जाए।

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