Begin typing your search above and press return to search.
आजीविका

भारतीय श्रम बाजार में औसतन 99% महिलाएं लिंगभेद का शिकार : Report

Janjwar Desk
15 Sep 2022 7:56 AM GMT
Labour  market, Gender discrimination,  Oxfam India Discrimination Report 2022,
x

Labour market, Gender discrimination, Oxfam India Discrimination Report 2022,

Oxfam India Discrimination Report 2022 : वेतनभोगी महिलाओं के लिए कम वेतन 67% और 33% शिक्षा और कार्य अनुभव की कमी की वजह से भेदभाव का शिकार होती हैं।

Oxfam India Discrimination Report 2022 : भारतीय श्रम बाजार ( Indian Labour Market ) में महिलाओं के साथ भेदभाव ( Gender discrimination ) कोई नई बात नहीं है लेकिन ऑक्सफेम इंडिया डिसक्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022 ( Oxfam India Discrimination Report 2022 ) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। ऑक्सफेम इंडिया की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार ( Employment ) हासिल करने के मामलों में औसतन 99 फीसदी महिलाओं को लिंगभेद का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के श्रम बाजार ( Labour Market ) में महिलाओं को 100 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 98 प्रतिशत रोजगार पाने के लिए लिंग भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह निष्कर्ष 2004 से 05 से 2019 से 20 तक रोजगार और श्रम पर सरकारी आंकड़ों पर आधारित है।

नियोक्ताओं का पूर्वाग्रह

ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट ( Oxfam India Discrimination Report 2022 ) में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत में महिलाओं की समान शैक्षणिक योग्यता और पुरुषों के समान कार्य अनुभव के बावजूद सामाजिक और नियोक्ताओं के पूर्वाग्रहों के कारण श्रम बाजार में भेदभाव आम है। स्वरोजगार करने वाले पुरुष महिलाओं की तुलना में 2.5 गुना अधिक कमाते हैं। इनमें से 83 प्रतिशत मामले लिंग आधारित भेदभाव ( Gender discrimination ) के लिए जिम्मेदार हैं। पुरुष और महिला आकस्मिक वेतन श्रमिकों की कमाई के बीच 95 प्रतिशत अंतर भेदभाव के कारण है। रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि पुरुषों और महिलाओं के बीच रोजगार के 98 प्रतिशत अंतर का कारण लैंगिक भेदभाव है।

हर स्तर पर असमान व्यवहार

की कमी 93 फीसदी मामलों में पुरुषों और महिलाओं की कमाई में में अंतर की वजह भी लिंगभेद ( Gender discrimination ) ही है। ग्रामीण स्वरोजगार करने वाले पुरुष ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की कमाई से दोगुना कमाते हैं। पुरुष आकस्मिक श्रमिक महिलाओं की तुलना में प्रति माह 3,000 रुपये अधिक कमाते हैं। यह स्थिति 96 प्रतिशत मामलों में भेदभाव की वजह से है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतनभोगी महिलाओं के लिए कम वेतन 67 प्रतिशत भेदभाव और 33 प्रतिशत शिक्षा और कार्य अनुभव की कमी के कारण होता है।

भारत सरकार भेदभाव दूर करने के लिए करे ये काम

ऑक्सफैम इंडिया ने सरकार से सभी महिलाओं के लिए समान वेतन और काम के अधिकार और सुरक्षा के लिए प्रभावी उपायों को सक्रिय रूप से लागू करने का आह्वान किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार को वेतन में वृद्धि, अपस्किलिंग, नौकरी में आरक्षण और मातृत्व के बाद काम पर आसान विकल्प सहित कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।

Oxfam India Discrimination Report 2022 : ये है महिलाओं के पिछड़ने की वजह

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि रिपोर्ट में यह पाया गया है कि अगर कोई पुरुष और महिला समान स्तर पर काम शुरू करते हैं तो आर्थिक क्षेत्र में महिला के साथ भेदभाव किया जाएगा। भेदभाव की वजह से महिलाएं नियमित, वेतनभोगी, आकस्मिक और स्वरोजगार में पिछड़ जाती है। सामाजिक श्रेणियों के लिए श्रम बाजार में असमानता केवल शिक्षा या कार्य अनुभव की वजह से न होकर लिंग की वजह से ज्यादा होता है।

Next Story

विविध