मकान पर कर्जवसूली का नोटिस चस्पां कर बैंक अधिकारी ने ग्रामीणों के सामने युवक को बुरी तरह धमकाया, सदमे में किसान ने लगायी फांसी

मकान पर कर्जवसूली का नोटिस चस्पां कर बैंक अधिकारी ने ग्रामीणों के सामने युवक को बुरी तरह धमकाया, सदमे में किसान ने लगायी फांसी
झांसी। भूमि विकास बैंक वह तहसील प्रशासन के द्वारा ऋण वसूली का नोटिस मकान पर चस्पां किये जाने के बाद एक 35 वर्षीय युवा किसान धर्मेंद्र सिंह इतना आहत और तनावग्रस्त हो गया कि उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। जानकारी के मुताबिक यह मामला झांसी जनपद के थाना लहचूरा स्थित गांव तिलैरा का है। कहा जा रहा है कि नोटिस मकान पर चस्पां किये जाने से पहले भी युवा किसान धर्मेंद्र को भूमि विकास बैंक द्वारा डराया-धमकाया जा रहा था कि वह किसी भी हालत में ऋण जमा करे।
सामने आयी जानकारी के मुताबिक 22 अगस्त को भूमि विकास बैंक के अधिकारी तहसील प्रशासन के कर्मचारियों के साथ अपने बकायादारों के यहां पर कर्ज जमा करने का बैंक नोटिस तामील कराने गए हुए थे। उसी गांव में एक बकायादार कृष्ण पाल सिंह थे, जो उस समय घर पर नहीं थे, लेकिन मौके पर उनका बड़ा बेटा और युवा किसान धर्मेन्द्र सिंह मौजूद था।
जानकारी के मुताबिक बैंक के अधिकारी और उनके साथ में रहे तहसील प्रशासन के कर्मचारियों ने धर्मेंद्र से कहा कि तुम्हारे पिता ने लगभग सवा लाख का कर्जा लिया था, जिसका ब्याज मिलाकर लगभग पांच लाख रुपये हो गया है, जिसको आपको कल तक जमा कराना है। आरोप है कि जब धर्मेंद्र ने इसको तुरन्त जमा करने में अपनी असमर्थता जतायी तो बैंक के अधिकारी ने तहसील प्रशासन अधिकारी व कर्मचारियों के साथ मिलकर धर्मेन्द्र सिंह को धमकाया कि अपना कर्ज कल तक जमा कर दें, नहीं तो हम तुम्हारे मकान की कुर्की करा देंगे, साथ में तुम्हें जेल में डाल देंगे।
धर्मेंद्र के परिवार के अलावा और भी कई किसान परिवार जिन्होंने बैंक का लोन चुकाना है इस घटना के बाद सदमे में, यह है कर्ज वसूली की पूरी लिस्ट
आरोप यह भी है कि कर्ज का नोटिस मकान पर चस्पां किये जाने के बाद पूरे गांव के सामने धर्मेन्द्र और उसके परिवार के लोगों के साथ बैंक अधिकारी और अन्य कर्मचारी बदसलूकी व बेइज्जती करते रहे। धर्मेंद्र लगातार यह कहता रहा कि हम आपका कर्ज जमा कर देंगे, अभी हमारी फसल तैयार होने दो, लेकिन मौके पर उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों ने उनकी एक न सुनी। बल्कि धर्मेंद्र के साथ अभद्रता की और पूरे गांव के सामने बेइज्जती की। अचानक हुए इस घटनाक्रम से धर्मेंद्र सदमे में आ गया और उसे लगा कि किसान की कोई नहीं सुनने वाला है। वह गांव का एक सम्मानित व्यक्ति था। उसने लगभग एक साल पहले अपने ऊपर चल रहे कर्ज को चुकाने के लिए अपनी जमीन बेची थी।
नोटिस तामील कराने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों ने उसको ठंडे दिमाग से सोचने और बोलने का मौका नहीं दिया, बल्कि उसको शासन प्रशासन के द्वारा कार्यवाही करने का खौफ दिखाते रहे। अपने व अपने परिवार के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के चलते धर्मेंद्र सदमे में आ गया। परिवार के लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही 22 अगस्त की रात दो बजे घर पर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। वह एक होनहार युवा किसान था, जिस पर अपने पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी थी।
इस घटना के बाद ग्रामीण सदमे में हैं। नोटिस तामील कराने वाले अधिकारियों—कर्मचारियों के अमानवीय व्यवहार के चलते यहां के अन्य किसान भी दहशत में हैं। वह कहते हैं कि बड़े बड़े उद्योगपति बैंकों से हजारों लाखों करोड़—अरबों का कर्ज लेकर देश छोड़कर भाग जाते हैं, उनके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार नहीं करते हैं नोटिस तामील कराने वाले अधिकारी व कर्मचारी, जैसा कि वह हम बेचारे किसानों पर रौब दिखाकर रुपये जमा कराने का दबाव बनाते हैं।
मृतक किसान के भाई राजा ठाकुर ने बताया बड़े भाई धर्मेंद्र सिंह सभी की देखभाल करते थे। पिताजी के नाम लोन था, पिता जी खेत पर थे। उसी समय वसूली अधिकारी घर पर आए और बुरी तरह डराया धमकाया। इसके बाद सदमे में मेरे भाई ने रात में फांसी लगाकर जान दे दी।
इस हृदय विदारक घटना की सूचना उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार को मिली। मिलते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मऊरानीपुर पहुंचे। परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हरसंभव मदद की बात कही। साथ में घटना की सूचना उप जिला अधिकारी मऊरानीपुर को दी।
परिहार ने कहा जनपद में किसानों के पास इस समय धन नहीं है, फसलें अच्छी नहीं हो पा रही हैं, किसान कर्ज कहां से चुकाये? सरकार अभी सरकारी ऋण वसूली पर रोक लगाये क्योंकि बुंदेलखंड में आए दिन किसान आर्थिक तंगी, फसल बर्बादी, कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहा है। बड़े-बड़े उद्योगपति सरकारी कर्ज लेकर विदेश भाग जाते हैं और किसान जब कर्ज नहीं चुका पाता तो उसके ऊपर शासन प्रशासन बैंक दबाव बनाता है। अन्नदाता मजबूर होकर आत्महत्या कर लेता है।
परिहार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मृतक किसानों के परिजनों को 72 घंटे में ₹500000 की आर्थिक मदद के अलावा जबरन ऋण वसूली करने वालों पर दंडात्मक कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। इस हृदय विदारक घटना को सुनकर पूरे गांव में मातम पसर गया। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है। मृतक किसान के ऊपर दो छोटे बच्चों और पत्नी की भरण पोषण की जिम्मेदारी थी। बच्चे अनाथ हो गए हैं। घटना के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मऊरानीपुर में सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे।
केशव सिंह परिहार कुरेठा, शेखर राज बडोनिया, अवधेश सिंह, मानवेंद्र पटेल, शिवम पटेल, प्रकाश आदिवासी, रजनीश, विजय तिवारी, सुदीप, विजय पाठक, राजू पांचाल, धर्मेंद्र पांचाल, रामजी पाल, कतलू दुबे, मनोज पटेल, ग्राम प्रधान रामू सिंह, राजा ठाकुर, वीरू, छत्रसाल सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराज सिंह, देवेंद्र सिंह, आशीष पटेल, सुदीप कुमार चौबे, मनोज पटेल, आनंद दीप सिंह, सुभाष तिवारी, शंकर दयाल, परमेश्वरी दयाल सोनकिया, राजा राम राजपूत, अन्नू उपाध्याय, धर्मेंद्र, सुभाष समेत सैकड़ों किसान धर्मेंद्र की आत्महत्या के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपस्थित थे।