Unemployment : अगस्त में फिर बढ़ी बेरोजगारी, रोजगार के 20 लाख अवसर हुए कम, हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
Unemployment Rate : देश में ग्रामीण रोजगार घटने से अक्टूबर में 7.8% बढ़ी बेरोजगारी, 78 लाख रोजगार घटे, बेरोजगारों की संख्या बढ़कर हुई 55 लाख
Unemployment : मोदी सरकार की बाजीगरी के बावजूद अगस्त 2022 में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोजगारी ( Unemployment ) दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई।: मोदी सरकार आंक़ड़ों की बाजीगरी कर भले जी जीडीपी ( GDP ) में उछाल दिखाकर खुद की पीठ थपथपा ले, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बीते माह यानि अगस्त में देशभर में 20 रोजगार के अवसर कम हुए। इसका सीधा यह हुआ कि देश में बेरोजगारी दर अगस्त ( Unemployment rate in august 2022 ) में एक साल के उच्चस्तर 8.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस दौरान रोजगार पिछले महीने की तुलना में 20 लाख घटकर 39.46 करोड़ रह गया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी ( CMIE report on unemployment) के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत और रोजगार 39.7 करोड़ था।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी ( CMIE ) के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा कि आमतौर पर शहरी बेरोजगारी ( Urban unemployment ) दर 8 प्रतिशत रहती है। जबकि ग्रामीण बेरोजगारी ( rural unemployment ) दर लगभग सात प्रतिशत होती है। इस साल अगस्त में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोजगारी दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई। व्यास ने बताया अनियमित वर्षा ने बुवाई गतिविधियों को प्रभावित किया और यह ग्रामीण भारत में बेरोजगारी बढ़ने का एक कारण है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर जुलाई में 6.1 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.7 प्रतिशत हो गई। बेरोजगारी दर जुलाई में 6.1 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.7 प्रतिशत हो गई। रोजगार दर 37.6 प्रतिशत से गिरकर 37.3 प्रतिशत पर आ गई।
Unemployment : भाजपा शासित हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
सीएमआईई ( CMIE ) के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त के दौरान हरियाणा में सबसे ज्यादा 37.3 प्रतिशत बेरोजगारी थी। इसके बाद जम्मू.कश्मीर में बेरोजगारी दर 32.8 प्रतिशत, राजस्थान में 31.4 प्रतिशत, झारखंड में 17.3 प्रतिशत और त्रिपुरा में 16.3 प्रतिशत थी। आंकड़ों से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर सबसे कम यानि 0.4 प्रतिशत, मेघालय में 2 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 2.2 प्रतिशत, गुजरात और ओडिशा में 2.6 प्रतिशत रही।
दूसरी तरफ मोदी सरकार का दावा है कि देश की पहली तिमाही यानि अप्रैल-जून के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट में सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 20.1 प्रतिशत रही थी। जबकि कई विश्लेषकों ने तुलनात्मक आधार को देखते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर दहाई अंक में रहने का अनुमान जताया था। इस आंकड़े के दिखाकर मोदी सरकार अपनी वाहवाही लूट रही है, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना और मोदी सरकार की गलत नीतियों से जो नुकसान पिछले दो साल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को हुआ उसकी भरपाई अभी नहीं हो पाई है। इस बात का मोदी सरकार अपने आंकड़ों में जिक्र तक करना नहीं चाहती है।