धामी पुलिस पर उत्तराखण्ड में बाघों के आतंक के खिलाफ सड़कों पर उतरी जनता के दमन का आरोप
Ramnagar : उत्तराखंण्ड में जंगली जानवरों से इंसानों, फसलों, मवेशियों की सुरक्षा के लिए गठित की गयी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा सरकार द्वारा किए गए आंदोलन के दमन तथा आगामी रणनीति को लेकर कल 1 जनवरी 2024 को एक पत्रकार वार्ता का आयोजन व्यापार मंडल भवन, नागा बाबा मंदिर के पास, रामनगर (नैनीताल) में किया गया।
गौरतलब है कि जंगली जानवरों से इंसानों, फसलों मवेशियों को सुरक्षा देने तथा जंगली जानवरों के हमले में मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा तथा जंगली जानवरों के हमले में घायल के संपूर्ण इलाज की गारंटी व 10 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने आदि मांगों को लेकर 31 दिसंबर 2023 को कॉर्बेट पार्क के ढेला-झिरना जोन में पर्यटकों की आवाजाही ठप करने को लेकर संघर्ष समिति द्वारा तड़के धरना आयोजित किया जाना था। इस दौरान दिए जा रहे धरने के बर्बर दमन और गिरफ्तारियों की गयीं तथा महिलाओं व आंदोलनकारियों को सड़कों पर घसीटा गया, जिसका संयुक्त संघर्ष समिति ने कड़े शब्दों में विरोध किया है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद संघर्ष समिति से जुड़े लोगों ने कहा, भाजपा सरकार द्वारा धारा 144 लगाने तथा भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करने के बावजूद भी सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने बहादुरी के साथ दमन का सामना किया, जिसके लिए क्षेत्र की जनता बधाई की पात्र है।
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— JanjwarMedia (@janjwar_com) December 31, 2023
बाघों से इंसानों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को धामी की पुलिस ने ऐसे किया गिरफ्तार, Viral video pic.twitter.com/7RhtJ0UDQF
उत्तराखंड में जंगली जानवरों जिनमें टाइगर, तेंदुए, हाथी, जंगली सूअर व बंदर शामिल हैं, का आतंक चरम पर है। यहां के लोग जंगली जानवरों के हमले में रोज मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं, परंतु उत्तराखंड का मुख्यमंत्री जनता की सुरक्षा की चिंता करने की जगह नीरो की तरह बंसी बजा रहा है।
संघर्ष समिति की मांग है कि टाइगर, तेंदुआ, जंगली सूअर आदि जानवरों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1973 की संरक्षित अनुसूची एक से बाहर किया जाए तथा आबादी में घुसकर इंसानों की जान लेने वाले जंगली जानवरों को मारने का अधिकार प्रभावित जनता को दिया जाए।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में मुख्य सचिव का संयुक्त संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता हुआ था कि जंगली जानवरों के हमले में घायल का समूचा इलाज सरकार की व्याधि निधि से कराया जाएगा, इसके बावजूद भी अभी तक टाइगर के हमले में पिछले 2 नवंबर 2023 को घायल अंकित के इलाज का खर्चा सरकार देने के लिए तैयार नहीं है, जबकि उसे इलाज के खर्चे में 20 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। सरकार में अब तक मात्र ₹50 हजार ही दिए हैं, जबकि सरकार के मंत्रियों और लाल बत्ती धारी नेताओं का खर्चा ही लाखों रुपए रोज का है। सरकार के मंत्री व अधिकारी बीमार होने पर मेदांता जैसे प्राइवेट 5 स्टार अस्पतालों में इलाज कराते हैं और जनता को सरकारी अस्पतालों में भी अब इलाज नहीं मिल रहा है।
समिति ने ग्राम पटरानी से ढेला स्कूल आने वाले बच्चों के लिए बस लगाने की मांग भी की है। 31 दिसंबर के संघर्ष ने जनता के बीच में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। आगामी रणनीति को लेकर 5 जनवरी को ग्राम कानिया में बैठक का आयोजन किया गया है।
पत्रकार वार्ता में ललिता रावत, महेश जोशी, सोवन तड़ियाल, ललित पांडे, प्रभात ध्यानी, संजय मेहता, रोहित रुहेला, मनमोहन अग्रवाल, बसंत कुमार, रमेश कुमार, तुलसी आदि उपस्थित रहे।