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किसान अध्यादेश और श्रम कानूनों में परिवर्तन के खिलाफ पहली बार देश में किसान-मजदूर एक साथ उतरेंगे सड़कों पर

Janjwar Desk
20 Nov 2020 2:08 PM GMT
किसान अध्यादेश और श्रम कानूनों में परिवर्तन के खिलाफ पहली बार देश में किसान-मजदूर एक साथ उतरेंगे सड़कों पर
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कार्यक्रम में अपनी बात रखती मेधा पाटकर

पूरे देश के सभी जिला मुख्यालयों और गांव-गांव में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों का किसान और मजदूर करेंगे विरोध...

इंदौर। देशभर के 500 से ज्यादा किसान संगठनों के व्यापक समन्वय आल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग कमेटी सदस्य नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर और अन्य किसान संगठनों द्वारा आज 20 नवंबर को इंदौर में प्रेस कांग्रेस में मजदूर किसानों एंव आम जनता से आगामी 26 नवम्बर को देशव्यापी मजदूर-किसान हड़ताल और 26-27 नवम्बर किसान आंदोलन दिल्ली चलो की अपील की।

मेधा पाटकर ने कहा, केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कोरोना संक्रमण की आपदा को देशी विदेशी कारपोरेट के लिए मुनाफा कमाने के अवसर में तब्दील कर दिया है। देश के लाखों श्रमिकों के मूलभूत अधिकारों में कटौती करते हुये 44 से ज्यादा श्रम कानूनों को निरस्त कर आचार संहिता लागू कर पूंजीपतियों और उद्योग मालिकों केअनुरुप बना दिया है। वहीं कृषि सुधार के नाम पर तीन किसान विरोधी कानून संसद में अलोकतांत्रिक तरीके से पास किये गये हैं, जिसके तहत पहले से ही बड़ी बड़ी कम्पनियों के मुनाफे के जाल में फंसा किसान अब पूरी तरह इन कम्पनियों की गिरफ्त में आ जायेगा।

मेधा पाटकर ने कहा कि देश के कोने कोने से 26 नवंबर को करीब 10 लाख से ज्यादा किसान दिल्ली पहुंचेंगे तथा डेरा डेरा डालो डेरा डालो आंदोलन करेंगे। किसानों के इस आंदोलन का मजदूर संगठनों ने भी समर्थन किया है तथा 26 नवंबर को होने वाली मजदूर हड़ताल का किसान संगठनों ने समर्थन किया है। इस तरह से पहली बार देश के किसान और मजदूर एक साथ केंद्र की सरकार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं।

मेधा पाटकर ने बताया कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 जैसे कानून जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ा देंगे, जिससे आम उपभोक्ताओं के लिए रोजमर्रा की जरुरी चीजें और भी महंगी हो जायेंगी। साथ ही नया बिजली संशोधन बिल 2020 बिजली के निजीकरण को बढ़ावा देगा और इसे महंगा करेगा।

पत्रकार वार्ता में किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि पहली बार देश के किसान और मजदूर एकजुट होकर नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं। इस सरकार ने वर्षों के संघर्ष के बाद हासिल किए गए श्रम कानूनों और श्रम अधिकारों को जमींदोज करते हुए श्रमिकों को बंधुआ बनाने की साजिश रची है। वहीं किसान और किसानी को बर्बाद करने का संकल्प लिया है।

इसी के तहत पूरे देश में किसानों में आक्रोश है और 26-27 नवंबर को घेरा डालो डेरा डालो के तहत देश के कोने-कोने से लाखों किसान दिल्ली पहुंचेंगे। महाराष्ट्र और निमाड़ से जाने वाले किसानों के जत्थे इंदौर होकर गुजरेंगे। इंदौर में सभी किसान संगठन मिलकर दिल्ली जाने वालों का स्वागत करेंगे। 24 नवंबर को सुबह 8:00 बजे अंबेडकर प्रतिमा गीता भवन चौराहे पर स्वागत किया जाएगा।

अखिल भारतीय किसान सभा इंदौर इकाई के सचिव अरुण चौहान ने कहा कि सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनें मिलकर 26 तारीख को हड़ताल करेंगी तथा इंदौर के संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन होगा। साथ ही 27 को किसान और मजदूर एकजुटता के साथ दिल्ली में तो भागीदारी करेंगे ही साथ ही स्थानीय स्तर पर भी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए गांधी हाल में एकत्रित होंगे और संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे।

आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के प्रमोद नामदेव ने बताया कि सभी किसान संगठन के कार्यकर्ता मोदी सरकार द्वारा लाए गए जन विरोधी बिलों की जानकारी देने के लिए गांव-गांव में संपर्क कर रहे हैं। कोरोना काल को इस सरकार ने पूंजीपतियों के लिए अवसर बना दिया है, इसलिए किसान और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर देशभर में विरोध हो रहा है।

अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जिला इकाई के सचिव कामरेड रूद्र पाल यादव ने बताया कि 26 और 27 तारीख को होने वाले किसान मजदूर आंदोलन में इंदौर के मजदूर किसान बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करेंगे। साथ ही आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में भी 26 नवंबर को मुकम्मल बंद रखने का आह्वान मजदूरों से किया है।

26-27 नवंबर 2020 को पूरे देश भर में मजदूर किसान मिलकर इन मजदूर किसान विरोधी नीतियों का प्रतिरोध करेंगे। बड़वानी सेंधवा से होते हुए इंदौर, देवास, गुना, ग्वालियर, आगरा होते हुए दिल्ली के लिए बड़ी संख्या में किसान मजदूर पहुंचेंगे। इसी के साथ प्रदेश के हर गांव तहसील जिला स्तर पर इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतिरोध किया जाएगा।

किसान-मजदूर नेताओं ने बताया कि 26 एवं 27 नवंबर के आंदोलन का किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े संगठनों के अलावा मध्य प्रदेश किसान सभा, मध्य प्रदेश आदिवासी एकता महासभा, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन ,हिंद मजदूर किसान पंचायत, सहित विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने समर्थन किया है तथा किसान और मजदूरों से आंदोलन को कामयाब बनाने की अपील की है। हम आम जनता से अपील करते हैं कि इन काले कानूनों का बहिष्कार करें और मजदूर किसानों के पक्ष में इस आंदोलन के लिए हर संभव मदद करें।

प्रेस कांफ्रेंस को किसान संघर्ष समिति के रामवस्वरूप मंत्री, किसान सभा से अरुण चौहान, एटक के रुद्रपाल यादव और ऑल इन्डिया किसान खेत मजदूर संगठन से प्रमोद नामदेव ने सम्बोधित किया।

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