UP पुलिस ने शांतिभंग की आशंका जता रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुएब को थमाया नोटिस, मंच ने की कड़ी निंदा
लखनऊ, जनज्वार। रिहाई मंच ने गणतंत्र दिवस पर मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब और अन्य को शांतिभंग की आशंका जाहिर करते हुए नोटिस दिए जाने की तीव्र निंदा करते हुए नोटिस वापस लेने की मांग की है।
रिहाई मंच ने कहा कि गणतंत्र और संविधान को बचाने की लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ रहे हैं और हम पर ही गणतंत्र दिवस पर कानून व शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप लगाकर विवादास्पद बनाना राजनीतिक षड्यंत्र है। बतौर नागरिक गणतंत्र दिवस को मनाना हमारा संवैधानिक अधिकार है। रिहाई मंच किसान परेड का समर्थन करता है और आह्वान करता है कि तीनों किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा तादाद में निकलकर देश को बचाने की इस लड़ाई में भागीदार बनें।
मंच ने किसान आंदोलन के वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेजने वाली एनआईए से पूछा कि वो बताए कि क्या उसे किसान नेताओं की हत्या की साजिश की सूचना नहीं थी। ठीक इसी प्रकार पिछले साल नागरिकता आंदोलन में भी पुलिसिया संरक्षण में खुलेआम गोली चलाई गई और इस बार भी किसान आंदोलन को हिंसक बनाकर खत्म करने की साजिश में पकड़े गए व्यक्ति ने पुलिस की आपराधिक भूमिका को उजागर किया है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब, जिनका पूरा जीवन कानून और संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करने के सक्रिय प्रयास में बीता उनको गणतंत्र दिवस के अवसर पर शांतिभंग की आशंका जताते हुए लखनऊ पुलिस द्वारा 107/116 का नोटिस भेजा जाना घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है। यह नोटिस कानून व्यवस्था नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से भेजा गया है, वरना लखनऊ प्रशासन को इतनी जानकारी अवश्य होती कि मंच अध्यक्ष अपने बेटे की बीमारी के सिलसिले में लखनऊ से बाहर हैं। मुहम्मद शुऐब समेत मो0 वसी, मो0 इरफान, मो0 कासिम, सबीह फातिमा, निहाल, रुखसाना जिया, नसरीन जावेद और उजमा परवीन के नाम नोटिस है।
राजीव यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंच अध्यक्ष को बदनाम और परेशान करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि एक जिम्मेदार अधिवक्ता और लोकतंत्र सेनानी वरिष्ठ नागरिक को शांतिभंग का नोटिस भेजने का क्या औचित्य हो सकता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में लोकतांत्रिक और संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर प्रदेश सरकार प्रतिरोध को कुचलने के लिए कभी फर्जी मुकदमा कायम करवाती है, सम्पत्ति जब्ती का नोटिस देती है, तो कभी जमानत खारिज करवाकर जेल में डालने का प्रयास करती है। पिछले दिनों आइसा छात्र संगठन के नेता नितिन राज को इसी तरीके से फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। रिहाई मंच नितिन राज की रिहाई की मांग करता है।
मंच महासचिव ने कहा कि किसान आंदोलन में उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं और किसानों को शामिल होने से विरत रखने के लिए उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट तक ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन करना किसानों का हक है। प्रदेश सरकार अपने संविधान विरोधी फैसलों और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों से भयभीत है और हर प्रकार से संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध लोगों का दमन करने पर आमादा है।