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Chief Justice Of India Nv Ramana: जेल में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जताई चिंता, जानिए क्या कहा

Janjwar Desk
16 July 2022 9:35 PM IST
Chief Justice Of India Nv Ramana: जेल में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जताई चिंता, जानिए क्या कहा
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Chief Justice Of India Nv Ramana: जेल में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जताई चिंता, जानिए क्या कहा

Chief Justice Of India Nv Ramana: भारतीय जेलों में बंद कैदियों उसमें भी विशेष तौर पर विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या न्यायिक अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बंटी जा रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी इस समस्या को इंगित करते हुए इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई है।

Chief Justice Of India Nv Ramana: भारतीय जेलों में बंद कैदियों उसमें भी विशेष तौर पर विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या न्यायिक अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बंटी जा रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी इस समस्या को इंगित करते हुए इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई है।

शनिवार को जयपुर में ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताते हुए इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित किया।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की मौजूदगी में देश के 6.10 लाख कैदियों में से लगभग 80 प्रतिशत विचाराधीन कैदियों का हवाला देते हुए कहा कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है। आपराधिक न्याय प्रणाली की पूरी प्रक्रिया को एक तरह की सजा बताते हुए न्यायाधीश ने कहा कि भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। चीफ जस्टिस ने बिना किसी मुकदमे के लंबे समय से जेल में बंद कैदियों की संख्या पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि लक्ष्य विचाराधीन कैदियों की जल्द रिहाई को सक्षम करने तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा इसके बजाय, हमें उन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना चाहिए जो बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लंबे समय तक कैद की ओर ले जाती हैं।

एक ओर जहां चीफ जस्टिस ने कैदियों के प्रति अपनी यह चिंता व्यक्त की तो दूसरी ओर इस कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी चीफ जस्टिस की बात से इत्तेफाक रखते हुए कहा कि चिंता की बात यह है कि आज देश भर की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इन मामलों को कम करने के लिए सरकार और न्यायपालिका को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कल मैनें अपने डिपार्टमेंट के ऑफिसर से बात की है कि कुछ ऐसा ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे हम दो करोड़ केस को दो साल में खत्म कर सकें। मैं कहीं भी जाता हूं तो पहला सवाल मेरे सामने यही आता है कि सरकार पेंडिंग केस को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही है।

एक तरफ जहां कानून से जुड़े वरिष्ठ लोग विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंतित हैं तो देश के कई लोग इस समस्या के पीछे ऊंची अदालतों में जजों की कोलोजियम के तहत होने वाली नियुक्ति को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। जाने-माने दलित चिंतक कई विषयों पर अपनी बेबाक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं। विचाराधीन कैदियों को लेकर उन्होंने बेहद सख्त भाषा में न्यायाधीशों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जो जज दो साल की सुनवाई के बाद भी फैसला न दे सके उसे नौकरी से हटा दिया जाना चाहिए। एक ग्राफिक के माध्यम से मण्डल ने देश के कई विभिन्न राज्यों में विचाराधीन कैदियों के आंकड़े अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करने के दौरान कहा है कि दिल्ली में दस में से नौ कैदी ऐसे हैं जिन्हें सजा नही हो पाई है। और यह गरीब कैदी हैं।

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