Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

'गांधी के भारत मे ऐसे व्यवहार की नहीं थी उम्मीद', दिल्ली से बैरंग लौटाई गई अफगानी महिला सांसद का छलका दर्द

Janjwar Desk
26 Aug 2021 7:59 PM IST
गांधी के भारत मे ऐसे व्यवहार की नहीं थी उम्मीद, दिल्ली से बैरंग लौटाई गई अफगानी महिला सांसद का छलका दर्द
x
कारगर ने कहा- मैंने गांधीजी के भारत से इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी। हम हमेशा भारत के दोस्त हैं, भारत के साथ हमारे सामरिक संबंध हैं, भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंध हैं। लेकिन इस स्थिति में उन्होंने एक महिला और एक सांसद के साथ ऐसा व्यवहार किया है.....

जनज्वार। अफगानिस्तान से भारत के हमेशा दोस्ताना संबंध रहे हैं। भारत सरकार ने बीते कुछ दशक में अफगानिस्तान में कई विकास परियोजनाएं चलाई हैं। इस समय जब अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता पर काबिज हो चुका है तो अफगानिस्तान के लोग पड़ोसी पाकिस्तान, ईरान की तुलना में भारत में शरण लेना ज्यादा कर रहे हैं। इस अफगानिस्तान की एक महिला सांसद ने भारत पर मुजरिमों जैसा सलूक करने का आरोप लगाया है। महिला ने बताया कि वैध वीजा होने के बावजूद 20 अगस्त को उन्हें नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से डिपोर्ट कर दिया गया।

तालिबान के कब्जे से पहले रंगिना कारगर अफगान संसद में फरयाब प्रांत का बीते दस वर्षों से प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं। कारगर ने अंग्रेजी समाचार पत्र द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह 20 अगस्त की शुरूआत में इस्तांबुल से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची थीं। उनके पास एक राजनयिक/आधिकारिक पासपोर्ट था जो भारत के साथ पारस्परिक व्यवस्था के तहत वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करना है। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा था कि भारत का ध्यान अफगानिस्तान और उसके लोगों के साथ-साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को संरक्षित करने पर होगा।

कारगर ने बताया कि वह पहले भी इस पासपोर्ट से कई बार भारत की यात्रा कर चुकी हैं। उन्हें पहले कभी कोई दिक्कत नहीं आई लेकिन इस बार इमीग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया और प्रतीक्षा करने के लिए कहा। अफगान सांसद ने कहा कि अधिकारियों ने उनसे कहा कि उन्हें इसको लेकर अपने सीनियर से बात करनी होगी। दो घंटे इंतजार कराया और उसके बाद उन्हें उसी एयरलाइन द्वारा दुबई के रास्ते वापस इस्तांबुल भेज दिया गया।

महिला ने बताया, "उन्होंने मुझे डिपोर्ट कर दिया, मेरे साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार किया गया। मुझे दुबई में मेरा पासपोर्ट नहीं दिया गया। मुझे सीधे वापस इस्तांबुल भेज दिया गया। उन्होंने मेरे साथ जो किया वह अच्छा नहीं था। काबुल में स्थिति बदल गई है और मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार अफगान महिलाओं की मदद करेगी। डिपोर्ट करने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया, लेकिन यह शायद काबुल में बदली हुई राजनीतिक स्थिति और सुरक्षा से संबंधित था।"

वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आयी है। हालांकि मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि उन्हें कारगर से जुड़ी घटना की जानकारी नहीं थी। महिला के डिपोर्ट होने के दो दिन बाद भारत ने अफगान सिख सांसदों नरेंद्र सिंह खालसा और अनारकली कौर का भारत में स्वागत किया। अनारकली कौर अफगानिस्तान की संसद में पहली सिख महिला रहीं हैं।

वहीं कारगर ने कहा, "मैंने गांधीजी के भारत से इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी। हम हमेशा भारत के दोस्त हैं, भारत के साथ हमारे सामरिक संबंध हैं, भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंध हैं। लेकिन इस स्थिति में उन्होंने एक महिला और एक सांसद के साथ ऐसा व्यवहार किया है।" कारगर ने कहा कि उन्होंने हवाई अड्डे पर मुझसे कहा, "क्षमा करें, हम आपके लिए कुछ नहीं कर सकते।"

Next Story

विविध