अर्णब के WhatsApp चैट खुलासे के बाद BJP ने बनायी दूरी, सारे बयान बहादुरों ने साध ली चुप्पी
जनज्वार। रिपब्लिक टीवी के चीफ अर्णब गोस्वामी के विवादित चैट के खुलासे के बाद भाजपा उनसे दूरी बनाती दिख रही है। अर्णब गोस्वामी का चैट तबसे चर्चा में है जब से मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाला मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है। अर्णब के बार्क के तत्कालीन सीइओ पार्थाे दासगुप्ता के साथ चैट से कई खुलासे हुए हैं, जिसमें न सिर्फ टीआरपी घोटाला बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अति गोपनीय जानकारियां भी शामिल हैं।
ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने अब अर्णब से दूरी बनाए रखने का निर्णय लिया है। ध्यान रहे कि इससे पहले जब महाराष्ट्र की शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार की ओर से अर्णब गोस्वामी पर कार्रवाई की गयी थी और मुंबई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था तो भाजपा के कई प्रमुख नेताओं ने इसे संविधान के चैथे खंभे पर हमला बताया था और अर्णब गोस्वामी का बचाव किया था।
भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद चार नवंबर 2020 को ट्वीट किया था और इसकी तुलना इंदिरा गांधी के शासन से की थी। उन्होंने कहा था भारत ने आपातकाल के लिए इंदिरा गांधी को माफ नहीं किया और न ही प्रेस की आजादी पर हमला के लिए कभी राजीव गांधी को माफ किया, अब भारत फिर से पत्रकारों के दमन के लिए राजसत्ता के दुरुपयोग के लिए सोनिया गांधी व राहुल गांधी को सजा देगा।
India didn't forgive Indira Gandhi for the Emergency. India never forgave Rajiv Gandhi for his assault on press freedom. And now, India will again punish Sonia-Rahul Gandhi for their brazen and intimidating use of state power to get equal with journalists.
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) November 4, 2020
लेकिन, उस समय से अब भाजपा का स्टैंड साफ बदलता दिख रहा है। भाजपा की ओर से अर्णब के ताजा मामले को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। दरअसल, अर्णब गोस्वामी के लीक हुए वाट्सएप चैट में पुलवामा हमले का जिक्र व सारे मंत्री हमारे साथ है जैसे कथन को लेकर भाजपा सचेत हो गयी है और उसे इस मामले में खुद के फंसने का डर है।
कांग्रेस कार्यसमिति की शुक्रवार को हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया और यह सवाल किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां आखिर कैसे लीक हो गयी। सोनिया गांधी ने कहा कि दूसरों को राष्ट्रवाद व देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांटने वाले इस प्रकरण से पूरी तरह बेनकाब हो गए। कांगे्रस ने इस मामले की जांच की भी मांग की है।उधर, महाराष्ट्र कांग्रेस ने अर्णब के चैट से राष्ट्रीय सुरक्षा की गोपनीय जानकारियां लीक होने को लेकर आंदोलन शुरू किया है और उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। लीक चैट के आधार पर कांग्रेस ने यह सवाल पूछा है कि आखिर 2019 के बालाकोट स्ट्राइक के बारे में तीन दिन पहले ही अर्णब को कैसे जानकारी थी और उन्हें सरकार के किस व्यक्ति ने यह गोपनीय सूचना दी।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने इस मामले को रिपोर्ट करते हुए मोदी सरकार के एक मंत्री का नाम गोपनीय रखते हुए उनके हवाले से लिखा है कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही पार्टी का लेना-देना है कि अर्णब ने किसी से क्या बातचीत की।
बालाकोट स्ट्राइक के बारे में पहले से अर्णब को जानकारी होने को लेकर अब भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि चैट में ऐसा कुछ नहीं है जो उस समय लोगों को पता नहीं था, पार्टी और सरकार के कई नेताओं ने पुलवामा हमला का बदला लेने के लिए निर्णायक कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
अर्णब के चैट में अरुण जेटली, प्रकाश जावड़ेकर व राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे नाम का जिक्र करते हुए कहा यह जिक्र था कि सारे मंत्री हमारे साथ हैं।