अखिलेश यादव ने योगी के दंगामुक्त यूपी के दावे पर उठाए सवाल, जातिवादी राजनीति और खजाना बर्बाद करने का लगाया आरोप
गऊ और मऊ को सताने वाले 10 मार्च को धुआं-धुआं हो जाएंगे।
Lucknow : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सराकर पर जातिवादी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि योगी राज में जातिवाद व ठाकुरवाद का बोलवाला है। जबकि भाजपा नेता सपा पर जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। एक टेलीविजन कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी चुनाव में राजपूतवाद की एंर्टी हो गई है।
योगी सरकार ने यूपी में कितने पावर प्लांट लगाए
अखिलेश यादव ने कहा कि योगी सरकार ने यूपी का खजाना पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उन्होंने सीएम योगी से पूछा कि उन्होंने पिछले पांच साल में यूपी में कितने पावर प्लांट लगाए हैं। 2017 का चुनाव हम इसीलिए हारे क्योंकि भाजपा के लोगों ने झूठ बोला। संकल्प पत्र भाजपा के लोग बात ही नहीं कर रहे हैं। बिजली कितनी महंगी हो गई है। अब एक बार फिर यूपी की जनता ने सपा को विकल्प के रूप में देखा है और सपा की सरकार बनना तय है। इसी तरह ब्राह्मण को अपने पक्ष में करने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव में हर वर्ग तक पहुंचने के लिए काम किया जाता है। हर पार्टी की लीडरशिप काम करती है। ब्राम्हण अपवाद नहीं है।
क्या यूपी में राजपूतवाद नहीं चल रहा है?
सपा प्रमुख ने यादववाद के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यूपी में कितने आईपीएस यादव हैं। यूपी में आज तुलना कीजिए कि कौन सा वाद चल रहा हैं क्या यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जाति के लोग सब जगह ठोको राज नहीं कर रहे? अखिलेश ने जौनपुर के माफिया धन्नजय सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के जाति का था जो क्रिकेट खेल रहा था। वहां पर आईपीएस ने पिच बनाई थी। आईपीएस पिच बनाकर दे रहा है कि जाइए खेलिए। आज यूपी में योगी के जाति के लोगों का राज चल रहा है। हमसे इसीलिए पूछा जाता है कि मैं यादव हूं। झूठा प्रचार किया जा रहा है।
सीएम ऑफिस में बैठकर हो रहा है ये सब
सीएम अखिलेश ने कहा कि मैं मिलिट्री स्कूल में पढ़ा हूं जो हमारे साथ पढ़े हैं, वे भारत के बॉर्डर पर खड़े हैं। डोभाल साहब उसी स्कूल से पढ़ें। हम पर भाजपा के लोग जातिवाद का आरोप लगा रहे हैं। मुझे इसकी चिंता नहीं है। मुझे चिंता न्याय की है। लोग ठोक दिए जा रहे हैं। सीएम ऑफिस में बैठकर एक जाति के अधिकारी साजिश कर रहे।
योगी सरकार ने 2017 के बाद सांप्रदायिक दंगों के आंकड़े ही जारी नहीं किए
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 साल में देश में सांप्रदायिक दंगों के 6 हजार 8 सौ मामले सामने आए। सबसे ज्यादा 823 मामले 2013 में और 822 मामले 2017 में दर्ज हुए थे। 2011 से 2017 के दौरान देश में सांप्रदायिक दंगों में 707 लोगों की जान चली गई। 2018 के बाद से एनसीआरबी ने सांप्रदायिक दंगों में मरने वालों का आंकड़ा देना बंद कर दिया। एनसीआरबी के मुताबिक 2020 में 62 लोगों की हत्या सांप्रदायिक कारणों से हुई थी।
मार्च 2017 से योगी आदित्यनाथ सीएम हैं. यूपी में दंगों की 195 घटनाएं हुई थीं. उन घटनाओं में 44 लोग मारे गए थे। इसके बाद 2018, 2019 और 2020 में एक भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मई 2007 से मार्च 2012 तक मुख्यमंत्री रहींं इस दौरान (2007 से 2011 तक) यूपी में दंगों की 616 घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गए। मार्च 2012 से मार्च 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस दौरान (2012 से 2016 तक) यूपी में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगों में 192 लोगों की मौत हुई।