Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

मोदी सरकार में 5 सालों में 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने डाली बट्टे खाते में

Janjwar Desk
20 Dec 2022 4:19 PM IST
मोदी सरकार में 5 सालों में 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने डाली बट्टे खाते में
x

मोदी सरकार में 5 सालों में 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने डाली बट्टे खाते में, संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं....

नई दिल्ली। देश के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच सालों में दस लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ को बट्टे खाते में डाल दिया है। इसका मतलब यह है कि इन बैंकों ने यह मान लिया है कि इतनी बड़ी रकम अपने वास्तविक रूप में वापस नहीं आएगी। भले ही इनकी वापसी के लिए कागजी फाइलें इधर से उधर दौड़ लगाती रहें। पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये राइट ऑफ करने का जो यह आंकड़ा आया है, उसे खुद वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को यह जानकारी देते हुए कहा कि राइट ऑफ किए गए कर्ज सहित एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) खातों में रिकवरी एक सतत प्रक्रिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।

सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए जिम्मेदार बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदारों से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी है।

सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखा है। कार्रवाई में दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मामले दर्ज करना आदि शामिल है। वित्त मंत्री ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया कि छोटे जमाकर्ताओं के खराब ऋणों से पैसे वसूलने की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है और इसे सरल बनाने की जरूरत है।

Next Story

विविध