बिहार में हर गरीब को राशन भले न दे पाए भाजपा, लेकिन मोदी का पत्र लेकर जाएगी घर-घर
जनज्वार। केंद्र में मोदी सरकार और कोरोना की त्रासदी के बीच बिहार के मजदूरों की दुर्दशा की खबरें मीडिया में छाई रहीं। पैदल जाते मजदूर भूखे-प्यासे और मरते-खपते किसी तरह घर पहुंचे, मगर केंद्र में सत्तासीन भाजपा के सिवाय दावों और वादों के प्रवासी मजदूरों की यह दुर्दशा कहीं नहीं दिखी। अब वही भाजपा वोट के लिए तरह-तरह से बिहार के लोगों को लुभा रही है।
जो भाजपा बिहार के गरीब-मजदूरों की रोजी-रोटी का इंतजाम नहीं कर पायी, वह अब बिहार के हर घर में मोदी का एक पत्र पहुंचायेगी। बिहार में भाजपा के कार्यकर्ता अब प्रधानमंत्री के पत्र को घर-घर पहुंचाएंगे। भाजपा लोगों से सीधे जुड़ने के लिए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की एक साल की उपलब्धियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिखे पत्र को बांटने का निर्णय लिया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने बुधवार 10 जून को पार्टी के राज्य मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा की परंपरा कार्यकर्ता और कार्यक्रम रही है। इसी के तहत भाजपा अपने कार्यकाल के प्रत्येक वर्ष का हिसाब जनता को देती रही है। कोरोना संक्रमण काल के कारण प्रधानमंत्री सीधे संवाद नहीं कर पा रहे हैं, यही कारण है कि उनके पत्र के जरिए लोगों के बीच हिसाब दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दल के नेता और कार्यकर्ता घर-घर जाकर आज 11 जून से लोगों के बीच प्रधानमंत्री का पत्र वितरित करेंगे और लोगों को मोदी सरकार की एक वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे।
उन्होंने दावा करते हुए कहा, "7 जून को बिहार में इंटरनेट के माध्यम से 39 लाख से अधिक लोगों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की डिजिटल रैली को देखा, जबकि एक करोड़ से अधिक लोगों ने टीवी पर रैली देखी।"
जायसवाल ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पत्र और कार्यकर्ताओं और लोगों के लिए एक हैंडबुक जारी करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री का पत्र है, जिसे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा जनता के बीच वितरित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "हमने एक करोड़ घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है और पूरा विश्वास है कि हम इसे पा लेंगे। प्रधानमंत्री के पत्र को लोगों तक पहुंचाने के लिए भाजपा के सांसद, विधायक, विधान पार्षद, पार्टी जिला अध्यक्ष, राज्य के पार्टी पदाधिकारी कल गुरुवार को लोगों के बीच 'परचा' (पत्र) वितरित करने के लिए घरों का दौरा करेंगे। इसमें किसी भी घर में दो लोग से अधिक नहीं जाएंगे।"
मोदी सरकार के मंत्री दावा करते हैं कि वह 80 करोड़ लोगों तक राशन पहुंचा चुके हैं, मगर उन्हीं की सरकार की रिपोर्ट स्वीकार रही है कि उसने मात्र 20.26 प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज दिया। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर कोई भी प्रवासी श्रमिक के भूखा नहीं रहे इसी के लिए 14 मई को मुफ्त अनाज योजना की घोषणा की थी। ये वो मजदूर थे जिनके पास राशन कार्ड तक उपलब्ध न हो, मगर लॉकडाउन में कोई भूखा न मरे, इसलिए यह योजना थी, मगर जिन मजदूरों तक अनाज पहुंचा वह सिर्फ 2.25 प्रतिशत है। यानी 97.75 फीसदी मजबूर प्रवासी मजदूर किस हाल में होंगे, इसका अंदाजा सड़क पर भूखों—बेरोजगार मरते मजदूरों की खबरों को देखकर लगाया जा सकता है।