बिहार : नीतीश की टीम में अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर उठे सवाल, एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं शामिल
पटना। बिहार में नीतीश कुमार सरकार के गठन के बाद मंगलवार को मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी हो गया। कई मंत्रियों ने अपने विभागों का दायित्व भी संभाल लिया । लेकिन, विपक्ष मंत्रिमंडल में एक भी अल्पसंख्यक (मुस्लिम) को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर सवाल उठा रहा है।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि बिहार में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि करीब 15 फीसदी की आबादी वाले मुस्लिम तबके को कोई नुमाइंदगी मंत्रिमंडल में नहीं दी गई है।
युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव में मंत्रिमंडल में किसी भी मुस्लिम को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि जदयू अल्पसंख्यक कल्याण की बात करती है, लेकिन सत्ता के कारण वह भाजपा का विरोध नहीं कर रही है।
इधर, कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने भी मंत्रिमंडल में किसी अल्पसंख्यक के नहीं शामिल होने पर कहा है कि नीतीश कैबिनेट में किसी अल्पसंख्यक को जगह नहीं मिली है। उन्होंने कहा, "सबका साथ सबका विकास का दावा झूठा निकला। नीतीश कुमार की आंखों पर भाजपा, आरएसएस ने पट्टा लगा दिया है।"
बिहार में इस बार के चुनाव में राजग को 125 सीटें मिली हैं, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम विधायक चुन कर नहीं आए हैं। राजग में भाजपा, जदयू और दो छोटे दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जदयू ने 11 मुस्लिमों को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन सभी चुनाव हार गए। अलग बात है कि विधान पार्षद को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
इधर, भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने विपक्ष के आरोपों पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा सबके विकास की बात करती है और किसी, धर्म और जाति को देखकर विकास नहीं करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करती है और वही प्राथमिकता है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार 16 नवंबर को नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ भाजपा के सात, जदयू के पांच तथा दो छोटे दलों के नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली थी। कहा जा रहा है कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।