Breast Cancer Kya Hai? ब्रेस्ट कैंसर क्या है? ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार, ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं? ब्रेस्ट कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं? ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे होती है? ब्रेस्ट कैंसर से बचाव क्या है?
Breast Cancer Kya Hai? ब्रेस्ट कैंसर क्या है? ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार, ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं? ब्रेस्ट कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं? ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे होती है? ब्रेस्ट कैंसर से बचाव क्या है?
मोना सिंह की रिपोर्ट
Breast Cancer Kya Hai? भारत में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कैंसर में से एक है। ब्रेस्ट कैंसर में ब्रेस्ट की कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़कर ब्रेस्ट के लॉब्युल्स और मिल्क डक्ट में घुसकर स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण कर देती हैं। विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO)के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है। दुनिया भर में हर साल 2.1 मिलियन यानी 21 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित होती हैं। महिलाओं में कैंसर से जुड़ी मौतों में ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर के मामले होते हैं। ब्रेस्ट कैंसर की जानकारी पहले या दूसरे चरण में ही मिल जाए तो सही इलाज होने से मरीज की जान बचना संभव है। लेकिन इसके बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं होने से ये मौत की वजह बन जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन कैंसर यानी ब्रेस्ट कैंसर में कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते। लेकिन जब यह बढ़ने लगता है तो कई प्रकार के लक्षण नजर आने लगते हैं। जैसे ब्रेस्ट में गांठ बनना, ब्रेस्ट साइज और आकार में बदलाव आना। वैसे देखा जाए तो ये सामान्य भी है और ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण भी। इसीलिए कई बार भ्रम की स्थिति बन जाती है। इसलिए आसान भाषा और आसान तरीके से बताते हैं कि आखिर ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण को हम घर से ही कैसे पहचान सकते हैं।
असल में, ब्रेस्ट में गांठ या ऊतकों का मोटा होना ही कैंसर के लक्षण हैं। इसे ऐसे पहचान सकते हैं। स्तन की त्वचा पर गुठलियों का बनना। ब्रेस्ट स्कीन का लाल हो जाना। ब्रेस्ट के कुछ हिस्से या फिर पूरे ब्रेस्ट में सूजन होना। नसों का फूलना। निप्पल से दूध के अलावा किसी और तरल का बाहर निकलना। ब्रेस्ट के आकार में अचानक और अस्पष्ट परिवर्तन। मतलब किसी लड़की के ब्रेस्ट में उम्र के साथ बदलाव आना एक सामान्य बात है। लेकिन सामान्य के बजाय अजीब और असामान्य तरीके से बदलाव हो तो अलर्ट रहने की जरूरत है।
इनके अलावा ब्रेस्ट कैंसर के ये भी लक्षण हैं। बाजू में सूजन या गांठ का बनना। नॉर्मल निप्पल से इनवर्टेड निप्पल (निप्पल अंदर की तरफ हो जाना)। निप्पल के स्थान में बदलाव होना। ब्रेस्ट में किसी एक जगह (फोकल) दर्द होना। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसमें कोई झिझक करने की जरूरत नहीं है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को अच्छी तरह समझाने के लिए फेसबुक और सोशल मीडिया पर कॉरिन व्यूमोंट द्वारा चलाया गया कैंपेन "नो योर लेमन्स" काफी चर्चित हुआ था। फेसबुक पर इस पोस्ट को लगभग 32 हजार बार शेयर किया जा चुका है। और "नो योर लेमन्स" कैंपेन में स्तन कैंसर के लक्षणों को समझाने के लिए अंडे रखने वाली ट्रे में नींबू की तस्वीर से ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को समझाया गया है। ताकि महिलाएं इसे आसानी से समझ सके। अमेरिका, स्पेन, तुर्की और लेबनान में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। इसका अनुवाद 16 अलग-अलग भाषाओं में भी किया गया है।
कितने प्रकार का होता है ब्रेस्ट कैंसर?
ब्रेस्ट कैंसर कई प्रकार के होते हैं। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा पाये जाने वाला ब्रेस्ट कैंसर ये हैं :
1-डक्टल कार्सिनोम इन सीटू
इस प्रकार के कैंसर में ब्रेस्ट के आसपास की कोशिकाओं और टिश्यू में नहीं फैलता। ये ब्रेस्ट में फैले डक्टस में होता है। यानी स्तन की नसों में फैला होता है।
2-लॉब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू
यह दूध वाली ग्रंथियों में शुरू होता है लेकिन आसपास नहीं पहुंचता है।
3-इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा
यह सबसे ज्यादा पाया जाने वाला स्तन कैंसर है। या दुग्ध नलिकाओं (milk ductus)में विकसित होकर आसपास के टिश्यू और अंगों में तेजी से फैलता है।
4-इनवेसिव लॉबुलर कार्सिनोमा
दुग्ध ग्रंथी में विकसित होकर आसपास की टिश्यू और आर्गन में भी फैलता है।
5- इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर
इसमें कैंसर सेल्स ब्रेस्ट की लिंफ नोड्स को बंद कर देती हैं। जिससे ब्रेस्ट में सूजन हो जाती। इसमें ब्रेस्ट लाल, गर्म और मोटा हो जाता है। और ब्रेस्ट की त्वचा संतरे के छिलके की तरह हो जाती है। इस प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर बहुत कम मामलों में ही पाया जाता है।
6-निप्पल का पेजेट रोग
यह ब्रेस्ट डक्ट्स से शुरू होकर निप्पल की त्वचा और इसके आस पास की त्वचा ( एरियोला) को प्रभावित करता है।
7-फिलोड्स टयूमर
यह स्तन के कनेक्टिव टिश्यू में होता है और बहुत ही दुर्लभ प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर है।
8-एंजियोसार्कोमा (angiosarcoma)
यह कैंसर ब्रेस्ट की रक्त वाहिकाओं या लिंफ वाहिकाओं में होता है। आगे चलकर ये पूरे ब्रेस्ट को प्रभावित करता है।
क्या है ब्रेस्ट कैंसर की स्टेज
ब्रेस्ट कैंसर को समझने के लिए इसके प्रमुख तौर पर 5 स्टेज हैं। कैंसर किस स्टेज पर है? यह पता करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर पता करते हैं कि कैंसर इनवेसिव है या नॉनइनवेसिव। यानी कि कैंसर आसपास के एरिया को प्रभावित कर चुका है या नहीं। ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है? लिंफनोड्स कैंसर प्रभावित है या नहीं? कैंसर शरीर के किसी अंग तक तो नहीं फैला है।
पहला- स्टेज 0
इसे DCISया डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू भी कहते हैं। इसमें कैंसर कोशिकाए ब्रेस्ट के डक्ट्स में ही रहती है और आसपास के टिश्यू तक नहीं पहुंची होती हैं।
दूसरा- स्टेज -1
इसमें ट्यूमर बन चुका होता है। लेकिन उसका आकार 2 सेंटीमीटर से कम होता है। इस स्टेज में कैंसर लिंफ नोड्स तक नहीं पहुंचा होता है।
तीसरा - स्टेज-2
इसमें दो प्रकार के कैंसर होते हैं। पहला जिसमें ट्यूमर 2 सेंटीमीटर या 2 सेंटीमीटर से बड़ा नहीं होता, लेकिन कैंसर लिंफ नोड तक फैल चुका होता है।
दूसरा, जिसमें ट्यूमर 2 से 5 सेंटीमीटर के बीच का होता है लेकिन यह लिंफनोड्स या अन्य टिश्यू तक नहीं फैला होता है।
चौथा- स्टेज -3
इसमें कई प्रकार के कैंसर आते हैं। पहला इसमें ट्यूमर 5 सेंटीमीटर का भी हो सकता है। लेकिन कैंसर लिंफनोड्स या दूसरे अंगों तक नहीं फैला होता।
दूसरा ट्यूमर का साइज चाहे कुछ भी हो, कैंसर छाती और त्वचा तक फैल चुका होता है, लेकिन लिंफनोड्स तक नहीं फैला होता। तीसरा, इसमें ट्यूमर साइज कोई भी हो सकता है और कैंसर लिंफनोड्स तक और अन्य अंगों तक फैल चुका होता है।
पांचवां - स्टेज-4
चौथी स्टेज में पहुंचने के बाद कैंसर बहुत खतरनाक हो जाता है। यह पूरे शरीर में फैल जाता है लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित लीवर लांस और ब्रेन को करता है।
स्तन कैंसर के कारण
पूरी उम्र बच्चे पैदा नहीं करना। या फिर ज्यादा उम्र में पहला बच्चा होना। स्तनपान कम समय तक कराना या बिल्कुल नहीं कराना। जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना। शराब का नियमित सेवन, अनियमित जीवन शैली और अनुवांशिक रूप से भी ब्रेस्ट कैंसर का होना संभव है।
ब्रेस्ट कैंसर के बचाव
सप्ताह में 5 दिन एक्सरसाइज करने से ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से बचा जा सकता है। नमक का जरूरत से ज्यादा मात्रा में प्रयोग ना करें। रेड मीट का सेवन कम करें। धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें। इसके अलावा जीवन में कुछ बदलाव करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे कि काली चाय में एपीगेलो कैटेचिन गैलेट नामक तत्व पाया जाता है, जो कि ट्यूमर कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से बढ़ने नहीं देता। इसलिए काली चाय का नियमित सेवन ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है। ग्रीन टी में एंटी इन्फेमेटरी गुण पाया जाता है। ये ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद करता है। बहुत गर्म चाय पीना भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है, क्योंकि ज्यादा तापमान कैंसर कोशिकाओं में वृद्धि करता है। इसलिए हल्की गर्म चाय पीनी चाहिए। दूध दही का नियमित सेवन करना चाहिए। क्योंकि दूध में विटामिन D पाया जाता है। विटामिन D कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देता।
विटामिन C के नियमित सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होती है और ब्रेस्ट कैंसर से बचाव होता है। ब्रेस्ट को बढ़ने से रोकने के लिए गेहूं के ज्वारे भी फायदेमंद साबित होते हैं क्योंकि इनके सेवन से शरीर के टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकलते हैं। और इम्यूनिटी भी मज़बूत होती है।
ब्रेस्ट कैंसर की जांच
ब्रेस्ट कैंसर के लिए डॉक्टर ये जांच करते हैं।
ब्रेस्ट परीक्षण
- डॉक्टर दोनों ब्रेस्ट की जांच कर असामानताओं का पता लगाते हैं।
मैमोग्राम
- ब्रेस्ट में गांठ या ट्यूमर होने पर डॉक्टर मैमोग्राम की सलाह देते हैं। मैमोग्राम में स्तन की सतह से नीचे देखा जा सकता है। मैमोग्राम में असमानता का पता चलने पर डॉक्टर अन्य टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
अल्ट्रासाउंड
- अल्ट्रासाउंड में ब्रेस्ट टिश्यू की तस्वीर बन जाती है। जिससे डॉक्टर को सिस्ट और ट्यूमर में अंतर करने में मदद मिलती है।
बायोप्सी
- अगर मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड में संतोषजनक परिणाम नहीं मिले हो तो डाक्टर संदिग्ध स्थान का सैंपल लेकर बायोप्सी करते हैं। इससे कैंसर है या नहीं, यह क्लियर हो जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
- सर्जरी: स्तन कैंसर को हटाने के लिए दो तरह की सर्जरी की जाती है। सर्जरी ब्रेस्ट कैंसर की स्टेज पर निर्भर करती है।
- लैपक्टमी: इसमें सिर्फ कैंसर प्रभावित टिश्यू को हटाया जाता है जबकि ब्रेस्ट के स्वस्थ टिश्यू को उसी जगह पर रहने दिया जाता है।
- मासेक्टोमी: इसमें सर्जन कैंसर ग्रस्त पूरा ब्रेस्ट हटा देते हैं। जब दोनों ब्रेस्ट को हटाया जाता है तो इसे डबल मासेक्टोमी कहते हैं।
- रेडिएशन: इसमें हाई वेव x-rays का इस्तेमाल किया जाता है।
- कीमोथेरेपी: दवाओं और इंजेक्शन के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। कभी-कभी सर्जरी और कीमोथेरेपी एक साथ की जाती है।
- हार्मोनेथेरेपी: ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का इस्तेमाल किया जाता है। यह हार्मोन ट्यूमर के विकास को रोक देता है।
ब्रेस्ट कैंसर कहां फैलता है?
ब्रेस्ट कैंसर आमतौर पर लीवर, फेफड़े, बोन और दिमाग में फैलता है। ब्रेस्ट कैंसर जब दूसरे अंगों में फैलता है तो भी उसे मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर ही माना जाता है। जैसे कि अगर ब्रेस्ट कैंसर लंग्स तक फैल चुका है तो उस कैंसर को लंग्स कैंसर ना कहकर ब्रेस्ट कैंसर ही कहते हैं।