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Crisis Hit Sri Lanka : श्रीलंका के आर्थिक संकट पर पीएम मोदी से क्यों मिले तमिलनाडु CM, पड़ोसी देश में 1970 के अकाल से भी बदतर हालात ?

Janjwar Desk
31 March 2022 8:30 PM IST
Crisis Hit Sri Lanka : श्रीलंका के आर्थिक संकट पर पीएम मोदी से क्यों मिले तमिलनाडु CM, पड़ोसी देश में 1970 के अकाल से भी बदतर हालात ?
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(श्रीलंका में ऐतिहासिक आर्थिक संकट, महंगाई ने तोड़ी आम आदमी की कमर, पीएम मोदी से मिले तमिलनाडु सीएम)

Crisis Hit Sri Lanka : 1970 के दशक में जब सिरिमावो भंडार नाइके प्रधानमंत्री थे तब श्रीलंका में अकाल पड़ा था, हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि मौजूदा संकट उससे भी कहीं ज्यादा खराब है.....

Crisis Hit Sri Lanka : राजधानी दिल्ली में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन (M.K. Stalin) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ बैठक की और श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट (Economic Crisis In Sri Lanka) पर चर्चा करते हुए समर्थन पेश करने का आग्रह किया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक 69 वर्षीय तमिलनाडु के नेता स्टालिन ने श्रीलंकाई तमिलों (Sri Lankan Tamils) को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति मांगी।

तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक ट्वीट में कहा गया कि उन्होंने दक्षिणी राज्य में विकास परियोजनाओं का मुद्दा उठाया। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि उन्होंने तमिलनाडु से श्रीलंका के लिए भोजन और दवाओं सहित राहत सामग्री भेजने का प्रस्ताव रखा। स्टालिन राष्ट्रीय राजधानी के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में केरल के वित्तमंत्री के एन. बालगोपाल ने कहा था कि पड़ोसी देश में आर्थिक संकट भारत के लिए एक सबक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने भी हाल ही में श्रीलंका की अपनी यात्रा के दौरान मदद की पेशकश की थी।

इस बीच, स्टालिन अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और राजनाथ सिंह से भी मिलेंगे। वह शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नए कार्यालय का उद्घाटन करेंगे।

बता दें कि देश की आजादी के बाद से श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार इस दक्षिण एशियाई देश में 10 घंटे की बिजली काटने के आदेश दिए गए हैं और देशभर में डीजल की कमी है। इस बीच गुरुवार को देश के शेयर बाजार ने कारोबार पर रोक लगा दी।

आयात के लिए भुगतान करने में असमर्थता

श्रीलंका की महिंदा राजपक्षे (Mahindra Rajapaksha) सरकार दो साल में विदेशी मुद्रा भंडार में 70 प्रतिशत की गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा के अभाव में महत्वपूर्ण चीजों के आयात के लिए भुगतान करने में असमर्थ है। श्रीलंका फूड, ऑयल, पेपर, चीनी, दाल, दवा और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े उपकरणों के आयात पर निर्भर है। देश की मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर होने के स्थिति में अब सरकार को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।

1 अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 295 श्रीलंकाई रूपय

एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू इस वक्त 295 श्रीलंकाई रुपये तक पहुंच गई है। मार्च महीने में ही डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू 46 प्रतिशत तक गिर गई। इससे देश की जनता को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। चीजों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। महंगाई दर 17 प्रतिशत के पार पहुंच चुकी है।

भारत पहुंच रहे श्रीलंकाई शरणार्थी

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु और उत्तरी श्रीलंका भौगोलिक तौर पर नजदीक तो हैं साथ ही दोनों ओर काफी सांस्कृतिक और सामाजिक समानताएं हैं। दोनों जगह तमिल भाषी लोग हैं। श्रीलंका का आर्थिक संकट अब मानवीय संकट में बदल रहा है। लोगों को अपना जीवन गुजर-बसर करना लगातार मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कई परिवार भारत का भी रूख कर रहे हैं।

हाल ही में कई रिपोर्ट्स सामने आयी थीं कि श्रीलंका के परिवार भारत पहुंचे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार 22 मार्च को 16 श्रीलंकाई नागरिक नाव के जरिए भारत पहुंचे। उन्हें तमिलनाडु मरीन पुलिस ने हिरासत में लिया। श्रीलंकाई नागरिकों का पहला समूह मंगलवार सुबह तमिलनाडु के धनुषकोड़ी पहुंचा। इसमें जाफना और मन्नारी के दो परिवारों के तीन वयस्क और तीन बच्चे शामिल थे। इसके बाद उसी दिन रात दस बजे दूसरा समूह भी भारत में पहुंच गया। इसमें पांच वयस्क और पांच बच्चे शामिल थे।

1970 में पड़ा था अकाल

मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान श्रीलंका के प्रमुख उद्योग चाय, कपड़ा और पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इसके बाद से इस देश देश पास एक स्थिर आय का स्त्रोत नहीं है, वह धीरे धीरे आर्थिक संकट में गिरता गया। इसके साथ ही इसका फॉरेक्स भी लगातार गिरता जा रहा है। कहा जाता है कि 1970 के दशक में जब सिरिमावो भंडार नाइके प्रधानमंत्री थे तब श्रीलंका में अकाल पड़ा था। हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि मौजूदा संकट उससे भी कहीं ज्यादा खराब है।

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