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दिल्ली विधानसभा में राकेश अस्थाना की नियुक्ति खारिज करने का प्रस्ताव पारित, जनज्वार ने उठाया था प्रमुखता से सवाल

Janjwar Desk
29 July 2021 2:29 PM GMT
दिल्ली विधानसभा में राकेश अस्थाना की नियुक्ति खारिज करने का प्रस्ताव पारित, जनज्वार ने उठाया था प्रमुखता से सवाल
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राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्ति को विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर खारिज कर दिया गया है (file pic)

आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा द्वारा सदन में यह प्रस्ताव लाया गया, जिसके बाद दिल्ली विधानसभा में राकेश अस्थाना की पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति को लेकर चर्चा हुई..

जनज्वार। दिल्ली विधानसभा में पुलिस कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को खारिज करने का प्रस्ताव पास हो गया है। आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा द्वारा आज 29 जुलाई को सदन में यह प्रस्ताव लाया गया।

राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की दिल्ली पुलिस प्रमुख पद पर नियुक्ति के बाद जनज्वार द्वारा इस नियुक्ति की तकनीकी खामियों और इसे लेकर उठ रहे सवालों को सबसे पहले प्रमुखता से कल 28 जुलाई को प्रकाशित व प्रसारित किया गया था। जनज्वार की वीडियो स्टोरी में पूर्व आईपीएस वीएन राय और एसआर दारापुरी ने इस नियुक्ति पर सवाल खड़े किये थे।

आम आदमी पार्टी के विधायकों ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को खारित करने की मांग की थी, जिसके बाद सदन में उनकी नियुक्ति के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया और उसे पास भी कर दिया गया। इससे पहले आज गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में राकेश अस्थाना की पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति को लेकर चर्चा हुई।

विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति खारिज करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति न केवल असंवैधानिक है बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी है। उन्होंने कहा कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में कहा गया था कि अगर डीजीपी के स्तर पर किसी की नियुक्ति होनी है तो उसके रिटायरमेंट में कम से कम 6 महीने का समय होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में यूपीएससी से भी सलाह लेने का आदेश दिया गया था। जबकि राकेश अस्थाना की नियुक्ति प्रक्रिया में कोर्ट के एक भी मानक का पालन नहीं किया गया।

संजीव झा ने कहा कि राकेश अस्थाना मोदी जी के चहेते अधिकारियों में से एक रहे हैं। जब-जब पीएम को जरूरत पड़ी, वे मौजूद रहे। उन्होंने आगे कहा कि साल 2011 में उन पर लेन देन का आरोप भी लगा था। साल 2017 में सीबीआई में उनके रहते बड़ा विवाद हुआ था। सीबीआी में उनकी नियुक्ति पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए थे।

बता दें कि दिल्ली विधानसभा के दो दिवसीय मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बीजेपी विधायक ओमप्रकाश शर्मा को पूरे दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया। इसके अलावा दो विधायकों को अध्यक्ष के कहने पर मार्शल ने सदन से बाहर निकाला।

पूर्व आईपीएस अधिकारी वीएन राय ने अस्थाना की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाया था, "गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी, मोदी के वफादार राकेश अस्थाना को उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक 4 दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। यह सुप्रीम कोर्ट के अनिवार्य दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन है। इस मामले में कोई यूपीएससी मंजूरी प्राप्त नहीं हुई और 6 महीने की सेवा शर्त भी पूरी नहीं हुई। तो, यह किस बारे में है? वफादार को इनाम?"

गौरतलब है कि चारा घोटाले मामले में पूछताछ हो, सुशांत केस से जुड़े ड्रग्स विवाद की जांच की अगुवाई हो या फिर सीबीआई में कार्यकाल के दौरान तत्कालीन निदेशक के साथ आरोप-प्रत्यारोप का मामला हो, राकेश अस्थाना हमेशा ही सुर्खियों में रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 2018 में सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उनका सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा से विवाद हुआ था और दोनों ने एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, फिलहाल सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के रूप में कार्यरत अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने गुजरात कैडर के अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी। एसीसी ने शुरू में उनकी सेवा को 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक जो भी पहले हो, तक बढ़ा दिया।

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