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एलगार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दे जेल की हिरासत के बजाय घर में नजरबंदी का किया अनुरोध

Janjwar Desk
2 Sept 2021 10:04 PM IST
एलगार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दे जेल की हिरासत के बजाय घर में नजरबंदी का किया अनुरोध
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(एलगार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा ने जेल की बजाय घर में नजरबंदी की अर्जी दी है (file pic)

नवलखा ने अपनी याचिका में यह भी अनुरोध किया कि उच्च न्यायालय तलोजा जेल के प्राधिकारियों को उनकी छाती में बनी एक गांठ के लिए चिकित्सा जांच कराने का निर्देश दें..

जनज्वार। एलगार परिषद मामले में आरोपी व जेल में बंद गौतम नवलखा ने बृहस्पतिवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि उन्हें बढ़ती उम्र और बीमारियों के कारण न्यायिक हिरासत के तौर पर घर में नजरबंद किया जाए। अभी वह तलोजा जेल में बंद हैं। NBT ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवलखा (69) ने अपनी याचिका में यह भी अनुरोध किया कि उच्च न्यायालय पड़ोसी नवी मुंबई में तलोजा जेल के प्राधिकारियों को उनकी छाती में बनी एक गांठ के लिए चिकित्सा जांच कराने का निर्देश दें।

रिपोर्ट के मुताबिक, उनके वकील युग चौधरी और पयोशी रॉय ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे ओर न्यायमूर्ति एन जे जामदार की पीठ से कहा कि नवलखा यह पता लगाने के लिए चिकित्सा जांच कराना चाहते हैं कि कहीं उन्हें 'कैंसर' तो नहीं है।

नवलखा ने अपनी याचिका में इस साल मई में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी आदेश का भी हवाला दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी लेकिन हिरासत के एक विकल्प के तौर पर घर में नजरबंद किए जाने के पक्ष में फैसला दिया था।

नवलखा के वकीलों ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि उन्होंने पहले ही तलोजा जेल अधिकारियों को पत्र लिखकर उनकी छाती में गांठ की चिकित्सा जांच कराने का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें अभी जवाब नहीं मिला है। उन्होंने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि नवलखा को जेल में रहते हुए उच्च रक्तचाप और कई अन्य बीमारियां हो गयी।

बता दें कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा के बाहर कबीर कला मंच की ओर से आयोजित यलगार परिषद में भड़काऊ भाषण दिए जाने के आरोप लगे थे। इसके अगले दिन एक जनवरी, 2018 को पुणे के ही भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों को इकट्ठा होना था।

ये लोग वहां 200 वर्ष पहले हुए एक युद्ध के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के लिए आने वाले थे। इस जमावड़े के बीच शुरू हुए पथराव व हिंसा में एक व्यक्ति मारा गया था और पूरे महाराष्ट्र में तीन दिन अशांति रही थी। इस मामले में आठ जनवरी, 2018 को दर्ज की गई एफआइआर के आधार पर शुरू की गई जांच की कड़ी में पुणे पुलिस ने देशभर से माओवादी संगठनों से जुड़े होने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया था।

गिरफ्तार लोगों में ज्योति राघोबा जगताप, सागर तात्याराम गोरखे, रमेश मुरलीधर गायचोर, सुधीर धवले, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, रोना विल्सन, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, वर्नन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुंबड़े, गौतम नौलखा और हनी बाबू के नाम शामिल हैं। पिछले दिनों एनआइए की तरफ से इन आरोपितों के विरुद्ध आरोपपत्र एवं ड्राफ्ट आरोप पेश किए जा चुके हैं। अब विशेष एनआइए अदालत निर्णय करेगी कि इन आरोपितों के विरुद्ध आइपीसी और यूएपीए के किन-किन आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

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