किसान आंदोलन : दिल्ली से लगे दो अहम हाइवे जाम करेंगे किसान, राष्ट्रपति से मिला विपक्ष
सिंघु बाॅर्डर पर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद प्रेस से बात करते किसान नेता।
जनज्वार। नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि काूनन वापस नहीं लेने के फैसले के बाद किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तीखा करने का ऐलान कर दिया है। वहीं, इस मुद्दे पर आज शरद पवार व राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला और उनसे इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की।
सिंघु बाॅर्डर पर आज सरकार के प्रस्ताव पर विचार विमर्श के बाद किसान नेताओं ने कहा कि वे 12 दिसंबर को दिल्ली-आगरा और दिल्ली-जयपुर हाइवे को जाम कर देंगे।
We will block Delhi-Jaipur and Delhi-Agra highways on 12th December: Farmer leaders at Singhu border pic.twitter.com/psrpWkrtz7
— ANI (@ANI) December 9, 2020
दिल्ली-हरियाणा के बीच सिंघु बाॅर्डर पर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा कि हमलोग इस प्रस्ताव को खारिज करते हैं और अब हम हाइवे जाम करेंगे।
We will block Delhi-Jaipur highway by 12th December: Farmer leaders at Singhu (Delhi-Haryana border)#FarmLaws https://t.co/YvWMeVdxW5
— ANI (@ANI) December 9, 2020
उधर, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे हैं। संभावना है कि दोनों नेता किसानों के बदले रुख पर कोई अहम फैसला लें।
Delhi: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar reaches Home Minister Amit Shah's residence.
— ANI (@ANI) December 9, 2020
मालूम कि मंगलवार की रात अमित शाह ने 13 किसान नेताओं के साथ पूसा इंस्टीट्यूट में तीन घंटे लंबी बैठक की थी। उस बैठक में सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने का किसान नेताओं को संकेत दिया, जिसके बाद किसान नेताओं ने आज होने वाली सरकार के साथ बैठक को रद्द कर दिया और सरकार के प्रस्ताव पर मीटिंग करने का निर्णय लिया। किसान नेताओं ने मंगलवार रात की बैठक के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि हम मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने से कम पर राजी नहीं होंगे। वहीं किसान संघ न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक मान्यता भी चाहते हैं।
उधर, राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हमने उन्हें बताया कि ये तीन कृषि कानून किसान विरोधी हैं और इसे वापस लिया जाना चाहिए। वहीं, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हम विपक्षी दलों ने इस कानून पर गहनता से विचार किया था और सरकार से मांग की थी कि इसे सलेक्ट कमेटी में भेजना चाहिए लेकिन सरकार ने हमारी एक नहीं सुनी थी।
शरद पवार ने कहा कि इस ठंड के मौसम में भी किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर अपनी नाखुशी कानून को लेकर प्रकट कर रहे हैं। यह सरकार की ड्यूटी है कि वह इनकी शंकाओं व मुद्दों का समाधान करे।
There was a request from all opposition parties for in-depth discussion of farm bills & that it should be sent to select committee, but unfortunately, no suggestion was accepted & bills were passed in hurry: NCP chief Sharad Pawar after meeting of opposition with President Kovind pic.twitter.com/akmTCN5Gkm
— ANI (@ANI) December 9, 2020