करनाल को अगला सिंघु बार्डर बनाने की तैयारी में किसान, लगा दिया पक्का मोर्चा
(किसान उस वक्त तक पक्का मोर्चा बंदी करके बैठे रहेंगे, जब तक अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो जाती)
जनज्वार ब्यूरो। करनाल में लघु सचिवालय के सामने किसानों ने पक्का मोर्चा लगा दिया है। रात भर किसान सड़कों पर डटे रहे। सुबह होते ही फिर एकजुट हो प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी है।
किसानों ने करनला में महापचांयत आयोजित की थी। इस पंचायत में निर्णय लिया कि बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों के सिर फोड़ने के आर्डर देने वाले आईएएस आयुष सिन्हा के खिलाफ 302 का मामला दर्ज किया जाए। इस मांग को सरकार ने ठुकरा दिया। इसके बाद किसानों ने अपनी चेतावनी पर अमल करते हुए लघु सचिवालय का घेराव कर लिया है।
करनाल क्योंकि सीएम मनोह लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र है। इसलिए भी प्रशासन किसानों के सामने बैकफुट पर नजर आ रहा है। अब फिर से किसान शिष्टमंडल को प्रशासन ने बातचीत के लिए बुलाया है। दो बजे यह बातचीत होगी। उम्मीद है कि इस बातचीत में मामले का कोई हल निकल सकता है।
इधर दूसरी ओर जिला सचिवालय के समक्ष किसानों ने पक्का मोर्चो लगाकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। किसान नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक प्रशासनिक अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्यवाही नहीं होगी, तब तक लघु सचिवालय के सामने किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।
किसानों ने जिला सचिवालय के समक्ष टैंट लगा गाड़ दिए, वहीं लंगर चालू कर दिए। जिला सचिवालय के सामने व आसपास सडक़ों पर किसानों की भीड़ जुटी हुई है। किसानों के पक्का मोर्चा को देखते हुए शासन-प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए है, प्रशासनिक अधिकारी किसी न किसी तरह विवाद सुलझाने में लगे हुए हैं।
किसानों की पक्की मोर्चाबंदी देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है, चंडीगढ़ में बैठे आला अधिकारी मामले को लेकर एसपी-डीसी से इनपुट ले रहे है।
संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, किसान नेता योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढूनी सहित अन्य नेताओं के जिला सचिवालय के आगे मोर्चो बंदी करके बैठ जाने से प्रशासन पर दवाब साफ तौर पर देखा जा सकता है।
नेताओं के करनाल में धरने पर बैठने से किसानों विशेषकर युवा काफी उत्साहित नजर आ रहे है। हालांकि अब तक किसानों का आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है, आंदोलन आगे भी शांतिपूर्वक चले, इसको लेकर किसान नेता किसानों को शांतिपूर्वक आंदोलन करने की लगातार अपील कर रहे है।
संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार चाहे जो मर्जी आरोप किसानों पर लगा ले, कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार की शुरू से मंशा रही है कि किसानों को बदनाम किया जाए। उन्होंने कहा कि किसान शांतिपूर्वक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक तीन कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते।
उन्होंने कहा कि करनाल में किसानों पर बेरहमी से पुलिस ने लाठीचार्ज किया, इसके विरोध में जिला सचिवालय के घेराव का निर्णय लिया गया था। सरकार को 7 सितम्बर तक टाइम दिया गया था, लेकिन शासन-प्रशासन ने किसानों की मांगों को नहीं माना। सबसे पहली मांग थी कि सिर फोडऩे के आदेश देने वाले अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज हो, लेकिन सरकार अधिकारी पर कार्यवाही नहीं कर रही। इसे देखते हुए किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव किया है।
किसान उस वक्त तक पक्का मोर्चा बंदी करके बैठे रहेंगे, जब तक अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो जाती। पक्का मोर्चाबंदी जारी रहेंगी। उधर किसानों के आंदोलन को देखते हुए किसानों के चारों तरफ बीएसएफ, आईटीबीपी, रैपिड एक्शन फोर्स सहित अन्य 5-6 जिलों की पुलिस फोर्स का घेरा बनाए हुए है। लघु सचिवालय के मेन गेट को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
हालांकि लघु सचिवालय में कामकाज सामान्य तरीके से चल रहा है। प्रशासन के अधिकारी दूसरे गेट से अपने कार्यालय में पहुंच रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने भी बोला कि उन्होंने सिर्फ घेराव किया है। रास्ता जाम नहीं किया है।
इधर किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि दो बजे प्रशासन की ओर से बातचीत का बुलाया आया है। उन्होंने अपनी मांगों के बारे में प्रशासन को पहले ही अवगत करा दिया था। अब यदि प्रशासन मांग मान जाता है तो ठीक है। अन्यथा किसान यहां डटे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार सिंघु बार्डर की बजाय अब करनाल को आंदोलन का केंद्र बनाने की योजना बना रही है। इससे किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसान हर स्थिति के लिए तैयार है। चढ़ूनी ने यह भी दावा किया।