Heat Wave in India : 'तंदूर' में तब्दील हो रहे देश के शहर, सरकारों के पास इससे निपटने की नीति ही नहीं
Heat Wave in India : 'तंदूर' में तब्दील हो रहे देश के शहर, सरकारों के पास इससे निपटने की नीति ही नहीं
Heat Wave in India : भारत की राजधानी दिल्ली समेत देश का एक बड़ा भूभाग इन दिनों चिलचिलाती गर्मी (Heat Wave in India) से परेशान है। हाल के कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर से सटे कुछ इलाकों और मध्य भारत में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। इस प्रचंड गर्मी के कारण लोगों का जीना दूभर हो रहा है। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत देश के सभी बड़े शहर तंदूर में तब्दील होते जा रहे हैं। इससे बचने के लिए लोग कूल और एसी का सहारा ले रहे है, पर क्या वाकई इस कदम से गर्मी से राहत मिल पा रही है। इसका साफ जवाब है नहीं, एसी और कूल थोड़े समय के लिए हमें ठंडा तो जरूर कर दे रहे है, पर इसका दूरगामी प्रभाव यह पड़ता है कि यह हमारे वातावरण को खासकर हमारे शहरों को हर दिन भट्ठी या तंदूर में बदल रहा है। यह कैसे होता है यही हम इस रिपोर्ट जानने की कोशिश करते है।
हर साल गर्मी के समय भारत के अधिकांश शहरों में गरम हवा (Heat Wave in India) चलती है। इसके कारण लू लगती है, गर्मी से थकावट आती है, गर्मी के कारण लोग बेहोश तक हो जाते हैं और कुछ लोगों की तो मौत भी हो जाती है। शहर के कुछ हिस्से अधिक गर्म हो जाते हैं जिन्हें अर्बन हीट आईलैंड कहा जाता है। यह महानगरों का वह हिस्सा है जहां आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के बनिस्बत तापमान उल्लेखनीय रूप से अधिक रहता है। अर्बन हीट आईलैंड में गर्मी को कम करने के लिए ऐसे पेड़-पौधों और मकान निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा सकता है जिसमें कम गर्मी अवशोषित हो। इसके साथ ही मानवीय गतिविधियों से जो गर्मी होती है जैसे गाड़ी के प्रदूषण इत्यादि, उसको कम करने की कोशिश की जा सकती है। आजकल गर्मी अपने चरम पर है और इसके तरह-तरह के रूप देखने को मिल रहे हैं। जैसे शहरों में गावों से अधिक गर्मी होना। इसी को अर्बन हीट आईलैंड कहते हैं। ये आईलैंड, महानगरों का हिस्सा है जहां आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा गर्मी होती है।
मोंगाबे डॉट कॉम के लिए अनुषा कृष्णन की एक रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले 1810 में ल्यूक हॉवर्ड नाम के अंग्रेज़ मौसम विज्ञानी ने अर्बन हीट आईलैंड (Heat Wave in India) के बारे में बताया था। हॉवर्ड, शहरी जलवायु विज्ञान के पथप्रदर्शक थे। उन्होंने सबसे पहले शहरों बढ़ रही गर्मी का वर्णन उनकी किताब 'द क्लाइमेट ऑफ लंदन' में किया था। उन्होंने दिखाया था कि लंदन शहर, खासकर मध्य लंदन का तापमान उसी समय आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दर्ज किए गए तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक था। हालांकि इसे 'अर्बन हीट आईलैंड' का नाम जर्मन मौसम विज्ञानी अल्बर्ट पेप्प्लर ने 1929 में दिया था और उन्होंने 'शहर के ऊपर गर्म स्थिर हवा का द्रव्यमान' के रूप में इसका वर्णन किया था।
क्यों गर्म होते जा रहे हैं देश के शहर?
दुनिया के साथ-साथ हमारे देश के महानगर और बड़े शहर भी गर्मी की चपेट में आते जा रहे हैं। हर साल शहरों का अधिकतम तापमान बढ़ता जा रहा है। आखिर इसका कारण क्या है? शहरों की कई विशेषताओं के कारण ऐसे क्षेत्र बनते हैं जहां अधिक गर्मी (Heat Wave in India) होती है। सबसे पहले तो शहरों में पेड़-पौधों के कम होने के कारण ज्यादा वाष्पीकरण और ज्यादा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण गर्मी ज्यादा होती है। वाष्पीकरण प्रक्रिया में मिट्टी, जलाशय, सतह का पानी भाप बन जाता है। पेड़ों के जड़ से होते हुए पत्तों के छोटे-छोटे छिद्रों के माध्यम से पानी का हवा में मिल जाना वाष्पोत्सर्जन है।
शहरों में गर्मी बढ़ने का दूसरा बड़ा कारण हैं यहां की बहुमंजिला इमारतें। इन बहुमंजिला इमारतों में एक से अधिक सतह होते हैं, ये सहत सूरज की रोशनी से गर्मी सोखते हैं और उसे आस-पास की आबोहवा में छोड़ते रहते हैं। इससे आसपास का वातावरण गर्म होता रहा है। कई सारी ऊंची इमारतें एक ही जगह पर होने के कारण आसपास होने के कारण हवा के प्रवाह में भी रुकावट पैदा होती है। हवा के प्रवाह में रुकावट पैदा होने से वातावरण के प्राकृतिक रूप ठंडा होने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इस परिस्थति में अरबन केन्योन या स्ट्रीट केन्योन का प्रभाव पैदा होता है।
शहरों में विकास के नाम पर सड़कों और इमारतों में बेतहाशा डामर और कंक्रीट का प्रयोग भी किया जाता है। इनकी काली सतह और थर्मल जैसे लक्षणों के कारण ये निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा गर्मी सोखते हैं। आमतौर पर शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में तापमान का अंतर (Heat Wave in India) दिन की तुलना में रात में अधिक होता है। इसके कारण शहरों में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले कंक्रीट में ज्यादा गर्मी सोखने की क्षमता होती है। ये कंक्रीट के निर्माण गर्मी के भंडार के रूप में काम करते हैं। इसके साथ ही शहर के ऊपर की वायुमंडलीय स्थिति के कारण, अक्सर शहर में चलने वाली हवा जमीनी स्तर पर ही सतह पर फंस जाती है।
शहरों में चल रहे एसी, कूलर, फ्रिज और कंप्यूटर भी बढ़ा रहे गर्मी
मानव जनित गर्मी और वायु प्रदूषण शहरों में गर्मी बढ़ने (Heat Wave in India) का चौथा सबसे बड़ा कारण है। मानव जनित गर्मी गाड़ियों और इमारतों (पंखा, कंप्यूटर, फ्रिज और एयर कंडीशन) द्वारा पैदा होती है। हालांकि पहले उल्लेख किये गये कारणो की तुलना में चौथे कारण को व्यापारिक और रिहायशी क्षेत्र में कम महत्व दिया जाता है। शहरों में अधिक प्रदूषक गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और ओज़ोन ग्रीनहाउस गैस पाए जाते हैं और माना जाता है कि अर्बन हीट आईलैंड बनाने में इसकी भूमिका होती है।
2012 में दुनिया के 419 शहरों के विश्लेषण से पता चलता है कि अर्बन हीट हाईलैंड (Heat Wave in India) के कारण पूरी दुनिया के शहरों में दिन के समय 1.5 डिग्री सेल्सियस और रात में 1.1 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक रहता है। इसका प्रभाव आबादी, वनस्पति और जलवायु पर भी पड़ता है? यूरोप और उत्तरी अमेरिका में हुए अध्ययन से पता चलता है कि अर्बन हीट आईलैंड, बारिश के पैटर्न, बादल तथा कोहरे के निर्माण को प्रभावित करता है। इसके अलावा समशीतोष्ण क्षेत्र में पौधे उगाने के मौसम को भी प्रभावित करता है।
अनुषा कृष्णन की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में भारत के 32 शहरों में बढ़ रही गर्मी पर की गई एक स्टडी में यह बात सामने आयी थी कि दिन के समय में शहरों में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से 9 डिग्री सेल्सियस (Heat Wave in India) तक अधिक हो जाता है। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक जिसमें हमारे देश के 44 शहरों को शामिल किया गया था उसके अनुसार जिसमें पता चला कि पेड़-पौधे की कमी के कारण शहरों के तापमान बढ़ रहे हैं। शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में तापमानों का अंतर बारिश के समय और उसके बाद के समय में ज्यादा होता है। हालांकि कई शहरों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में शहर की तुलना में ज्यादा तापमान रहने की बात भी इन अध्ययनों में सामने आयी है।
बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए सरकार के पास स्पष्ट नीति नहीं
दशकों से वैज्ञानिक दुनिया में बढ़ रही गर्मी को लेकर लोगों को चेता रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु संकट के कारण दुनियाभर के शहरी इलाकों में हीटवेव (Heat Wave in India) बढ़ते जा रहे हैं। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देशों पर इसका और बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि राज्य और केन्द्र सरकारों के पास देश में साल दर साल बढ़ रही गर्मी पर नियंत्रण के लिए कोई नीति नहीं है। कुछ राज्यों में इसपर चर्चा जरूर शुरू हई है पर फिलहाल हकीकत तो यही है कि हीटवेव से निपटने के लिए जो सरकारी पॉलिसी होनी चाहिए वह अब तक नहीं बन पायी है। इस मामले में आम लोगों के बीच जागरूकता की कमी भी है। इस सबका परिणाम यह हो रहा है कि ठंढे शहर की आस लिए हम हर दिन हमने शहर को गर्म करते जा रहे हैं।