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झारखंड

कांट्रेक्ट पर नौकरी कर रहे MBBS डाॅक्टर की सड़ी हुई लाश कमरे से बरामद, 6 माह से नहीं मिला था वेतन

Janjwar Desk
8 Oct 2020 12:19 PM IST
कांट्रेक्ट पर नौकरी कर रहे MBBS डाॅक्टर की सड़ी हुई लाश कमरे से बरामद, 6 माह से नहीं मिला था वेतन
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डाॅक्टर की पत्नी सुजाता विजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पति को छह महीने से वेतन नहीं मिला था और इसको लेकर सिविल सर्जन से लेकर अन्य अधिकारियों से फरियाद की गई थी, लेकिन फिर भी वेतन का भुगतान नहीं हुआ। इस वजह से घर में पैसे की काफी दिक्कत थी और बच्चे को दूध पिलाने तक के पैसे नहीं थे। इस वजह से पारिवारिक कलह भी हुआ करता था।

जनज्वार। झारखंड के गोड्डा जिले में छह महीने से वेतन नहीं मिलने के संकट से गुजर रहे एक डाॅक्टर की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है। गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट प्रखंड के देवटांड़ स्वास्थ्य केंद्र पर डाॅ विजय कृष्ण श्रीवास्तव का शव बुधवार को उनके घर पर मिला। मौत की वजह का अभी पता नहीं चला है लेकिन इसे आत्महत्या या हर्टअटैक से हुई मौत माना जा रहा है और यह पूरा मामला पैसों के संकट से जुड़ा है। डाॅक्टर की पत्नी ने मौत की वजह आर्थिक संकट जनित कारण को बताया है।

विजय कृष्ण का शव बीते पांच दिनों से कमरे में बंद था, लेकिन सड़न के कारण जब उसकी बदबू आसपास फैली तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी और मामले का खुलासा हुआ।

डाॅक्टर की पत्नी सुजाता विजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनके पति को छह महीने से वेतन नहीं मिला था और इसको लेकर सिविल सर्जन से लेकर अन्य अधिकारियों से फरियाद की गई थी, लेकिन फिर भी वेतन का भुगतान नहीं हुआ। इस वजह से घर में पैसे की काफी दिक्कत थी और बच्चे को दूध पिलाने तक के पैसे नहीं थे। इस वजह से पारिवारिक कलह भी हुआ करता था।

डाॅक्टर का कमरा अंदर से बंद था, इसलिए खुदकुशी या हार्टअटैक का संदेह जताया जा रहा है। डाॅ विजय कृष्ण श्रीवास्तव ने सेना, रेलवे सहित कई महत्वपूर्ण संस्थानों में डाॅक्टर के रूप में सेवा दी थी। उन्होंने सेना में दो साल कांट्रेक्ट पर डाॅक्टर के रूप में काम किया, फिर सेंट्रल रेलवे, विनोबा भावे अस्पताल व गोड्डा शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में डाॅक्टर के रूप में काम कर चुके थे।

कटिहार मेडिकल काॅलेज से किया था एमबीबीएस, केरल की नर्स से प्रेम विवाह

डाॅ विजय कृष्ण श्रीवास्तव मूल रूप से पटना के रहने वाले थे। उन्होंने कटिहार मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। जब वे कटिहार के मेडिकल काॅलेज में पढ रहे थे तो उसी दौरान 1997-98 में उन्हें केरल की एक नर्स सुजाता से प्रेम हो गया जिनसे उन्होंने शादी कर ली। इस दंपती के तीन बच्चे हैं: 16 साल का सूर्यन विजय, 13 साल का जयेश विजय और तीन साल की बेटी ऋषिता। इस छोटी बच्ची के लिए यह परिवार इन दिनों दूध की व्यवस्था करने के संकट से भी गुजर रहा था।

पैसे के अभाव में मंझले बच्चे जयेश का स्कूल से नाम कट गया था। 15 दिन पहले परिवार में पैसे को लेकर विवाद हुआ था तो सुजाता तीनों बच्चों को लेकर पंजवारा चली गई थीं।

कांट्रेक्ट पर हुई थी नियुक्ति

डाॅक्टर वियज कृष्ण की तीन महीने पहले कांट्रेक्ट पर गोड्डा जेल में डाॅक्टर के रूप में नियुक्ति हुई थी। उस समय बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौट रहे थे। उनके स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल कर्मियों की जरूरत थी। बाद में उनकी तैनाती देवटांड़ स्वास्थ्य केंद्र में हुई और वे प्रखंड मुख्यालय के पास ही एक क्वार्टर में रहते थे। बुधवार को जब उनके घर से दुर्गंध आयी तो आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी और मामले का खुलासा हुआ।

उनकी नियुक्ति डीएमएफटी योजना के तहत हुई थी। इस संबंध में गोड्डा के सिविल सर्जन डाॅ शिव प्रसाद मिश्रा न कहा कि डीएमएफटी के तहत नियुक्त किसी भी कर्मी को छह महीने से वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि कई बार इस संबंध में मांग की गई लेकिन फंड नहीं आया।

कांट्रेक्ट नौकरियों व वेतन संकट पर सवाल

डाॅक्टरी का पेश एक ऐसा पेशा माना जाता है जिसके बारे में यह धारणा है कि इसमें अच्छी तनख्वाह मिलती है या निजी प्राइक्टिस से डाॅक्टर अच्छी कमाई करते हैं। लेकिन, इस मामले ने इस सोच को पूरी तरह से सही मानने को गलत साबित कर दिया है। एमबीबीएस डाॅक्टर की आर्थिक संकट से मौत कई सवाल खड़े करती है। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक में हाल के सालों में कांट्रेक्ट पर नियुक्ति करने का चलन तेजी से बढा है, जिससे कर्मी की जाॅब सिक्यूरिटी नही रहती है और आर्थिक अनिश्चितता भी बनी रहती है।

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