लाकडाउन में भी मनरेगा मजदूरों को नहीं मिला रहा काम, कर्मियों की मिली भगत से हो रही पैसों की लूट
विशद कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। एक ओर सरकार द्वारा इस कोरोना काल में बेरोजगारी के संकट से मुक्ति के कई उपाय किये जा रहे हैं, जिसके आलोक में काम मांगने वाले मजदूरों को 24 घंटे के अंदर रोजगार गारंटी कानून मनरेगा के तहत काम उपलब्ध कराने को जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है। राज्य का लातेहार जिला प्रशासन द्वारा भी मनरेगा में काम मांगने वाले श्रमिकों को 24 घंटे के अंदर काम उपलब्ध करा देने का दावा किया जाता रहा है, मगर लातेहार जिला प्रशासन का यह दावा खोखला साबित हो रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण है जिले का महुआडांड़ प्रखंड के अंतर्गत नेतरहाट पंचायत का आधे गांव।
यहां के 13 मजदूरों ने पिछले 6 जुलाई को ही प्रखंड कार्यालय में सामूहिक काम के लिए आवेदन दिया था। परंतु उनको अब तक काम नहीं दिया गया है। उल्टे काम की मांग करने वाले श्रमिकों के नाम मस्टर रोल सृजित करके प्रखंड प्रशासन ने उन मजदूरों को बेरोजगारी भत्ते के अधिकार से भी वंचित कर दिया है।
इस संबंध में नरेगा वाच के झारखंड राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज कहते हैं कि कोविड19 लॉकडाउन में जिला प्रशासन द्वारा मनरेगा मजदूरों जिनके तमाम आर्थिक श्रोत बंद हैं, उनको मनरेगा जैसे कानूनी अधिकारों से वंचित करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
जेम्स कहते हैं कि कई मनरेगा मजदूरों के बदले दूसरे मजदूरों के नाम से फर्जी मस्टर रोल संधारित कर सरकारी पैसे की लूट जारी है, मस्टर रोल में ऐसे मजदूरों के नाम हैं जिन्होंने योजना स्थल पर काम ही नहीं किया है। यह फर्जीवाड़ा ग्राम पंचायत मुखिया, ग्राम रोजगार सेवक, पंचायत सेवक एवं प्रखंड कर्मियों की मिलीभगत से किया जा रहा है।
बताते चलें कि काम की मांग करने वाले सभी आदिम जनजाति बिरजिया परिवार के सदस्य हैं। झारखंड में कुल 32 जनजातियों में से आठ को आदिम जनजातियों की श्रेणी में रखा गया है, जो विलुप्ति होने के कगार पर हैं। इन्हीं में एक बिरजिया आदिम जनजाति भी है। 2011 की जनगणना के आधार पर झारखंड में इनकी जनसंख्या मात्र 6276 है। अन्य आदिम जनजातियों में असुर 22459, बिरहोर 10726, कोरबा 35606, माल पहाड़िया 135797, परहिया 25585, सौरिया पहाड़िया 46222 और सबर की जनसंख्या 9698 है। मतलब विलुप्त होती जनजातियों में बिरजिया सबसे निचली कतार में है।
बता दें कि काम की मांग करने वाले संतोष बिरजिया, मानती बिरजिया, सोमरी देवी, दुखु बिरजिया आदि ने बताया कि प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर गांव होने की वजह से यहां कोई भी सरकारी कर्मी व जनप्रतिनिधि जैसे रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, मुखिया आदि कभी नहीं आते हैं। पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए इस गांव के लोगों को चार घंटे पैदल और जंगली पहाड़ी रास्तों से होकर जाना पड़ता है।
विगत तीन जुलाई को नरेगा सहायता केंद्र के सदस्य अफसाना एवं एग्नेसिया गांव में आये थे। उनके द्वारा सभी मजदूरों ने काम का आवेदन ले कर छह जुलाई से काम की मांग की गई थी। उनका आवेदन प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया। उनके स्तर से कोई कार्रवाई न होते देख जिले के उपायुक्त एवं उप विकास आयुक्त को भी आवेदन दिया गया। उसके बाद से आनन-फानन में मजदूरों का मस्टर रोल आधे गांव की मिलयानी देवी के खेत में डोभा निर्माण का काम दिनांक 8 जुलाई से 14 जुलाई तक सृजित किया गया। लेकिन किसी कर्मी ने उन मनरेगा मजदूरों को काम पर लगने की सूचना नहीं दी और बगैर काम किये मस्टर रोल की अवधि समाप्त हो गई।
दूसरी तरफ दुरूप पंचायत के दौना गांव में फिलिप सारस की आम बागवानी योजना में बगैर मस्टर रोल के मजदूरों से काम कराया गया। सिर्फ यही नहीं अब उन श्रमिकों के बदले दूसरे मजदूरों के नाम से फर्जी मस्टर रोल संधारित कर सरकारी पैसे की लूट जारी है, जिन्होंने योजना स्थल पर कार्य किया ही नहीं है। यह फर्जीवाडा ग्राम पंचायत के मुखिया, ग्राम रोजगार सेवक, पंचायत सेवक एवं प्रखंड कर्मियों की मिलीभगत से किया जा रहाहै।
दिनांक 5 जुलाई से 11 जुलाई तक संधारित मस्टर रोल में मेरी तेलरा, जुनास बिरजिया, जसिन्ता देवी, फिलिप सारस, फुलमति देवी, तरसियुस तेलरा एवं फुलकुमारी के नाम हैं। पुनः 12 से 18 जून तक निर्गत मस्टर रोल में इनके अतिरिक्त मंजू देवी और जेन्डर बिरजिया का नाम दर्ज है। जबकि 3 जुलाई को कार्यस्थल पर कार्यरत वास्तविक मजदूरों में जार्ज बिरजिया, विनोद बिरजिया, हेरमोन बिरजिया, जसटिन बिरजिया, प्रमोद बिरजिया, अमल बिरजिया, अलेक्स बिरजिया, कल्याण बिरजिया, अालोक बिरजिया, मनीष बिरजिया और मनोज बिरजिया शामिल थे। इनके अलावा तीन नाबालिग मजदूर क्रमशः जोन्सन बिरजिया, सुरेंदर बिरजिया व आशीष बिरजिया कार्य कर रहे थे। इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं जिले के वरीय अधिकारियों को शिकायत पत्र भेजा गया है। परंतु किसी प्रकार की कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है।