हर्षित हत्याकांड : सच निकली परिजनों की बात, चलती सांसों के बीच अस्पताल की बजाए लोडर से मुर्दाघर पहुँचे थे पुलिसवाले
घाटमपुर के हर्षित सचान हत्याकांड में पुलिस भी बराबर की दोषी है.
जनज्वार, कानपुर। यूपी के कानपुर (Kanpur) स्थित घाटमपुर में आईस्क्रीम कारोबारी के पुत्र हर्षित की गोली मारकर हत्या करने के मामले में पुलिस की भूमिका शर्मसार कर देने वाली रही। परिजनों की बात सही निकली है कि, जब पुलिस उसे लोडर में लादकर मुर्दाघर पहुँची थी, तब उसकी सांसें चल रही थीं।
घाटमपुर (Ghatampur) सीएचसी से एंबुलेंस में लादकर हर्षित को हैलट रिफर किया गया था। लोकिन चतुरीपुर पुल पहुँचने पर वहां खड़े एक लोडर में घायल को लादकर पुलिस हैलट की बजाए मोर्चरी पहुँच गई। हर्षित को जब लोडर में लादा गया था उस वक्त वहां एसओ धनेश प्रसाद भी मौजूद थे, उनकी मौजूदगी में ही यह कारनामा किया गया।
शुक्रवार 20 अगस्त को एडीजी भानू भास्कर ने एसपी आउटर अष्टभुजा प्रसाद सिंह को तलब कर लिया। एडीजी के सामने एसपी आउटर थानेदार का बचाव करते दिखे। एसपी ने झूठ भी बोला की घायल को लोडर से नहीं एंबुलेंस से भेजा गया था। लेकिन मीडिया (Media) रिपोर्ट्स को आधार बनाकर एडीजी ने एसपी को फटकार लगा दी।
क्या था मामला?
घाटमपुर के स्टेशन रोड पर बुधवार 18 अगस्त की देर शाम 19 वर्षीय पॉलिटेक्निक छात्र हर्षित सचान (Harshit Sachan) को गोली मार दी गई थी। पुलिस उसे लेकर सीएचसी घाटमपुर गई। यहां से हर्षित व उसके परिवार को एंबुलेंस से हैलट रिफर कर दिया गया। लेकिन चतुरीपुर पुल के पास पहुँचते ही पुलिस ने सभी को एंबुलेंस से उतारकर लोडर में बिठा दिया। जिसके बाद पुलिस लोडर लेकर हैलट की बजाए सीधे मोर्चरी पहुँच गई।
बाद में परिजन हर्षित को मोर्चरी (Morchary) से लेकर हैलट इमरजेंसी ले गये। गुरूवार 19 अगस्त को हर्षित के परिजनों ने आरोप लगाया था कि पुलिस की गैरजिम्मेदाराना हरकत से देर हो गई। हर्षित को समय से अस्पताल नहीं ले जाया जा सका और उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
चतुरीपुर में एसओ सहित सीओ भी मौजूद थे
हर्षित के परिजनों के मुताबिक जब एंबुलेंस (Ambulence) से घायल व उसके परिजनों को भेजा गया था तब घाटमपुर एसओ धनेश प्रसाद सहित अन्य पुलिसवाले साथ ही चल रहे थे। चतुरीपुर में घायल सहित सभी को लोडर में लाद दिया गया वहां से एसओ सहित अन्य पुलिसकर्मी लौट गये। लोडर में मात्र दो सिपाही हैलट के लिए रवाना हुए। बताया गया कि यहां घाटमपुर सीओ भी मौजूद थे। अगर ऐसा है तो एसओ सहित सीओ भी जिम्मेदार हैं। बाकी जांच में सभी बातें साफ होंगी।
एंबुलेस से लोडर में लादने का गहराया सवाल
पीड़ित परिजनों के मुताबिक जब वह घायल हर्षित को सीएचसी (CHC) ले गये थे तो डॉक्टर को दिखाने के बाद पुलिसवालों ने घायल हर्षित को एंबुलेंस में बिठा दिया। कहा कि हैलट ले चलना है। इसके बाद चतुरीपुर पुल के पास सभी को लोडर में लाद दिया। यह सवाल परिजन भी कर रहे हैं। सवाल भी बेहद अहम व वाजिब है। हैलट के रिकार्ड रजिस्टर के मुताबिक बुधवार 18 अगस्त की रात सबा 10 बजे हर्षित को वहां ले जाया गया था, तब डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एडीजी जोन (ADG Zone) भानू भास्कर ने बताया कि 'एसपी आउटर ने जानकारी दी कि, घायल को एंबुलेंस से हैलट भेजा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट में एंबुलेंस की बजाए लोडर से लादकर हैलट भेजे जाने की बात सामने आई है। इस संबंध में फोटोग्राफ भी मिले हैं। एसपी आउटर को जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। एसपी से स्पष्टिकरण मांगा गया है कि ऐसा किया क्यों गया?'