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Kanpur News: कानपुर का एक सरकारी स्कूल जहां बच्चे पढ़ने की जगह स्कूल में लगाते हैं झाड़ू और बनाते हैं खाना, वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

Janjwar Desk
6 Aug 2022 12:15 PM GMT
कानपुर का एक सरकारी स्कूल जहां बच्चें पढ़ने की जगह स्कूल में लगाते हैं झाड़ू और बनाते हैं खाना, वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल
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कानपुर का एक सरकारी स्कूल जहां बच्चें पढ़ने की जगह स्कूल में लगाते हैं झाड़ू और बनाते हैं खाना, वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

Kanpur News: स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगवाई जाती है। विद्यालय में गैस सिलेंडर आवंटित होने के बावजूद लकड़ी जलाकर खाना बनाया जाता है और उसमे भी बच्चें सहायता प्रदान करते है...

Kanpur News: माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते समय ये ही सोचते होंगे कि, हमारा बच्चा पढ़ लिखकर बहुत ही बड़े मुकाम तक जाएगा। उन्हें शिक्षकों से यह उम्मीद रहती है कि वो हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करेंगे और उन्हें एक उज्जवल भविष्य देंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जिले कानपूर में इसका उल्टा नजारा देखने को मिला। यहां बच्चों को अच्छा भविष्य देने के लिए उन्हें उच्च शिक्षा नहीं दी जाती बल्कि स्कूल में उनसे झाड़ू लगवाई जाती है और खाना बनवाया जाता है। यानि शिक्षक उन्हें अभी से सफाई कर्मी बनाने की तैयारी कर रहे हैं। स्कूल की यह हालत सरकार को दिख नहीं रही या फिर वो इसे देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं ये बताना मुश्किल है। परन्तु स्कूल की ऐसी हालत देख कर यही लगता है कि सरकार को इसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

स्कूल में बच्चों से लगवाई जा रही झाड़ू

कानपुर देहात के अकबरपुर क्षेत्र में स्थित संगसियापुर के प्राथमिक स्कूल में कोई नियम नहीं है। जहां के शिक्षक खुद नियमों की धज्जियां उड़ाते है वहां बच्चों को क्या ही अनुशासन सिखाया जाता होगा। इस स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगवाई जाती है। विद्यालय में गैस सिलेंडर आवंटित होने के बावजूद लकड़ी जलाकर खाना बनाया जाता है और उसमे भी बच्चें सहायता प्रदान करते है। यहां बच्चों को अंग्रेजी या गणित नहीं सिखाया जाता यहां छात्रों को ये सिखाया जाता है कि झाड़ू कैसे लगाना है और खाना कैसे पकाना है।

शिक्षक घूमते हैं बेपरवाह

इस स्कूल की हालत ये है कि यहां शिक्षक बेपरवाह होकर इधर उधर घूमते रहते हैं। अनुशासन नाम की कोई चीज यहां नहीं देखने मिलेगी। बच्चें अपनी कक्षा में होने के बजाय झाड़ू लगाते हुए दीखते है। स्कूल में कुत्ते आराम से घूम रहे हैं। शिक्षकों को पढाई से कोई लेना देना नहीं है। अगर बच्चें न भी पढ़े तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

रोजगार शून्य है तो साफ-सफाई करना सीख लें

सोशल मीडिया पर इसके लिए लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। एक यूजर लिखते हैं कि ये स्कूल की अच्छी पहल है। गगनचुम्बी गैस की कीमतों की वजह से गैस चूल्हे पर खाना पकाने की आदत नहीं रही। लकड़ी ज्यादा ठीक है। बड़े होकर बच्चे करेंगे क्या रोजगार शून्य है। साफ-सफाई करना सीख लें। कम से कम स्वच्छ्ता अभियान तो कायम रहेगा। एक दूसरे यूजर लिखते हैं कि योगी और मोदी सरकार के झूठे वादे देश प्रदेश भुगत रहा है।

अंध भक्तों को नहीं नजर आएगा

एक यूजर ने सोशल मीडिया पर इसकी एक तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि ये कानपुर देहात के सभी स्कूलों की हालत बहुत बुरी है। ये मेरे घर के पास के सरकारी स्कूल की फोटो है। एक का कहना था कि सरकारी स्कूल तकरीबन हर जगह बदहाल हैं। लेकिन अंध भक्तों को नहीं नजर आएगा। उनका कहना था कि बच्चों से काम कराना कोई नई बात नहीं। शिक्षक इसे अपना अधिकार समझते हैं पर बड़ी बड़ी बातें करने वाली योगी सरकार क्या कर रही है।

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