5 प्वाइंट में जानिये एससी/एसटी उप वर्गीकरण आरक्षण को लेकर क्यों उठ रहे हैं सवाल ?
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SC/ST उप वर्गीकरण आरक्षण को लेकर हंसराज मीणा की टिप्पणी
Supreme Court’s verdict on sub-classification of SCs and STs : सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में एससी एसटी वर्गों में उप वर्गीकरण करने का निर्णय हमारे समाज और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ एक बड़ा झटका है। यह फैसला हमारे संविधान में प्रदत्त आरक्षण और सामाजिक न्याय की भावना के विपरीत है। इस प्रकार का उप वर्गीकरण एससी और एसटी समुदायों के बीच विभाजन पैदा करेगा और उनके अधिकारों और अवसरों को सीमित करेगा।
ऐसे में भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़ से एससी एसटी उप वर्गीकरण पर कुछ सवाल हैं —
1. सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति (SC) वर्ग में उप-वर्गीकरण के लिए याचिका डाली गई थी, तो फिर अनुसूचित जनजाति (ST) में उप-वर्गीकरण का फैसला किस आधार पर दिया गया है?
2. अनुसूचित जनजाति (ST) में आर्थिक और सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़ी जनजातियों के लिए उप-वर्गीकरण, जैसा कि अत्यंत कमजोर जनजातीय समूह (PVGT) विकास और कल्याण के लिए पहले से लागू है, जिसमें 750 में से लगभग 75 जनजातियां शामिल हैं। फिर नए उप-वर्गीकरण का क्या औचित्य है?
3. उप-वर्गीकरण के माध्यम से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के भीतर विभाजन पैदा करना इस उद्देश्य के विपरीत है। यह न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है, बल्कि समाज में समानता और न्याय की भावना को भी कमजोर करता है। क्या आप संविधान पर हमला नहीं कर रहे हैं?
4. संविधान का अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों (SC) की सूचियों और अनुच्छेद 342 अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूचियों से संबंधित है। इन सूचियों को केवल राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित किया जाता है और इसमें राज्यों को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है। आप राष्ट्रपति की शक्तियों का अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं?
5. आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। फिर आपके द्वारा उप-वर्गीकरण आर्थिक स्थिति को आधार बनाकर किया जाना गलत नहीं है?