Migration from India: 447 लोग हर रोज छोड़ रहे हैं भारत, अमेरिका बन रहा पहली पसंद

सलीम मलिक की रिपोर्ट
Migration from India: वजह भारत के राजनैतिक हालात हों या बिगड़ती अर्थव्यवस्था, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि हर दिन भारत के 447 लोग भारत की नागरिकता छोड़कर दुनिया के दूसरे देशों में अपना बसेरा बना रहे हैं। 2020 में 85,256 लोगों के देश छोड़ने का आंकड़ा 2021 में बढ़कर 1,63,370 हो गया है। इससे पहले 2019 में 1,44,017 लोगों ने देश की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले ली थी। यह आंकड़े क्योंकि लोकसभा में दिए गए हैं तो इनकी प्रमाणिकता पर भी सवाल खड़े नहीं किए जा सकते।
दरअसल संसद के निचले सदन लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने गृह मंत्रालय से यह जानकारी मांगी थी कि साल 2019 से अब तक कितने लोग भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं ? सांसद ने नागरिकता छोड़ चुके लोगों द्वारा दूसरे देश की नागरिकता के बारे में भी जानकारी मांगी थी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा सांसद के इसी सवाल के जवाब में इससे जुड़ी इस सूचना को साझा करते हुए जो जानकारी दी है उसके अनुसार वर्ष 2019 में भारत के 1,44,017 लोगों ने देश की नागरिकता छोड़ी थी। जबकि 2020 में यह आंकड़ा घटकर करीब आधे (85,256) तक पहुंच गया था। लेकिन ठीक अगले ही साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,63,370 तक पहुंच गया है।
गृह मंत्रालय द्वारा दी गई इस विस्तृत जानकारी में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत की नागरिकता छोड़ने के बाद उनकी पसंदीदा जगह अमेरिका ही बन रही है। साल 2021 में भारत छोड़कर अमरीकी की नागरिकता लेने वालों की संख्या ठीक आधी है। प्रतिशत में बात की जाए तो साल 2020 में 85,256 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी। जिसमें से 30,828 (36 प्रतिशत) भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी। जबकि 2021 में 1,63,370 लोगों द्वारा भारत की नागरिकता छोड़ी गई थी। इसमें से 78,284 (48 प्रतिशत) लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी। शेष अन्य लोगों ने अन्य देशों की नागरिकता ली है। उपलब्ध सरकारी रिपोर्ट का अध्ययन करने पर जब भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता लेने का आंकड़ा निकाला गया तो शीर्ष दस देशों में आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश हैं। इस पायदान में स्वीडन सबसे अंतिम पायदान पर है। अमेरिका के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरा देश है, जहाँ भारतीय बसना पसंद कर रहे हैं. पिछले साल 23,533 भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता मिली तो इससे पहले साल 2020 में 13,518 भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ली है। कनाडा भारतीयों के लिए नौकरी और पढ़ाई के लिए एक पसंदीदा देश है। भारत के पंजाब सूबे से इसके खास ताल्लुकात समझे जाते हैं। 2021 में 21,597 लोगों ने इसी कनाडा की नागरिकता हासिल की है। इसके अलावा भारतीयों द्वारा भारत की नागरिकता छोड़े जाने के बाद जिन प्रमुख देशों की नागरिकता ली है उसमें ऑस्ट्रेलिया साल दूसरे नंबर पर है। जिसने साल 2020 में 13,518 और साल 2021 में 23,533 भारतीयों को नागरिकता दी है। तीसरे पायदान पर साल 2020 में 17,093 भारतीय लोगों को तथा साल 2021 में 21,597 भारतीय लोगों को नागरिकता देने वाला देश कनाडा है। एक दौर में भारत पर राज कर चुका ब्रिटेन भारत के लोगों की चौथी पसंद है। 2020 में 6,489 और 2021 में 14,637 लोगों ने इसकी नागरिकता हासिल की है।
भारत में भले ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को केवल इटली का होने की वजह से राजनैतिक निशाना बनाया जाता हो, देश छोड़कर जाने वालों में उस देश का क्रेज भी सम्मानजनक पायदान पर है। पांचवे नंबर पर स्थान पाए यूरोप के इस खूबसूरत देश इटली ने अपनी खूबसूरती से 2020 में रिझाकर 2,312 लोगों को नागरिकता लेने पर विवश किया तो साल 2021 में 5,986 में लोगों ने इटली की खूबसूरती के सामने घुटने टेके।
न्यूज़ीलैंड में 2,116 तो इसके अगले साल 2021 में 2,643 में पनाह ली। मुंबईया फिल्मों में खास जगह पाने वाला सिंगापुर भी 2020 में 2,289 तो 2021 में 2,516 भारतीयों की पसंदीदा जगह बना। एक दौर में हिटलर की वजह से खासे बदनाम हो चुके जर्मनी पर भी भारत के लोगों के पर्याप्त प्यार लूटा। 2020 में 2,152 और साल 2021 में 2,381 में भारत के लोगों ने इसकी नागरिकता को अंगीकार किया। बेहद सुलझे हुए देश नीदरलैंड को भी देश छोड़कर जाने वाले लोगों ने अपनी पसंद के दायरा में रखा है।
2020 में 1,213 लोगों ने तो 2021 में 2,187 लोगों ने इस खूबसूरत देश की नागरिकता हासिल की है। काले धन को खपाने के लिए जिस स्वीटजरलैंड का जिक्र फिल्मों और सस्ते उपन्यासों में होता है। वह स्वीडन देश इस कदर महंगा है कि आम भारतीय उसे देखकर सिर्फ आह ही भर सकता है। लेकिन इसके बाद भी भारत से अपना पिंड छुड़ाने के बाद 2020 में 1,046 और 2021 में 1,841 लोगों ने इस खूबसूरत देश की नागरिकता ली है।
हालांकि लोकसभा में दिए गए यह आंकड़े केवल तीन साल के ही हैं। जिनसे यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि नरेंद्र मोदी के शासन काल में देश के लोगों का भारत से मोहभंग हुआ है। जिस वजह से वह दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। लेकिन यह बात अपनी जगह सत्य है कि नरेन्द्र मोदी के पिछले आठ साल के कार्यकाल में करीब नौ लाख लोग भारत को हमेशा के लिए छोड़ चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय खुद संसद में बता चुके हैं कि पिछले सात सालों में 8.5 लाख से ज़्यादा भारतीयों ने यहाँ की नागरिकता छोड़ी है।











