नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में गोल्ड जीतकर रचा नया इतिहास, पर खुद उन्हें इस बात का रह गया है मलाल
नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक गोल्ड जीत रचा इतिहास, पर इस बात का उन्हें रह गया मलाल
जनज्वार। टोक्यो ओलंपिक में भारत के जेवलिन थ्रो एथलीट नीरज चोपड़ा ने नया इतिहास रचते हुए शनिवार को गोल्ड मेडल जीतकर 120 वर्षों का सूखा खत्म किया है लेकिन उनको एक बात का मलाल रह गया है और यह उन्होंने खुद बताया है। नीरज भारत की तरफ से ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले महज दूसरे ही खिलाड़ी हैं। उनसे पहले साल 2008 में अभिनव ब्रिंदा ने निशानेबाजी में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था। एथलेटिक्स में ओलंपिक खेलों में भारत की ओर से गोल्ड मेडल जीतने वाले वे पहले खिलाड़ी हैं।
भारत के जेवलिन थ्रो एथलीट नीरज चोपड़ा ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक खेलों में इतिहास रचने के बाद कहा है कि वे अपने पहले दो थ्रो अच्छा फेंकने के बाद ओलंपिक रिकॉर्ड बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चोपड़ा ने यह भी खुलासा किया कि वे अपने आखिरी थ्रो से पहले कुछ नहीं सोच रहे थे, क्योंकि उन्हें महसूस हो गया था कि वे यहां खेलों में अभूतपूर्व शीर्ष स्थान हासिल कर चुके थे।
नीरज, सभी 12 प्रतिस्पर्धियों में पहले तीन प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ थे, जिससे वे अगले तीन प्रयासों में थ्रो करने के लिए सबसे आखिर में आए। जैसे ही सिल्वर मेडल विजेता चेक गणराज्य के जाकुब वाडलेच ने अपना आखिरी थ्रो पूरा किया, चोपड़ा जान गए थे कि उन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया है।
उन्होंने कहा, 'मैंने संयम बनाया और अपने आखिरी थ्रो पर ध्यान लगाने का प्रयास किया जो शानदार नहीं था लेकिन फिर भी ठीक (84.24 मीटर का) था।' उन्होंने कहा कि वे नार्वे के आंद्रियास थोरकिल्डसन के 2008 बीजिंग ओलंपिक में बनाए गए 90.57 मीटर
के ओलंपिक रिकॉर्ड का लक्ष्य बनाए हुए थे लेकिन ऐसा नहीं कर सके। चोपड़ा ने कहा, 'पहले दो थ्रो, जो 87 मीटर से ऊपर के थे, के अच्छा होने के बाद मैंने सोचा कि मैं ओलंपिक रिकॉर्ड की कोशिश कर सकता हूं। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।'
गोल्ड जीतने के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीरज ने कहा, 'मैं थ्रो करने वाला आखिरी खिलाड़ी था और हर कोई थ्रो कर चुका था, मैं जान गया था कि मैं गोल्ड जीत गया हूं, तो मेरे दिमाग में कुछ बदल गया, मैं इसे बयां नहीं कर सकता। मैं नहीं जानता कि क्या करूं और यह इस तरह का था कि मैंने क्या कर दिया है।' चोपड़ा ने कहा, 'मैं भाले के साथ रन-अप पर था लेकिन मैं सोच नहीं पा रहा था।'
बता दें कि क्वालीफाइंग राउंड की तरह ही नीरज का प्रदर्शन फाइनल में भी बेहद शानदार रहा और उन्होंने एथलेक्टिक्स में मेडल के 100 साल के सूखे को भी खत्म कर दिया है। नीरज ने फाइनल मैच में अपना पहला ही थ्रो 87.03 मीटर का फेंका और गोल्ड की उम्मीद जगा दी। इसके बाद दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर का थ्रो फेंककर गोल्ड मेडल पक्का कर लिया।
नीरज ने इससे पहले क्वालीफाइंग राउंड में भी अपने प्रदर्शन से सनसनी फैला दी थी। उन्होंने टॉप पर रहते हुए पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंका था और 83.65 के क्वालीफिकेशन लेवल को आसानी से पार कर लिया था। नीरज इससे पहले एशियाई खेलों, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं।