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राष्ट्रीय

NFHS-5 Sex Ratio Data: इंडिया में पहली बार पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की आबादी

Janjwar Desk
25 Nov 2021 5:02 AM GMT
NFHS-5 Sex Ratio Data: इंडिया में पहली बार पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की आबादी
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NFHS-5 Sex Ratio Data: आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है।

NFHS-5 Sex Ratio Data: भारत में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है। अब प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं। आजादी के बाद ये भी पहली बार है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है। ये आंकड़ा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 ( NFHS-5 ) में सामने आया है। इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में ये आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था।

गांवों में सुधार ज्यादा

इतना ही नहीं, जन्म के समय भी सेक्स रेशियो ( Sex Ratio ) में सुधार हुआ है। 2015-16 में ये प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का थो, जो 2019-21 में सुधकर प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों का हो गया है। NFHS-5 के आंकड़ों में ये भी निकलकर सामने आया है कि सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है। गांवों में हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं। NFHS-4 में भी यही बात निकलकर सामने आई थी। सर्वे के मुताबिक गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।

1901 में सेक्स रेशियो 1000 पुरुषों पर 972 महिलाओं का था

1901 में सेक्स रेशियो प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाओं का था। आजादी के बाद ये संख्या कम होती गई। 1951 में ये आंकड़ा घटकर एक हजार पुरुषों पर 946 महिलाएं थीं। 1971 में ये और कम होकर 930 पर आ गया। 2011 की जनगणना के मुताबिक ये आंकड़ा थोड़ा सुधरा और प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 940 पर पहुंच गई।

प्रजनन दर में भी आई कमी

NFHS-5 Sex Ratio Data: NFHS-5 के सर्वे के मुताबिक,देश में प्रजनन दर ( Fertility Rate ) में भी कमी आई है। सर्वे के मुताबिक देश में प्रजनन दर 2 पर आ गई है। 2015-16 में ये 2.2 थी।tility Rate) में भी कमी आई है. प्रजनन दर आबादी की वृद्धि दर बताती है. सर्वे के मुताबिक, देश में प्रजनन दर 2 पर आ गई है. 2015-16 में ये 2.2 थी।

सोच में बदलाव के संकेत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाजन के मुताबिक कम प्रजनन क्षमता का अनुभव करने वाले देश प्रति महिला 2.1 से कम बच्चे जन्म दे रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि एक पीढ़ी खुद को बदलने के लिए पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं कर रही है। इससे अंततः जनसंख्या में एकमुश्त कमी आई है। सर्वेक्षण श्रृंखला में पांचवें एनएफएचएस 2019-21 के आंकड़े शहरी क्षेत्रों में प्रजनन दर 1.6 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में 2.1 प्रतिशत दर्शाते हैं।

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