रिलायंस की दोहरी चाल, साख बचाने किसानों के बीच शुरू किया प्रचार, ऊपर से कोर्ट में कर दिया केस
जनज्वार। किसानों के तीखे विरोध का सामना कर रही मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अब किसानों को यह समझाना शुरू किया है कि नए कृषि कानूनों से उसका कोई सरोकार नहीं है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस इन्फोकाॅम लिमिटेड, आरजेआइएल ने पंजाब-हरियाणा के किसानों के बीच अपनी साख बचाने के लिए पोस्टर व पैंपलेट के जरिए यह प्रचार शुरू किया है कि उसका केंद्र सरकार के नए कृषि कानून से कोई सरोकार नहीं है और वह इससे लाभ अर्जित नहीं करने जा रही है।
रिलायंस की यह कोशिश है कि वह किसानों के बीच नए कृषि कानूनों से लाभान्वित होने की छवि तोड़े। कंपनी पोस्टर व पंपलेट से प्रचार जरिए यह प्रचार कर रही है कि उसे नए कृषि कानूनों से कोई लाभ नहीं अर्जित करना है। वह अपने पंपलेट में यह बता रही है कि कांट्रेक्ट फार्मिंग के क्षेत्र में वह नहीं जा रही है और न ही भविष्य में उसका ऐसा करने की योजना है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि उसने कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए देश में यह पंजाब-हरियाणा में कोई जमीन नहीं खरीदी है।
कंपनी ने अपना पंपलेट तीन भाषाओं हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी में छपवाया है। उसके ये पंपलेट उसके फ्रेंचाइजी स्टाॅल के पास भी बांटे जा रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच भी कंपनी के कर्मचारियों ने ऐसे पंपलेट बांटे हैं।
कंपनी ने यह समझाने का प्रयास किया है कि वह किसानों से सीधे अनाज नहीं खरीदती है और हमेशा अपने आपूर्तिकर्ता से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को सुनिश्चित करती है। कंपनी ने यह भी बताया है कि वह किसानों का काफी सम्मान करती है जो 130 करोड़ भरतीयों के परिवार का हिस्सा हैं। कंपनी ने कहा है कि उनकी आकांक्षाओं का सम्मान व समर्थन करती है और चाहती है कि उन्हें उनकी मेहनत का अनुमानित आधार पर लाभकारी व उचित मूल्य मिलना चाहिए।
दूसरी ओर कंपनी पंजाब व हरियाणा में अपने मोबाइल टावरों व अन्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर कोर्ट में केस किया है। कंपनी ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने व कानूनी हस्तक्षेप की मांग की है। कंपनी की इस याचिका पर पंजाब-हरियाणा काइकोर्ट में आठ फरवरी को सुनवाई होना है।