Punjab : भगवंत मान का हनीमून पीरियड समाप्त, शुरू हुई सियासी परीक्षा, केजरीवाल के भरोसे कब तक चलाएंगे सरकार?
नई दिल्ली। पंजाब ( Punjab ) में भगवंत मान सरकार ( Bhagwant Man Government ) के कार्यकाल का शुक्रवार को 45 दिन पूरे हो गए। इस दौरान उन्होंने लोकप्रिय और सस्ते वादों को पूरा करने की दिशा में कदम उठाये। साथ ही उनकी छवि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) के पीछे-पीछे चलने की बनी है। दूसरी तरफ वादों को पूरा करने की दिशा में लोगों के बीच भरोसा जगाने का काम भी किया है। इस बीच पटियाला में हिंसक ( Patiala Violence ) झड़प ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि विपक्षी दल अब उनसे जिम्मेदारी और वादों को डिलीवर करने की मांग करेगा। ऐसा न होने पर विपक्षी दलों के नेता बिना समय दिए मान ( Bhagwant man ) सरकार को कमजोर साबित करने का हर संभव प्रयास करेंगे।
विपक्ष के निशाने पर मान कम, केजरीवाल ज्यादा
दूसरी तरफ मान ( Bhagwant man ) सरकार के ठीक डेढ़ माह पूरे होते ही पटियाला में हिंसक घटनाएं हुईं। दो समुदायों के बीच हिंसक घटना सामने आते ही भाजपा ( BJP ) और कांग्रेस ( Congreass ) ने दिल्ली से उन पर हमला बोल दिया है। दोनों ही हमलों में विरोधी दलों ने केजरीवाल से भगवंत मान ( Bhagwant man ) को लिंक किया है। दोनों दलों के तेवर से साफ है हम भगवंत मान को थोड़ा समय और दे सकते हैं, पर केजरीवाल को नहीं। यानि विरोधी दलों को पंजाब सरकार के कामकाज में दिल्ली के सीएम की दखलंदाजी स्वीकार्य नहीं है। भाजपा नेता आरपी सिंह ने कहा है पंजाब पुलिस तो दिल्ली में बैठी है तो कांग्रेस की ओर से धुर विरोधी अलका लांबा ने हमला बोलते हुए केजरीवाल से पूछा है, क्या आप पटियाला में शांति मार्च निकालेंगे?
ये हमला उस समय हुए हैं, जब पंजाब के सीएम भगवंत मान ( CM Bhagwant man ) ने घटना के कुछ देर बाद ट्विट कर साफ कर दिया है कि हमने मामले को लेकर डीजीपी से बात की है। पटियाला इलाके में शांति बहाल कर दी गई है। बतौर सीएम हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। राज्य में किसी को अशांति पैदा नहीं करने देंगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि पटियाला में हुई झड़प दुर्भाग्यपूर्ण है।
पटियाला की घटना हनीमून पीरियड समाप्ति के संकेत
दरअसल, 16 मार्च 2022 को भगवंत मान ने पंजाब के सीएम पद की शपथ ली थी। आज उसके ठीक 45 दिन पूरे हो गए हैं। माह में बात करे तो यह डेढ़ महिला हो जाता है। पटियाला में दो समुदायों ने जुलूस निकाली। दोनों को जुलूस निकालने की इजाजत नहीं थी। फिर भी जुलूस निकली, कैसे, इस पर अभी किसी ने चर्चा नहीं की है। ऐसा तब हुआ है जब देश भर में हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर को लेकर बवाल मचा हुआ है। ऐसे में पंजाब पुलिस को सतर्कता दिखाते हुए बिना इजाजत के जुलूस नहीं निकलने देनी चाहिए थी।
जुलूस निकल गई तो उसे शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करना चाहिए था, लेकिन हुआ क्या, दो समुदयों में विवाद हुआ और मामला हिंसक घटना में तब्दील हो गई। एसएचओ समेत कई पुलिस वाले घायल हुए। गनीमत यह रही कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया, नहीं तो भगवंत मान अपनी सरकार के शुरुआती दिनों में ही बुरी तरह से घिर जाते। याद कीजिए, जब पंजाब में दूसरी बार अमरिंदर सिंह सीएम बने और कुछ महीनों बात सिद्धू के अमृतसर इलाके में रावण दहन के समय दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी। दुनिया भर में बवाल मच गया था। अनुभवी अमरिंदर ने तो जैसे तैसे स्थिति को संभाल लिया, भगवंत मान क्या करते, क्यो वो केजरीवाल की वाट जोहते, नहीं, ऐसा इसलिए कि पंजाब के लोग मान को सीएम के रूप में जानते हैं। उनसे हिसाब मांगते। इस बात को सीएम मान को समझना होगा। इन सब परिस्थितियों से साफ है कि प्रचंड बहुमत होने के बावजूद मान सरकार का हनीमून पीरियड लंबा नहीं चलेगा। ऐसा इसलिए कि केजरीवाल की कार्यशैली की वजह से पंजाब क मसला दूसरे राज्यों से भी जुड़ गया है। यानि पंजाब के नेता भले ही थोड़ा और इंतजार कर लें, पर दूसरे राज्य के नेता उन्हें और समय नहीं देंगे।
फिर, भगवंत मान के कार्यकाल में पंजाब में औसतन हर रोज हत्या की घटनाएं हो रही हैं। पंजाब के डीजीपी वीके भावरा ने 11 अप्रैल को पत्रकारों से बातचीत में खुद स्वीकार किया था कि पंजाब में औसतन 1 माह में 50 से ज्यादा हत्याएं हो रही हैं। डीजीपी वीके भावरा ने कहा था कि 2020 में 757 हत्याएं हुई थी। यानि एक माह में औसतन 65 हत्याएं। 2021 में 724 हत्याएं हुई, जिसका औसत 60 प्रति माह बना। 2022 में अभी तक 158 हत्याएं हुई हैं। इसका औसत 50 हत्याएं प्रतिमाह बनता है। पंजाब में 545 गिरोहबाजों को चिह्नित किया गया है। इनमें से 515 ऐसे हैं जो कभी न कभी गिरफ्तार हो चुके हैं। कुछ जेलों में हैं तो कुछ जमानत पर बाहर भी हैं।
पंजाब की बदहाली भगवंत मान की सबसे बड़ी चुनौती
पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद पहले संक्षिप्त भाषण में उन वादों को पूरा करने का भरोसा दिया है जो चुनाव घोषणा पत्र में किए गए थे। मान ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कर्ज से मुक्ति, नशाखोरी से निजात दिलाने और किसानों की समस्याएं हल करने की बात कही है। सब जानते हैं कि इन सारे मोर्चों पर एक साथ काम करना किसी भी सरकार के लिए अब आसान नहीं, क्योंकि पंजाब बदहाल हो चुका है। अभी तक का रिकॉर्ड यही है कि पंजाब की जनता लंबे समय से राजनीतिक दलों के छल का शिकार होती रही है। आप ने वादा किया था हम पंजाब के लोगों को इस छल से मुक्ति दिलाएंगे। यही वजह रहा कि पंजाब की जनता ने बड़े बदलाव का फैसला करते हुए आम आदमी पार्टी को शासन चलाने का मौका दिया है।
चिंता की बात यह है कि पंजाब की माली हालत खस्ता है। सरकार पर इस समय करीब पौने तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जो राज्य की जीडीपी का आधे से ज्यादा यानी 56 फीसद है। वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार को अपने कुल राजस्व का चौवन फीसद हिस्सा सिर्फ कर्जों का ब्याज चुकाने पर ही खर्च करना पड़ा था। सवाल है कि अगर पैसा नहीं होगा तो विकास के काम कैसे होंगे? फिर आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले जनता को दिल्ली की तरह मुफ्त बिजली-पानी और महिलाओं को एक-एक हजार रुपए देने जैसी लुभावनी घोषणाएं भी कर डाली हैं। यानी नई सरकार को इन तमाम खर्चों के लिए पैसे जुटाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। राज्य में नया निवेश लाना होगा। चिंता की बात यह है कि पिछले दो दशक में पंजाब में प्रति व्यक्ति आय काफी घट गई है। इस मामले में पंजाब खिसककर देश में 19वें स्थान पर आ गया है। लोग रोजगार के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं। बेरोजगारी से निपटने के लिए सरकार को कुछ ठोस करके दिखाना होगा।
पंजाब संवेदनशील सीमांत राज्य
पंजाब में भले ही अब आतंकवाद की समस्या नहीं है, पर वैसी ही गंभीर समस्या नशे के कारोबार की खड़ी हो गई है। पंजाब नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ है। हर तीन में से एक घर में नशे ने पांव जमा रखे हैं। यह गंभीर स्थिति है। ऐसे में नौजवानों को नशे के चंगुल से सरकार कैसे बचाएगी। इसके अलावा शराब माफिया और रेत-बजरी माफिया भी कम बड़े संकट नहीं हैं। पंजाब की स्थिति हर तरह से दिल्ली से अलग है। यानि मान की जिम्मेदारियां और चुनौतियां कहीं ज्यादा बड़ी हैं।
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