दिल्ली के तीस हजारी मेट्रो और कश्मीरी गेट से लगी बेशकीमती जमीन को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में रेलवे
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जनज्वार। आने वाले समय में अगर रेलवे स्टेशनों के पास निजी कंपनियों और बड़े उद्योगपतियों के मॉल, बड़ी-बड़ी दुकानें और कॉलोनियां नजर आएं तो चौंकने की जरूरत नहीं। रेलवे अपनी जमीन को पीपीपी मोड के तहत निजी कंपनियों को देने के लिए लगातार निविदाएं आमन्त्रित कर रहा है।
इस के तहत देश की राजधानी दिल्ली में तीस हजारी मेट्रो और कश्मीरी गेट के पास की रेलवे कॉलोनी की कीमती जमीन भी प्राइवेट कंपनियों को देने जा रही है। यही नहीं, बल्कि रेलवे बंगलोर के प्लेटफॉर्म रोड और महाराष्ट्र के औरंगाबाद के जालना रोड स्थित जमीन भी निजी उद्योगपतियों को सौंपने जा रहा है। इसके लिए ईटेंडर जारी किए जा चुके हैं।
देश में अभी निजीकरण का दौर चल रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों को तो निजी हाथों में सौंपा ही जा रहा है, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों को भी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड के तहत उद्योगपतियों को दिया जा रहा है। अब रेलवे द्वारा रेल स्टेशनों के आसपास एवं अन्य जगहों की अपनी जमीन को निजी कंपनियों को देने के लिए बिड आमन्त्रित किए जा रहे हैं।
सरकार द्वारा इसके लिए रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथरिटी (RLDA) का गठन किया गया है। रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथरिटी रेलवे की जमीनों को चिन्हित कर उसके लिए निजी कंपनियों से निविदा आमंत्रित कर रही है। कहा जा रहा है कि रेलवे की खाली जमीनों पर निजी कंपनियां मॉल, दुकानें और कॉलोनियां बनाएंगी।
देश की राजधानी दिल्ली के तीस हजारी मेट्रो और कश्मीरी गेट से लगी रेलवे कॉलोनी की बेशकीमती जमीन को अब प्राइवेट कंपनियों को लीज पर देने की तैयारी पूरी की जा चुकी है। रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथरिटी द्वारा इसके लिए ऑनलाइन बिड जारी कर दिया गया है। दिल्ली की इस जमीन के लिए ऑनलाइन बिड भरने के लिए 27 जनवरी 2021 तक का समय दिया गया है। बताया गया है कि रेलवे की यह जमीन 2.18 हेक्टेयर अर्थात लगभग 21800 स्क्वायर मीटर है। कहा जाता है कि रेलवे की यह जमीन मध्य दिल्ली की सबसे बेशकीमती जमीन है।
इसके अलावा बंगलोर के प्लेटफार्म रोड स्थित रेलवे की 2.5 एकड़ अर्थात 10128 स्क्वायर मीटर जमीन को भी प्राइवेट कंपनियों को सौंपने के लिए ऑनलाइन बिड आमंत्रित किया जा चुका है। उधर महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित जालना के 35127 स्क्वायर मीटर जमीन को भी निजी हाथों में सौंपने के लिए ऑनलाइन टेंडर जारी किया गया है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली की जमीन के बिड के लिए 393 करोड़ रुपया रिजर्व प्राइज निर्धारित किया गया है। रेलवे की इस बेशकीमती जमीन पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड के तहत पांच साल में कॉलोनी से लेकर मॉल और दुकानें बनाई जाएंगी। बताया जा रहा है कि फिलहाल इस जमीन को 99 साल के लीज पर दिया जाएगा।
सरकार द्वारा पहले ही कहा गया था कि रेलवे की खाली पड़ी जमीन को विकसित करने के लिए इसे पीपीपी मॉडल के तहत निजी कंपनियों को दिया जाएगा। इसी को लेकर रेल भूमि विकास प्राधिकरण(RLDA) का गठन किया गया है। जानकारी के अनुसार, देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कुल 84 रेलवे कॉलोनियों को इसी तर्ज पर विकसित करने की योजना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले महीने रेल भूमि विकास प्राधिकरण(RLDA) द्वारा वाराणसी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वसुंधरा लोको रेलवे कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की गई थी। इस निविदा के अनुसार रेलवे की जमीन 2.5 हेक्टेयर के लिए बिड किया गया है, जहां 1.5 हेक्टेयर में रेलवे कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स विकसित करने की योजना बनाई गई है। RLDA द्वारा इस के लिए लीज की अवधि 45 साल निर्धारित की थी और रिजर्व प्राइस महज 24 करोड़ रुपये रखी गई थी।